२२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २
पतझड़ के जैसा आलम है विरह की सी पुरवाई है
ये कैसा मौसम आया है जिसका रंग ज़ुदाई है
घूमते रहते हैं कई साये दिल के अँधेरे कमरे में
काट रही है पल पल मन को ग़म की रात कसाई है
जंगल जंगल घूम रहा हूँ लेकर अपनी बेचैनी
ख़ामोशी में शोर बपा है ये कैसी तन्हाई है
ना जाने क्या सोच रही है मन ही मन बैठी दुल्हन
आँखों में इक हैरानी है चेहरे पे रानाई है
शादी का अवसर लाया है ग़म के साथ…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on October 5, 2024 at 10:40am — No Comments
बैठ एक की आस में, कब तक रहें उदास
चल दिल चल के ढूँढ लें, दूजा और निवास
ये जग है मायानगर, कौन करे विश्वास
इस झूठे बाजार में, टूटी सब की आस
पल भर में मेला लगे, पल भर में वनवास
अभी पराया हो गया, अभी हुआ जो खास
रहते थे हम ठाठ से, सब था अपने पास
छोड़ जिसे, आवारगी, हमको आई रास
श्वेत रंग की प्रीत का, उनको क्या एहसास
रंगों के शौकीन तो, बदलें रोज लिबास
(मौलिक व अप्रकाशित)
Added by Aazi Tamaam on August 6, 2024 at 12:00am — 2 Comments
१२१२ ११२२ १२१२ २२
मिज़ाज़-ए-दश्त पता है न नक़्श-ए-पा मालूम
हमारे दर्द-ए-जिगर का भी किसको क्या मालूम
करेगा दर्द से आज़ाद या जिगर छलनी
तुम्हारे तीर-ए-नज़र की किसे रज़ा मालूम
न जाने कैसे थमेगा ये सिलसिला ग़म का
कोई बताये किसी को हो गर ज़रा मालूम
झुकाएं कौन से दर पर ज़बीं ये दीवाने
वफ़ा का कौन सा घर है किसी को क्या मालूम
क़फ़स में क़ैद परिंदे की बेबसी देखो
न हश्र-ए-क़ैद पता है न है ख़ता…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on July 14, 2024 at 11:30am — 10 Comments
२१२२ २१२२
ग़मज़दा आँखों का पानी
बोलता है बे-ज़बानी
मार ही डालेगी हमको
आज उनकी सरगिरानी
आपकी हर बात वाजिब
और हमारी लंतरानी
जाने किसकी बद्दुआ है
वक़्त-ए-गर्दिश जाँ-सितानी
दर्द-ओ-ग़म रास आ रहे हैं
बुझ रही है ज़िंदगानी
कौन जाने कब कहाँ से
आये मर्ग-ए-ना-गहानी
ले के फागुन आ गया फिर
फ़स्ल-ए-गुल की छेड़खानी
कैसे मैं समझाऊँ ख़ुद…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on April 1, 2024 at 5:30pm — 6 Comments
1212 1212
सही सही बता है क्या
भला है क्या बुरा है क्या
न इश्क़ है न चारागर
तो दर्द की दवा है क्या
लहू सा लाल लाल है
ये आँख में जमा है क्या
बुझे बुझे से लोग हैं
ये ज़िंदगी सज़ा है क्या
अजीब कशमकश सी है
ये दिल तुझे हुआ है क्या
सुकून है न चैन है
यूँ जीने में मज़ा है क्या
जो खाक़ हो रहे हैं हम
किसी कि बद्दुआ है क्या
जला दिया तो…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 6, 2024 at 7:00pm — No Comments
221 2121 1221 212
बाद एक हादिसे के जो चुप से रहे हैं हम
अपनी ही सुर्ख़ आँख में चुभते रहे हैं हम
ये और बात है की मुकम्मल न हो सका
इक ख़त किसी के नाम जो लिखते रहे हैं हम
सबसे जरूरी काम में पीछे रहे मगर
बाक़ी हर एक बात में आगे रहे हैं हम
वैसे तो हमसे जीतना मुमकिन न था मगर
अपनी रज़ा से आप से पीछे रहे हैं हम
इक रोज़ तन्हा छोड़ गए आप तो हमें
दर्द उम्र भर ये हिज़्र का सहते रहे हैं…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on January 26, 2024 at 9:30pm — 2 Comments
11212 11212
इसी में तो मेरा जहान है
ये जो खंडरों सा मकान है
यूँ ही बोलने से बचा करें
यूँ कि तुंद-ख़ू ये ज़बान है
नया खून है वो है जोश में
अभी ज़िंदगी में उफान है
न है आसमाँ न है तू ज़मीं
तुझे ख़ुद पे कितना गुमान है
