उम्रभर।
मोतबर।।
मुश्किलें।
तू न डर।।
ताकती।
इक नज़र।।
धूप में।
है शज़र।।
वो तेरा।
फिक्र कर।।
रात थी।
अब सहर।।
इश्क़ ही।
शै अमर।।
मौलिक/अप्रकाशित
राम शिरोमणि पाठक
Comment
आ. भाई राम शिरोमणि जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
यानी रामशिरोमणी भाई एक रुक्नी पर हाथ आज़मा रहे हैं ! बढिया प्रयास हुआ है..
शुभातिशुभ
आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी, नमस्कार। बहुत ही उम्दा रचना की प्रस्तुति के लिए बधाई ।
जनाब राम शिरोमणि पाठक जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है,इस पर बधाई स्वीकार करें ।
बहुत बहुत आभार गुमनाम भाई।।सादर
वाह वाह वाह वाह..... कमाल श्रीमान वाह
बहुत बहुत आभार आरिफ़ भाई।।सादा
राम शिरोमणि जी आदाब,
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
बहुत आभार बसंत जी।।सादर
वाह बहुत खूब
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