For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हूँ किसके ग़म का सताया न पूछिये साहिब (ग़ज़ल)

1212 / 1122 / 1212 / 22(112)

हूँ किसके ग़म का सताया न पूछिये साहिब

जफ़ा-ए-इश्क़ का क़िस्सा न पूछिये साहिब [1]

तमाम उम्र उसे दूर से ही देख के बस

सुकून कितना है पाया न पूछिये साहिब [2]

लहू भी थम सा गया दर्द को भी राहत है

प ज़ख़्म कितना है गहरा न पूछिये साहिब [3]

अगरचे जब मैं चला था तो हाथ ख़ाली थे

सफ़र में क्या है गँवाया न पूछिये साहिब [4]

ग़ुरूर उनको किसी बात पर नहीं है मगर

इसी पे नाज़ है कितना न पूछिये साहिब [5]

तमाम ज़िन्दगी ठहराव के तजस्सुस में

कहाँ कहाँ नहीं भटका न पूछिए साहिब [6]

पता है मुझको ये 'शाहिद' कहाँ से आया हूँ

मगर किधर को है जाना न पूछिए साहिब [7]

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 660

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 1, 2022 at 6:49pm

बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय रवि जी...

Comment by vijay nikore on November 1, 2022 at 12:03pm

कमाल की गज़ल लिखी है, रवि भसीन शाहिद जी।

हार्दिक बधाई।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on October 31, 2022 at 11:17am

आदरणीय जैफ़ साहिब, सुख़न-नवाज़ी और हौसला-अफ़ज़ाई के लिए आपका बहुत शुक्रिय:!

Comment by Zaif on October 30, 2022 at 2:40pm

बेहतरीन ग़ज़ल हुई है, सर।

अगरचे जब मैं चला था तो हाथ ख़ाली थे

सफ़र में क्या है गँवाया न पूछिये साहिब।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on October 19, 2022 at 9:38am

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' भाई, सादर अभिवादन। सुख़न -नवाज़ी के लिए आपका बहुत शुक्रिया!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 19, 2022 at 3:42am

आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Mahendra Kumar on October 18, 2022 at 9:41pm

आदरणीय रवि जी, बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि आपने इतनी ज़हमत उठा कर मेरी ग़ज़ल पढ़ी। यह अदब से आपकी मुहब्बत को ही दर्शाता है। उस ग़ज़ल के दो-तीन शेर मैंने संशोधित कर/बदल दिए हैं। ख़ैर, आपकी मुहब्बतों के लिए दिल से आभारी हूँ। 

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on October 18, 2022 at 5:52pm

आदरणीय महेंद्र कुमार जी, बधाई और शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार! ओबीओ लाइव तरही मुशायरा अंक 83 में तलाश करके आपकी ग़ज़ल पढ़ी, बहुत अच्छी लगी। बहुत शुक्रिय: और शुभकामनाएँ!

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on October 18, 2022 at 5:52pm

आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब, आपसे दाद और आशीर्वाद पाकर ग़ज़ल कहने का प्रयास सार्थक हुआ। आपका बहुत बहुत शुक्रिय:!

Comment by Mahendra Kumar on October 18, 2022 at 2:15pm

आदरणीय रवि जी, उम्दा ग़ज़ल हुई है। ढेरों बधाई व शुभकामनाएँ स्वीकार कीजिए। आपके आख़िरी शेर ने मुझे अपने एक शेर की याद दिला दी :

मुझे पता है ये सूरज किधर पे डूबेगा
मगर ये याद नहीं है किधर से निकला था

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"उड़ने की चाह आदत भी बन जाती है।और जिन्हें उड़ना आता हो,उनके बारे में कहना ही क्या? पालो, खुद में…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service