तेरी जाति क्या है बिसात क्या
तेरा ज़िस्म ख़ाक समान है
न क़ुसूर कोई 'तमाम' अब
न बची उमंग न जान है
मौलिक व अप्रकाशित
(आज़ी…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on January 18, 2024 at 4:30am — 6 Comments
2122 1212 22
फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना
आज फिर दिल हुआ है दीवाना
यूँ तो हर आँख में नशा लेकिन
उनकी आँखों में पूरा मयखाना
जबसे आये हैं उनको महफ़िल में
भूल बैठे…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on December 11, 2022 at 9:30pm — 2 Comments
12112 12112
सुरूर है या शबाब है ये
के जो भी है ला जवाब है ये
फ़क़ीर की है या पीर की है
के चश्म जो आब-ओ-ताब है ये
कज़ा है अगर सरक गया तो
जो चेहरे पे नकाब है ये
अजीब है सफ़ह-ए-ज़िंदगी भी
न पूछो की क्या जनाब है ये
कभी है ख़ुशी तो है कभी ग़म
बस एक ऐसी किताब है ये
हैं अश्क से आज चश्म जो नम
महब्बतों का हिसाब है ये
न जाने कोई है माज़रा क्या
की…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on May 22, 2022 at 8:00am — 10 Comments
२२१ २१२१ १२२१ २१२
पाकर जिसे हयात हवालात हो गई
इक ऐसे ग़म से आज मुलाक़ात हो गई
कैसे बताएँ आपके बिन कुछ नहीं हैं हम
कैसे बताएँ आपको क्या बात हो गई
अंजान थी जो आँख मिरी जान अश्क़ से
बाद आपके यूँ रोई की बरसात हो गई
इक पल में खुशनुमा हुई इक पल में रहनुमा
फ़िर एक पल में दर्द की सौग़ात हो गई
कैसी है दास्ताँ ये मिरी जान ज़िंदगी
रौशन हुई कहीं तो कहीं रात हो गई
मौलिक व…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 26, 2022 at 11:30pm — 2 Comments
1222 1222 1222 1222
हर इक दिन इन फ़ज़ाओं में नई अल्बम लगाता है
कोई तो है हरी सी घास पर शबनम लगाता है
कहीं सुनता नहीं महफ़िल में भी अब दर्द ए दिल कोई
किसे आवाज वीराने में तू हमदम लगाता है
अज़ब है वाक़िया या रब अज़ब साकी मिला दिल को
नमक ज़ख़्मों पे दिल के किस क़दर पैहम लगाता है
धुआँ होकर निकलती हैं ये साँसें दिल के अंदर से
किसी की याद में दिल दम व दम फिर दम लगाता…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on January 15, 2022 at 3:00pm — No Comments
2122 2122 212
आख़िरश वो जिसकी ख़ातिर सर गया
इश्क़ था सो बे वफ़ाई कर गया
आरज़ू-ए-इश्क़ दिल में रह गई
जुस्तजू-ए-इश्क़ से दिल भर गया
दिल की दुनिया दर्द का बाजार है
दर-ब-दर…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on January 13, 2022 at 12:30pm — 6 Comments
1212 1122 1212 112
यूँ उम्र भर रहे बेताब देखने के लिये
किसी कँवल का हंसीं ख़ाब देखने के लिये
कहाँ थे देखो सनम हम कहाँ चले आये
वो गुलबदन के वो महताब देखने के लिये
न जाने कब से हक़ीक़त की थी तलब हमको
न जाने कब से थे बेताब देखने के लिये
छुआ तो जाना हर इक ख़्वाब था धुआँ यारो
बचा न कुछ भी याँ नायाब देखने के लिये
क़रीब जा के हर एक चीज खोयी है हमने
लुटे हैं ज़िंदगी शादाब देखने के…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on October 10, 2021 at 12:00pm — 8 Comments
1222 1222 1222 1222
ज़ुमुररुद कब किसी मुफ़्लिस के घर चूल्हा जलाता है
मिरी जाँ ये तो बस शाहों कि पोशाकें सजाता है
रिआया भी तो देखो कितनी दीवानी सी लगती है
उसी को ताज़ कहती है जो इनके घर जलाता है
नगर में नफ़रतों के भी महब्बत कौन समझेगा
ए पागल दिल तू वीराने में क्यों बाजा बजाता है
हमारे हौसले तो कब के आज़ी टूट जाते पर
ये नन्हा सा परिंदा है जो आशाएँ जगाता है
