२१२ २१२ २२
गम तुम्हारा नहीं होता
तो गुजारा नहीं होता
लूटते प्यासे ये सागर
गर ये खारा नहीं होता
मौत तेरे बुलावे से
अब किनारा नहीं होता
तेरी सौगात है वरना
जख्म प्यारा नहीं होता
है खुदा साथ जिसके वो
बेसहारा नहीं होता
मौलिक व अप्रकाशित
गुमनाम पिथौरागढ़ी
Comment
धन्यवाद दोस्तों कुछ लिखने की बाद समालोचना सुनने की उत्सिकता रहती है प्रतिभा जी इसमें क्षमा जैसी कोई बात नहीं ऐसा मुझसे कई बार हुआ है खैर धन्यवाद आपका
बहुत सुन्दर !! आदरणीय गुमनाम भाई , बधाई ।
bahut hi badia gazal ke liye dhanyawad ...sir ji
शुक्रिया दोस्तो आप का सहयोग प्रेरित करता है ............
वैसे आदरणीय मैं भी वामनकर जी के कथन से सहमत हूँ कि अगर कुछ और अशआर हो जाते तो मज़ा आ जाता।
गम तुम्हारा नहीं होता
तो गुजारा नहीं होता
लूटते प्यासे ये सागर
गर ये खारा नहीं होता
वाह वाह और वाह ही कहेंगे हम आपकी इस दिलकश ग़ज़ल की प्रस्तुति पर आदरणीय गुमनाम जी।
आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी, बधाई थोडा इस पंक्ति को समझने में समय लगा ....लूटते प्यासे ये सागर
गर ये खारा नहीं होता ...!
छोटी बहर में अच्छी ग़ज़ल, बधाई गुमनाम जी.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online