रांची का रेलवे स्टेशन.
फुलमनी ने देखा है
पहली बार कुछ इतना बड़ा .
मिटटी के घरों और
मिटटी के गिरिजे वाले गाँव में
इतना बड़ा है केवल जंगल.
जंगल जिसकी गोद में पली है…
ContinueAdded by Neeraj Neer on October 26, 2013 at 9:30am — 20 Comments
“इन्सपैक्टर साहब, मैं तो कहती हूँ कि हो न हो मेरे गहने मेरी सास ने ही चुराए हैं..... बहुत तिरछी नज़र से देखती थी उनको...... अब सैर के बहाने चंपत हो गई होगी उन्हें लेकर।“ – बड़े गुस्से में रौशनी ने कहा
वहीं रौशनी का पति दीपक चुपचाप खड़ा था।
इससे पहले की इन्सपैक्टर साहब कुछ कहते रौशनी की सास घर वापस लौटती दिखी। अपने घर पर भीड़ देखकर वे कुछ परेशान हुईं और कारण जानकर वे फिर से साधारण हो गईं जैसे कि वे चोर के बारे में जानती हों। अंदर अपने कमरे में जाकर वो दो कड़े और एक चेन लेकर वापस…
ContinueAdded by Sushil.Joshi on October 26, 2013 at 6:30am — 26 Comments
लोभ कपट को त्यागकर ,रखो परस्पर नेह !
शुद्ध विचारों से करो ,शीतल अपनी देह !!१
याचक भी राजा बना ,राजा मांगे भीख !
काल चक्र से भी तनिक ,ले लो भाई सीख !!२
इतना तुम क्यूँ रो रहे ,भाई घोंचू लाल !
किसने पीटा आपको ,गाल दिखे हैं लाल!!३
अधर तुम्हारे पुष्प से ,मेरे प्यासे नैन !
जिस दिन तुम दिखती नहीं ,रहता हूँ बेचैन !!४
उन्हें देख जलने लगा ,मन का बुझा चिराग !
शनै: शनै: अब फैलती ,पूरे तन में आग…
Added by ram shiromani pathak on October 25, 2013 at 6:51pm — 24 Comments
बह्र-ए-मुतदारिक-मुसम्मन-सालिम
फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन
२१२.....२१२.....२१२.....२१२
इश्क में हम यूं हद से गुजर जायेंगे
आओगे पीछे पीछे जिधर जायेंगे
आजमाने की खुद को जरूरत नहीं
जादू जब चाह लें तुम पे कर जायेंगे
चाहने वाले तुमको कई होंगे पर
एक हम होंगे जो हँस के मर जायेंगे
जो सहारा तुम्हारा मिला जानेमन
तो अमर हम मुहब्बत को कर जायेंगे
हम तो 'चर्चित' हैं पहले से ही इश्क में
अब तुम्हें साथ चर्चित यूं…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on October 25, 2013 at 6:38pm — 16 Comments
बेहतर था
कुछ कमी न होती,
आँखों में
यूँ नमी न होती...
तुम न आते गर
‘’जान ‘’यूँ
अधूरी न होती...
बंद ही रहता
अँधेरा कमरा,
रौशनी की
फिर गुंजाइश न होती...
न देखते सपने
न पंखों की
उडान होती...
फूंका न होता
दिल अपना,
तुम्हारी हाथ सेकने की
जो फरमाइश न होती...
तुम्हारा ख्याल ही जो
झटक दिया होता,
मेरे प्यार की
फिर पैमाइश न होती...
