For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 - 2121 - 1221 - 212

मौज आयी..घर को फूंक तमाशा बना दिया

हा.... झोंपड़ा फ़क़ीर ने ख़ुद ही जला दिया 

कर के इशारा बज़्म से जिसको उठा दिया

दरवेश ने उसी का मुक़द्दर बना दिया

अपनों के होते ग़ैर भला क्यूँ उठाए ग़म 

नादान दोस्तों ने ही रुसवा करा दिया

नफ़रत की फ़स्ल देख के ख़ुश हो रहे थे सब

बोया था जिसने ज़ह्र उसी को चखा दिया 

मुझको था ए'तिमाद कि आ जाएगी बहार

रंग-ए-ख़िज़ाँ ने मेरे यक़ीं को हिला दिया 

शाख़ों पे जिसकी पेंग बढ़ाते रहे थे हम

क्या जाने इस शजर को ये किसने गिरा दिया 

चिड़ियों पे है उक़ाबों की तिरछी नज़र 'अमीर' 

हमने भी आज दिल का परिंदा उड़ा दिया 

 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 783

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 1, 2022 at 5:27pm

आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 1, 2022 at 1:45pm

शानदार गजल हुई है बधाई .. 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 26, 2022 at 6:09pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 26, 2022 at 6:08pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

Comment by Rachna Bhatia on June 21, 2022 at 8:24pm

आदरणीय अमीरुद्दीन "अमीर" जी  बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। 

Comment by Sushil Sarna on June 20, 2022 at 9:35pm
वाह आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है सर । दिल से मुबारक कबूल करें सर ।
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 20, 2022 at 11:56am

मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया, जी मुहतरम अरकान पर ध्यानाकर्षण के लिए आपका शुक्रगुज़ार हूँ, दुरुस्त किये देता हूँ। 

Comment by Samar kabeer on June 18, 2022 at 6:26pm

जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

ग़ज़ल के अरकान आपने ग़लत लिखे हैं,उन्हें दुरुस्त कर लें ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 14, 2022 at 8:07am

आदरणीय नाथ सोनांचली जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

Comment by नाथ सोनांचली on June 14, 2022 at 3:19am

आद0 अमीरुद्दीन साहब सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने।  मकता तो जान मारू,, वाह आह वाह

शाखाओं पर पेग .... क्या कहने वाह वाह

अनेकानेक बधाई स्वीकार कीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service