For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक गमले में रोपा गया पौधा

उसका दायरा क्या है

बस वो गमला

जब तक वो गमले में है

कभी वृक्ष नहीं बन सकता

उस पौधे की जड़ों को

गमले से बाहर आना होगा

 

परिन्दों को उड़ना हो

तो उनकी सीमा क्या है

कोई नहीं

असीम आकाश फैला हुआ है

उन्हें अपने पर खोलने होंगे

 

हमें जीना हो तो

पूरी कायनात पड़ी है

हमें

ख़्वाहिशों को परवाज़ देना होगा

सपनो को

उम्मीदों का आकाश देना होगा

पौधे को

वृक्ष का रूप देने के लिये

ज़मीन देनी होगी

हमें

अपने दायरे से बाहर आना होगा

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 644

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 21, 2014 at 9:15am

आदरणीय शरदिंदु सर आप जैसे वरिष्ठ सिद्धहस्त रचनाकारों की सराहना आश्वस्त करती है आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on December 4, 2014 at 2:26am
आदरणीय शिज्जु जी, आपकी रचनाधर्मिता का एक अपरिचित पट प्रकाशमान हो उठा है इस प्रभावशाली अतुकांत कविता में. अभिनंदन स्वीकार करें. सादर.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 30, 2014 at 6:46pm

सर्वप्रथम विलम्ब के लिये आप  सभी से क्षमा चाहता हूँ, मेरे इस छोटे से प्रयास को आप सभी का स्नेह मिला आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया

Comment by savitamishra on November 21, 2014 at 8:54pm

बहुत  ही सुन्दर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 21, 2014 at 10:56am

आदरणीय शिज्जु भाई , बढ़िया अतुकांत चिंतन के लिये बधाई ।

Comment by Hari Prakash Dubey on November 20, 2014 at 5:39pm

सकरात्मक सन्देश देती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई  श्री शिज्जू जी !

Comment by Shyam Narain Verma on November 20, 2014 at 1:12pm

बहुत  ही सुन्दर प्रस्तुति  //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Sushil Sarna on November 19, 2014 at 7:37pm

वाह आदरणीय शिज्जु शकूर जी वाह एक ऐसी रचना जो कुछ सोचने पर मज़बूर कर देती है आपकी पंक्तियाँ पाठक के अंतस को झकझोरती हैं।

एक गमले में रोपा गया पौधा
उसका दायरा क्या है
बस वो गमला
जब तक वो गमले में है
कभी वृक्ष नहीं बन सकता
उस पौधे की जड़ों को
गमले से बाहर आना होगा .... इस भाव के आगे मैं नतमस्तक सर।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 19, 2014 at 12:36pm

शिज्जू भैय्या

आप जहा भी जाते है कमाल करते है  i अब इस अतुकांत को ही लें i कमाल की रचना है i  बधाई हो i सादर i


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 19, 2014 at 12:08pm

ग़ज़ल कहने वाली कलम आज़ाद नज़्म भी कितनी खूबसूरत कह सकती है, मालूम हुआ। रचना बहुत ही प्रेरणादायक एवं संदेशपरक हुई है, जिस हेतु मेरी हार्दिक बधाई प्रेषित है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service