प्यार न…
ContinueAdded by Priyanka singh on October 25, 2013 at 6:27pm — 21 Comments
१-मीठा ज़हर
आज फिर खाली हाथ लौटा घर को
मायूसी का जंगल उग आया है
चारों तरफ
फिर भी मै
हँस के पी जाता हूँ दर्द का मीठा ज़हर
२- एहसान
एक एहसान कर दो
जाते जाते
समेट कर ले जाओ अपनी यादें ।
आज जी भर कर सोना है मुझे
३-महान
सम्मान बेचकर भी
ह्रदय अब तक स्पंदित है
आप महान हो
४-तकिया
अब बहुत अच्छी नींद आती है मुझे
पता है क्यूँ?…
Added by ram shiromani pathak on October 25, 2013 at 4:30pm — 32 Comments
बह्र : फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
मेरे संगदिल में रहा चाहती है
वो पगली बुतों में ख़ुदा चाहती है
सदा सच कहूँ वायदा चाहती है
वो शौहर नहीं आइना चाहती है
उतारू है करने पे सारी ख़ताएँ
नज़र उम्र भर की सजा चाहती है
बुझाने क्यूँ लगती है लौ कौन जाने
चरागों को जब जब हवा चाहती है
न दो दिल के बदले में दिल, बुद्धि कहती
मुई इश्क में भी नफ़ा चाहती है
---------
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 25, 2013 at 1:50pm — 25 Comments
रावण जितने देश में घूम रहे हैं आज
हर बाला सहमी हुई, फैला रावण राज
फैला रावण राज, माँ बहनों को बचाओ
कपटी, नेता, भ्रष्ट ,जेल इन्हें पहुँचाओ
नहीं जमानत होय, बेल लें पापड़ कितने
घूम रहे हैं आज देश में रावण जितने //
.............मौलिक व अप्रकाशित ........
Added by Sarita Bhatia on October 25, 2013 at 1:38pm — 15 Comments
इक शख़्स इस हयात का नक़्शा बदल गया।
दिल के चमन का रंगो बू सारा बदल गया॥
सोचा था अब न प्यार करेगा किसी से दिल,
उससे मिला तो सारा इरादा बदल गया॥
महफिल में हो रही थी उसी की ही गुफ़्तगू,
देखा उसे तो सबका ही चेहरा बदल गया॥
जबसे उसे सहारा किसी और का मिला,
उस दिन से बातचीत का लहज़ा बदल गया॥
अब रात दिन ख़यालों में ख़्वाबों में है वही,
अंदाज़ मेरे जीने का सारा बदल गया॥
आए गए हज़ार मगर कुछ नहीं…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on October 25, 2013 at 1:00am — 16 Comments
घर में वह नोट कितना बड़ा लग रहा था , मगर बाज़ार में आते ही बौना हो कर रह गया । वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या खरीदें , क्या न खरीदें । मुन्ना निश्चय ही पटाखे - फुलझड़ियों का इंतज़ार कर रहा होगा । उसकी बीवी खोवा, मिठाई , खील- बताशे और लक्ष्मी - गणेश की मूर्तियों की आशा लिए बैठी होगी, ताकि रात की पूजा सही तरीके से हो सके ।
वह बड़ी देर तक बाज़ार में इधर उधर भटकता रहा । शायद कहीं कुछ सस्ता मिल जाए । मगर भाव तो हर मिनट में चढ़ते ही जा रहे थे । हार कर उसने कुछ भी खरीदने का इरादा छोड़ दिया ।…
Added by ARVIND BHATNAGAR on October 24, 2013 at 9:00pm — 23 Comments
मैं लेटा हूँ घास पर / सूखी भूरी घास
जिसके होने का एहसास भर है
जमीन गरम है
लेकिन लेटा हूँ
धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी
तपन की अनुभूति
उड़े जा रहे हैं
पंछी एक ओर
शरीर के नीचे
रेंगती चींटियाँ
पास ही खेलते कुछ बच्चे
कुछ लोग भी
इधर-उधर छितरे, घूमते-बैठे
मैं निरपेक्ष
लेटा तकता आसमान
कि कभी टूटकर गिरेगा
और धरती का
रंग बदल जाएगा
…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on October 24, 2013 at 8:00pm — 29 Comments
2122 1212 22
ज़र्फ़ अंदर न पास है दिल में
आ गया हूँ ,अदब की महफ़िल में
वक़्त रद्दे अमल का आया तो
तुम रहम खोजते हो क़ातिल में
कुछ तड़प , दर्द और बेचैनी
और क्या खोजते हो…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on October 24, 2013 at 7:00pm — 37 Comments
मुहब्बत में न जाने क्यों अजब सी झुन्झुलाहट है,
