For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रामभरोसे को कोई नहीं ढूँढ रहा ( अतुकान्त)

रामभरोसे को कोई नहीं ढूँढ रहा
 
कब वो पिट्ठू बैग लादे 
पगलाया घबराया सा निकल लिया
वापस गाँव को
किसी को नहीं पता 
कोई ढूँढे भी क्यों 
किसके पास फुर्सत है  इस व्यस्त शहर में
हर दिन रामभरोसे आते जाते 
मरते खपते रहते हैं
मुख पर पट्टी बाँधे घबराया शहर
आज खुद व्याकुल है 
ऐसे भीड़ बढ़ाते रामभरोसों को कौन पूछे
 
बस रामभरोसे का ठेला दुखी है 
रामभरोसे को याद करते हुए
 
महानगर में दिन भर 
धक्के खाते रामभरोसे का साथी   
उसका ठेला ,फिक्रमंद है उसके लिये
ठेले की  खुरदुरी लकड़ी पर 
बदन टिकाये रात को
सब दर्द खुशी साझा करता था रामभरोसे
रोता था माँ को याद करके
बहन को याद करके
बाप से गुस्सा था  
पैसा कमाकर ही लौटेगा गाँव
ठान रखी थी
 
पर आज वो लौट गया खाली हाथ 
पैरों में कहाँ से आ गया इतना जुनून
कि पैदल ही चल पड़ा
शायद माँ ने कहा होगा लौट आ
मरेंगे तो साथ मरेंगे
भूख से या  महामारी से
शायद बाप ने भी ये ही कहा हो
या शायद नहीं कहा हो
पर कहना चाह रहा हो
 
राजमार्गों पर आज भीड़ है
घर लौटते रामभरोसों की
पैदल  या भेड़ बकरियों की तरह  
ट्रकों बसों में भरकर
रामभरोसों को नोंचते चील कौव्वों
की तो चल पड़ी
इनपर आँसू बहाकर 
अपनी गोटियाँ जमाने वालों 
की भी चल पड़ी 
 
कोई तो कह दे 
मत जाओ यहीं रहो डरो मत
इस आशा में किसी रामभरोसे ने
देखा तो होगा पीछे मुड़कर जरूर 
और फिर चुपचाप 
आगे बढ़ गया होगा राम के भरोसे
  
*****
प्रतिभा पाण्डे
मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 581

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on May 24, 2020 at 12:39pm

उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिं ह जी

Comment by pratibha pande on May 24, 2020 at 12:37pm

रचना पर उपस्थित होकर उसके मर्म के अनुमोदन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी

Comment by pratibha pande on May 24, 2020 at 12:35pm

रचना पर उत्साहवर्धक टिप्पणीं के लिये हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी

Comment by pratibha pande on May 24, 2020 at 12:33pm

रचना पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी

Comment by नाथ सोनांचली on May 20, 2020 at 4:09pm

आद0 प्रतिभा पांडेय जी  सादर अभिवादन। राम भरोसे के रूप में बढ़िया भावपरक और सामयिक रचना पर बधाई स्वीकार कीजिए

Comment by TEJ VEER SINGH on May 20, 2020 at 12:12pm

हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा पांडे जी। मार्मिक प्रस्तुति।एक राम भरोसे को प्रतीक मान कर आज के मजदूर की दुर्दशा का सजीव चित्रण।कड़वी सच्चाई है जाने कितने राम भरोसे लील गयी ये शहरी चकाचौंध।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 19, 2020 at 9:17am

आ. प्रतिभा बहन, अच्छी समसामयिक रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on May 18, 2020 at 2:58pm

मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,अच्छी रचना हुई, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service