For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : हुई जो खबर नाम चलने लगा है

हुई जो ख़बर नाम चलने लगा है ।

ये सारा जहां  हमसे जलने लगा है ।।

 

यहां झूठ से सबको नफरत है फिर भी ।

है किसकी ये शह जो मचलने लगा है ।।

न तुम आग उगलो न मै ज़ह्र घोलूं  ।

ये सोचें लहू क्‍यूँ उबलने लगा है ।।

बुरे वक्त में लोग करते है जुर्रत ।

हुई शाम सूरज भी ढलने लगा है ।।

तुम्‍हें देखते ही  हमारी कबा से ।

उदासी का आलम पिघलने लगा है ।।

 

अज़ल से वही है ज़फ़ा का बहाना ।

 कि मौसम के जैसा बदलने लगा है ।।

 

ये सूखे शज़र छांव देने लगे फिर ।

कि घर का भी मंज़र बदलने लगा है ।।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 831

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 20, 2015 at 10:18pm

बहुत ख़ूब आदरणीय रवि साहब, ख़ूबसूरत अश’आर के लिए दाद कुबूल करें

Comment by Ravi Shukla on September 18, 2015 at 3:04pm

आदरणीय मनोज जी हमारे अहसास तक आपकी रसाई हुई ये सुकून का बायस है । बहुत बहुत शुक्रिया जनाब ।

Comment by मनोज अहसास on September 17, 2015 at 8:54pm
नमस्कार सर
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है
इस शेर ने एक हवा का झोके का अहसास दिया है

तुम्‍हें देखते ही हमारी कबा से ।
उदासी का आलम पिघलने लगा है ।।

सादर बधाई इनायत की इल्तज़ा के साथ
Comment by Ravi Shukla on September 17, 2015 at 1:43pm
आदरणीय डा .गोपाल नारायण जी ग़ज़ल पर आपकी गरिमामयी उपस्थिति से अपने लेखन के प्रति उत्तरदायित्व का भाव और बढ़ गया है । सादर प्रणाम ।
Comment by Ravi Shukla on September 17, 2015 at 1:29pm
आदरणीय श्री सुनील जी ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति का बहुत बहुत आभार ।
Comment by Ravi Shukla on September 17, 2015 at 1:27pm
आदरणीय समर कबीर साहब । आदाब ,आपको ग़ज़ल पसंद आई ये हमारे लिए बहूत ही ख़ुशी का बायस है ,गोया योमे पैदाइश का पेशगी तोहफा मिल गया है । आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया । अनुग्रह बनाये रखियेगा। सादर ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 17, 2015 at 1:21pm

बहुत बढ़िया आली जनाब .

Comment by Ravi Shukla on September 17, 2015 at 1:03pm
आदरणीय मिथिलेशजी । आपको ग़ज़ल पसंद आई धन्यवाद् आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया उत्साह बढाती है ।
Comment by Ravi Shukla on September 17, 2015 at 1:02pm
आदरणीय दिनेश जी आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति और दाद पाकर बहुत ख़ुशी हुई । आभार ।
Comment by दिनेश कुमार on September 17, 2015 at 5:14am
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीय रवि साहब। बहुत बहुत बधाई व दाद आप को।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service