For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: उठाकर शहंशाह क़लम बोलता है

122 122 122 122

उठाकर शहंशह क़लम बोलता है

चढ़ा दो जो सूली पे ग़म बोलता है

ये फरियाद लेकर चला आया है जो

ये काफ़िर बहुत दम ब दम बोलता है

जुबाँ काट दो उसकी हद को बता दो

बड़ा कर जो कद को ख़दम बोलता है

गँवारों की वस्ती है कहता है ज़ालिम

किसे नीच ढा कर सितम बोलता है

बिठाता है सर पर उठाकर उसी को
जो कर दो हर इक सर क़लम बोलता है

बड़ी बेबसी में है जीता वो ख़ादिम

बड़ाकर जो हर ज़ख़्म कम बोलता है

खटकता है ममलूक आज़ाद क्यों हैं

हों इन्सां की जातें अहम बोलता है

फ़क़त रोक ने पर ही मनमानियों को

कि हर धर्म क्यों मुख़्ततम बोलता है

बताते हैं ख़ुद को जो इक कद्द-ए-आदम

उन्हें कौन कब क्रूर कम बोलता है

हक-ए-दर ग़रज़ पर फ़ना होने आये

फ़क़िरों का जज़्ब ए दम बोलता है

हमें सूलियां क्या मिटा पायेंगी अब

जख़ीरों का हर इक क़दम बोलता है

यहीं ख़ाक होना तुझे भी मुझे भी

किसे फ़िर तू वाइज़ अधम बोलता है

लगाता नहीं कोई अब मरहम "आज़ी"

दिली मरहमों को अलम बोलता है

मुख़्ततम - समाप्त

मौलिक व अप्रकाशित

आज़ी तमाम

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aazi Tamaam on June 21, 2021 at 4:52pm

सादर प्रणाम गुरु जी

सहृदय शुक्रिया ग़ज़ल तक आने व बारीकियों से गलतियां बताने के लिये

जी गुरु में ख़तम और वहम की जगह कुछ और खोजने का प्रयास करता हूँ

बाकी शैर भी दुरुस्त करने की कोशिश करता हूँ

सादर

Comment by Samar kabeer on June 21, 2021 at 3:02pm

जनाब आज़ी तमाम जी आदाब, ग़ज़ल अभी समय चाहती है ।

'उठाकर शहंशाह क़लम बोलता है'

इस मिसरे में 'शहंशाह' को "शहंशह' कर लें,वज़्न दुरुस्त हो ज़्एएग ।

'गलीचों की वस्ती है कहता है ज़ालिम'

इस मिसरे में 'गलीचों' शब्द ग़लत है,सहीह शब्द 'ग़ालीचा' और इसका बहुवचन 'ग़ालीचों' होगा ।

'कि हर धर्म ख़ुद को ख़तम बोलता है'

इस मिसरे पर जनाब निलेश जी बता ही चुके हैं, एक बात ध्यान में रखें कि फ़िल्मी गाने काम चलाऊ होते हैं,और शाइर आम नहीं ख़ास होता है,उम्मीद है समझ गये होंगे ।

'ज़माना उन्हें बे-रहम बोलता है'

इस मिसरे में सहीह शब्द 'बेरह्म' 221 है,देखियेगा ।

'फ़क़िरों का जज्बा ए दम बोलता है'

इस मिसरे में 'जज़्ब-ए-दम' सहीह शब्द है ।

मक़्ते के सानी पर भी जनाब निलेश जी बता चुके हैं ।

Comment by Aazi Tamaam on June 16, 2021 at 6:07pm

सादर प्रणाम आ धामी सर

हौसला अफ़ज़ाई के लिये सहृदय शुक्रिया

सर ख़तम की जगह बे दम और वहम की जगह सितम सही वज्न के साथ आ तो जायेंगे लेकिन

शैर की तीव्रता कम हो जायेगी

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 16, 2021 at 11:53am

आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन । गजल का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई। 

भाई नीलेश जी की बात पर गौर करें । यदि इस तरह लेना सही होता तो वे ऐसा कतई नहीं कहते । सादर...

Comment by Aazi Tamaam on June 16, 2021 at 10:18am

सादर प्रणाम आ नीलेश जी

सहृदय शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिये

जी सर मात्राएँ 21 हैं दोनों की लेकिन क्या हम आम तद्भव बोलचाल वाली भाषा के हिसाब से इनको नहीं रख सकते सर क्योंकि हमरी अटरिया पे जो गाना है उसमें खत्म को खतम उच्चारण किया गया है सुनने में अच्छा भी लगता है

सुझाव दें

सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 16, 2021 at 9:34am

आ. आज़ी भाई,
अच्छा प्रयास हुआ है ग़ज़ल का...
खतम और वहम की मात्राएँ देख लें..
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
6 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service