For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये

12112 12112

सुरूर है या शबाब है ये

के जो भी है ला जवाब है ये

फ़क़ीर की है या पीर की है

के चश्म जो आब-ओ-ताब है ये

कज़ा है अगर सरक गया तो

जो चेहरे पे नकाब है ये

अजीब है सफ़ह-ए-ज़िंदगी भी

न पूछो की क्या जनाब है ये

कभी है ख़ुशी तो है कभी ग़म

बस एक ऐसी किताब है ये

हैं अश्क से आज चश्म जो नम

महब्बतों का हिसाब है ये

न जाने कोई है माज़रा क्या

की ज़िंदगी है या ख़्वाब है ये

वो आये और आ के चल दिये हैं

है रुख़्सती या अज़ाब है ये

कटार हैं आँखें नर्म हैं लब

के हुस्न है या गुलाब है ये

न होश में हैं न होश है गुम

न जाने कैसी शराब है ये

न पी के भी जिसको पी सके ग़म

वो आग है वो इताब है ये

न बुझ सकी है न लग सकी है

के दिल्लगी भी उजाब है ये

बदन में यूँ रूह सिक रही है

के हसरतों की कबाब है ये

जो ढल रहे हैं इक उम्र से अब

के ख़्वाहिशों का दबाब है ये

न जी सके हैं न मर सके हैं

अजीब ही इज़्तिराब है ये

जो ज़िस्म ये संग-ए-मरमरी है

ज़मीन पे माहताब है ये

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 633

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aazi Tamaam on June 7, 2022 at 5:10pm

प्रणाम आ गुरु जी ग़ज़ल तक आने व बारीकी से इस्लाह देने और मार्गदर्शन करने के लिए मैं तहे दिल से आपका आभार व्यक्त करता हूँ

जी गुरु जी मैं अब ज्यादा वक़्त पढ़ाई को ही देता हूँ पर कभी कभी मन नहीं मानता तो मन को शांत करने के लिए मजबूरीबस कुछ लिखने का प्रयास कर लेता हूँ

 गुरु जी आप का पुनः दिल से आभार

मैं कोशिश करूँगा पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे सकूँ

सादर

Comment by Samar kabeer on June 7, 2022 at 4:59pm

जनाब आज़ी तमाम जी आदाब, इस बह्र पर ग़ज़ल कहना आसान नहीं है, फिर भी पने प्रयास किया इसके लिये बधाई I 

फ़क़ीर की है या पीर की है

के चश्म जो आब-ओ-ताब है ये-- इस शे`र के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है ,और सानी का वाक्य विन्यास भी दुरुस्त नहीं है,देखिएगा I 

जो चेहरे पे नकाब है ये-- ये मिसरा बह्र में नहीं है, देखिएगा I 

अजीब है सफ़ह-ए-ज़िंदगी भी--इस मिसरे में रवानी नहीं है I 

कटार हैं आँखें नर्म हैं लब

के हुस्न है या गुलाब है ये--इस शे`र के दोनों मिसरों में रब्त नहीं और सानी में सहीह शब्द "हश्र " है I 

बदन में यूँ रूह सिक रही है

के हसरतों की कबाब है ये--दोनों मिसरों में रब्त नहीं और सानी में 'कबाब' शब्द पुल्लिंग है I 

बाक़ी के अशआर भी बस क़फ़िया पैमाई है , आपको पहले भी समझाया था कि मारुफ़ बह्र में ही प्रयास करें और अभी सिर्फ़ अपनी पढाई पर ध्यान दें I  

Comment by Aazi Tamaam on June 1, 2022 at 3:29pm

हौसला अफ़ज़ाई के लिए आ धामी सर का हृदय से स्वागत है

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 31, 2022 at 6:53pm

आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। बहुत सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Aazi Tamaam on May 27, 2022 at 10:10pm

आ सूबे जी ग़ज़ल तक आने व हौसला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया

Comment by Aazi Tamaam on May 27, 2022 at 10:09pm

 आ gumnaam ji हौसला अफ़ज़ाई व ग़ज़ल तक आने के लिए सहृदय शुक्रिया

सादर 

Comment by सूबे सिंह सुजान on May 27, 2022 at 4:42pm

अरे वाह वाह वाह बहुत खूब लिखा है

Comment by gumnaam pithoragarhi on May 25, 2022 at 10:20am

वाह बहुत खूब गजल हुई है । बधाई .. 

Comment by Aazi Tamaam on May 24, 2022 at 6:06am

 सहृदय शुक्रिया आ अरुण जी ग़ज़ल तक आने व हौसला अफ़ज़ाई करने के लिए

सादर

Comment by DR ARUN KUMAR SHASTRI on May 23, 2022 at 10:11pm

 Aazi Tamaam सहिब कमाल की गजल पेश करी वाह वाह आपका इकबाल बुलन्द रहे जनाब मुझे बेहद पसंद आई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service