निगाहों से अचानक गर बहें आंसू समझ लेना,
सितम ढाने ह्रदय पर हो चुकी यादों की आहट है,
दिखा कर ख्वाब आँखों को रुलाया खून के आंसू,
जुबां पे बद्दुआ बस और भीतर चिडचिड़ाहट है,
चला कर हाशिये त्यौहार की गर्दन उड़ा डाली,
दिवाली की हुई फीकी बहुत ही जगमगाहट है,…
Added by अरुन 'अनन्त' on October 24, 2013 at 4:30pm — 25 Comments
दर्दे-दिल दीजिये या दवा दीजिये
बस जरा सा सनम मुस्कुरा दीजिये /१
लूट ले जायेगा कोई रहजन सनम
आप दिल को हमीं में छुपा दीजिये /२
आखरी साँस भी ले गया डाकिया
पढ़! उसे भी ख़ुशी से जला दीजिये /३
नींद को ठंड लग जाएगी ऐ खुदा
लीजिये जिस्म मेरा उढ़ा दीजिये /४
लग रहा है थका वक़्त भी घूमकर
पांव उसके दबाकर सुला दीजिये /५…
ContinueAdded by Saarthi Baidyanath on October 24, 2013 at 1:30pm — 22 Comments
राहुल और निधि कब एक दूसरे के हो गये पता ही नही चला | दोनों ने साथ साथ जीने मरने की कसमें खायीं थीं । निधि के घरवाले इस शादी के सख्त खिलाफ थे, किन्तु निधि की जिद के आगे उनकी एक न चली और अंतत: उन्हें शादी के लिए अपनी रज़ामंदी देनी ही पड़ी।
निधि उस दिन ऑफिस से जल्दी ही निकल गई, वह राहुल को यह खुशखबरी देना चाहती थी । निधि दरवाजे की घंटी बजाने ही वाली थी कि राहुल के कमरे से आ रही तेज आवाज़ों को सुन रुक गई,
"अरे राहुल, शादी की मिठाई कब खिला रहा है…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2013 at 12:30pm — 31 Comments
२१२२ १२१२ २२
.
वक़्त ज़ाया करो, न राहों में,
मंजिलों को रखो निगाहों में.
.
फूल ही फूल दिल में खिलते है,
आप होते हो जब भी बाहों में.
.
है नुमाया पता नहीं क्या कुछ,
और क्या कुछ छुपा है चाहों में.
.
तख़्त ताज़ों को ये उलट देंगी,
वो असर है मलंग की आहों में.
.
है डराती मुझे मेरी वहशत,
तू मुझे ले ही ले पनाहों में.
.
आज है वक़्त तू संभल नादां,
क्यूँ फंसा है बता गुनाहों में.
.
साथ देने लगे हो…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on October 24, 2013 at 11:47am — 14 Comments
मेरे प्रियवर .............
स्नेह सिक्त हृदय
तुम रहते प्राण बन
जीवन की अविरल धारा
तुम रहते अठखेलियाँ बन
तुम मेरे प्रियवर.............
मद युक्त नयन
तुम रहते काजल रेख बन
शीश पर चमकते
यों सिंदूरी रेख बन
तुम मेरे प्रियवर.....................
तुमसे ही है जीवन
हर शाम सिंदूरी
फूलों सा महके सिंगार
संग तुम्हारा अनुपम फुलवारी ॥
मेरे प्रियवर.................
.
अन्नपूर्णा…
ContinueAdded by annapurna bajpai on October 24, 2013 at 10:30am — 22 Comments
हार्इकू (सत्ता ही भत्ता)
//1//
कन्या कुमारी
फैशन की बीमारी
पार्क घुमा री!
//2//
सुन्दर बेटी
भारतीय संस्कार
फूटती ज्वाला।
//3//
बेटी गहना
जुआरी क्या कहना
नेता आर्इना।
//4//
जय माता दी!
धार्मिक बोलबाला
देश में हिंसा।
//5//
लोक तंत्र क्या?
बलवा-व्यभिचार
जनता उदास।
//6//…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 24, 2013 at 8:30am — 20 Comments
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on October 24, 2013 at 8:10am — 9 Comments
ये जो पुराना दरख्त है
इससे बहुत पुराना संबंध है
पंक्षी भी अब रात गुजारने नहीं आते
आते हैं कुछ देर ठहर के चले जाते
इसे अब पानी भी अब कोई नहीं देता
अब तो इसकी कोई छांव भी नहीं लेता
बड़ी रौनक थी आँगन मे इसकी
बड़ी चमक थी चेहरे पे इसकी
बूढ़ा दरख्त इसे याद करके काँप गया ...
इक थरथर्राहट सी करी ....
और शांत हो गया
ये जो पुराना दरख्त है ...
इससे बहुत पुराना संबंध हैं .... ।
"मौलिक…
ContinueAdded by Amod Kumar Srivastava on October 24, 2013 at 6:30am — 12 Comments
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