कोई बेचे यहाँ आँसू तो कोई…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on June 24, 2021 at 6:00pm — 8 Comments
122 122 122 122
उठाकर शहंशह क़लम बोलता है
चढ़ा दो जो सूली पे ग़म बोलता है
ये फरियाद लेकर चला आया है जो
ये काफ़िर बहुत दम ब दम बोलता है
जुबाँ काट दो उसकी हद को बता दो
बड़ा कर जो कद को ख़दम बोलता है
गँवारों की वस्ती है कहता है ज़ालिम
किसे नीच ढा कर सितम बोलता है
बिठाता है सर पर उठाकर उसी को
जो कर दो हर इक सर क़लम बोलता है
बड़ी बेबसी में है जीता वो ख़ादिम
बड़ाकर जो…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on June 15, 2021 at 4:30pm — 6 Comments
1222 1222 1222 1222
अज़ीब इस दिल की बातें हैं अज़ीब इसके तराने हैं
अज़ीब ही दर्द है इसका अज़ीब ही दास्तानें हैं
अज़ीब अंज़ाम है इसका अज़ीब आग़ाज़ करता है
अगर जो टूट भी जाये तो ना आवाज़ करता है
कभी सुरख़ाब करता है कभी बेताब करता है
दिल ए नादाँ............. दिल ए नादाँ...........
दिल ए नादाँ हर इक ख़्वाहिश को ही आदाब करता है
ये करतब कितनी आसानी से यारो दिल ये करता है
कभी ये ज़ख़्म देता है,…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on June 10, 2021 at 10:23am — 2 Comments
2122 1122 22
लाओ जंजीर मुझे पहना दो
मेरी तकदीर मुझे पहना दो
तुम ख़ुदा हो तो ये डर कैसा है
मेरी तहरीर मुझे पहना दो
जो भी चाहो वो सज़ा दो मुझको
जुर्म ए तामीर मुझे पहना दो
पहले काटो ये ज़ुबाँ मेरी फिर
कोई तज़्वीर मुझे पहना दो
मुफ़्लिसी ज़ुर्म अगर है मेरा
सारी ताजी़र मुझे पहना दो
आज आया हूँ मैं हक की खातिर
कोई तस्वीर मुझे पहना दो
मौलिक व…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on June 2, 2021 at 12:30pm — 9 Comments
22 22 22 22 22 22 22 1
कोई करता है उद्धार कोई करता अत्याचार
इस रंगमंच दुनिया में है सबका अपना किरदार
सुख दुख जीवन के हैं साथी क्यों रोता है तू यार
मिट ही जायेंगे सारे दुख जब छूटेगा संसार
जी भर के जीले हर इक पल ज़िद करना है बेकार
तन्हाई में कितने मौसम गुजरे हैं कितनी बार
कोई तो मिल जाये दिल कस्ती वाला इस पार
बैठे हैं साहिल पर कब से लेकर खाली पतवार
ऐसे भी तो ना घूमा कर लेकर दुख का…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on May 28, 2021 at 9:00am — 2 Comments
2122 1212 22
नेकियों का अता नहीं मिलता
खुल्द से वास्ता नहीं मिलता
क्यों भला दिल दुखाने वालों को
दंड बाद ए ख़ता नहीं मिलता
तुझको मेरा पता नहीं मिलता
मुझको तेरा पता नहीं मिलता
ऐ ख़ुदा है भी तू या फ़िर कि नहीं
तुझसे क्यों राब्ता नहीं मिलता
कौन ऐसा है जो कि मुफ्लिस के
ज़िस्म को नोंचता नहीं मिलता
दिल की मंज़िल भी कोई मंजिल है
आज़ तक रास्ता नहीं…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on May 19, 2021 at 9:44am — No Comments
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माँ की ममता सारी खुशियों से प्यारी होती है
माँ तो माँ है माँ सारे जग से न्यारी होती है
मैंने शीश झुकाया जब चरणों में माँ के जाना
माँ के ही चरणों में तो जन्नत सारी होती है
दुनिया भर की धन दौलत भी काम नहीं आती जब
माँ की एक दुआ तब हर दुख पे भारी होती है
माँ से ही हर चीज के माने माँ से ही जग सारा
माँ ख़ुद इक हस्ती ख़ुद इक ज़िम्मेदारी होती है
और बताऊँ क्या मैं तुमको आज़ी माँ की…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on May 9, 2021 at 3:29pm — 6 Comments
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