For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

June 2024 Blog Posts (9)

दोहे आज के. . . .

दोहे आज के .....

बिगड़े हुए समाज का, बोलो दोषी कौन ।

संस्कारों के ह्रास पर, आखिर हम क्यों मौन ।।

संस्कारों को आजकल, भला पूछता कौन ।

नंगेपन  के प्रश्न पर,  आखिर हम क्यों मौन ।।

नर -नारी के मध्य अब, नहीं शरम की रेख ।

खुलेआम अभिसार का, देख तमाशा देख ।।

सरेआम अब हो रहा, काम दृष्टि का खेल ।

युवा वर्ग में आम अब, हुआ अधर का मेल ।।

सभी तमाशा देखते, कौन करे प्रतिरोध ।

कल के बिगड़े रंग का, नहीं किसी को बोध ।।

कर में कर को थाम कर, चले…

Continue

Added by Sushil Sarna on June 27, 2024 at 9:27pm — No Comments

ग़ज़ल

2122    1212   112/22

*

ज़ीस्त  का   जो  सफ़र   ठहर   जाए

आरज़ू      आरज़ू      बिख़र     जाए

 

बेक़रारी    रहे     न    कुछ    बाक़ी

फ़िक्र   का   दौर    ही    गुज़र जाए…

Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on June 25, 2024 at 3:30pm — 2 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबन

बुआ बांधे रिबन गुलाबी

लगता वही अकल की चाबी

रिबन बुआ ने बांधी काली

करती बालों की रखवाली

रिबन बुआ की जब नारंगी

हाथ में रहती मोटी कंघी

रिबन बुआ जब बांधे नीली

आसमान सी हो चमकीली

हरी लाल हो रिबन बुआ की

ट्रैफिक सिग्नल जैसी झांकी 

बुआ रिबन जो बांधे पीली

याद आती है दाल पतीली

रिबन सफेद बुआ ने डाले

उड़े कबूतर दो…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on June 24, 2024 at 10:43pm — 2 Comments

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122

-------------------------------

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में

वो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी में

दिखाई ही न दें मुफ़्लिस जहां से

न हो इतनी बुलंदी बंदगी में

दुआ करना ग़रीबों का भला हो …

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 22, 2024 at 3:30pm — 5 Comments

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठ



अभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।

सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार ।।

झूठों के बाजार में, सत्य खड़ा लाचार ।

असली की साँसें घुटें, आडम्बर भरमार ।।

आकर्षक है झूठ का, चकाचौंध संसार ।

निश्चित लेकिन झूठ की, किस्मत में है हार ।।

सच के आँगन में उगी, अविश्वास की घास ।

उठा दिया है झूठ ने, सच पर से विश्वास ।।

झूठ जगाता आस को, सच लगता आभास ।

मरीचिका में झूठ की, सिर्फ प्यास ही प्यास ।।

सत्य पुष्प पर झूठ…

Continue

Added by Sushil Sarna on June 18, 2024 at 9:13pm — No Comments

दोहा पंचक. . . . .सागर

दोहा पंचक. . . सागर

उठते हैं जब गर्भ से, सागर के तूफान ।

मिट जाते हैं रेत में, लहरों के अरमान ।।

लहर- लहर में  रेत पर, मचलें सौ अरमान ।

मौन तटों पर प्रेम की, रह जाती पहचान ।।

छलकी आँखें देख कर, सूना सागर तीर ।

किसके  अश्कों ने  किया, खारा सागर नीर ।।

कौन बनाता है भला, सागर तीर मकान ।

अरमानों को लीलता,  इसका हर तूफान ।।

देखा पीछे पर कहाँ, जाने गए निशान ।

हर वादे को दे गया, घाव एक तूफान ।।

सुशील सरना /…

Continue

Added by Sushil Sarna on June 10, 2024 at 1:00pm — 6 Comments

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२

कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना

आँखों को किसने सीखा है दिल से टटोलना ।१।

*

कौशल तुम्हें तो आते हैं ढब माप तौल के

जब चाहो खूब नींद को सपनों से तोलना।२।

*

कब जाग जाये कौन  सा  बदज़ात जानवर

सीमा के हर कपाट को खुलकर न खोलना ।३।

*

करना हमेशा अन्न का जीवन में मान तुम

चाहे पड़े  भकोसना  या फिर कि चोलना।४।

*

चक्का समय का घूम के लौटा है फिर वहीं

जिस में…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 8, 2024 at 5:44am — No Comments

दोहा सप्तक ..रिश्ते

दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते

रिश्ते नकली फूल से, देते नहीं सुगंध ।

अर्थ रार में खो  गए, आपस के संबंध ।।

रिश्तों के माधुर्य में, आने लगी खटास ।

मिलने की  ओझल हुई, संबंधों में प्यास ।।

गैरों से रिश्ते बने, अपनों से हैं दूर ।

खून खून से अब हुआ, मिलने से मजबूर ।।

झूठी हैं अनुभूतियाँ , कृत्रिम हुई मिठास ।

रिश्तों को आते नहीं, अब रिश्ते ही रास ।।

आँगन में खिंचने लगी, नफरत की दीवार ।

रिश्तों की गरिमा…

Continue

Added by Sushil Sarna on June 7, 2024 at 8:30pm — 6 Comments

दोहा पंचक. . . . .दम्भ

दोहा पंचक. . . . . दम्भ

हर दम्भी के दम्भ का, सूरज होता अस्त ।

रावण जैसे सूरमा, होते देखे पस्त । ।

दम्भी को मिलता नहीं, जीवन में सम्मान ।

दम्भ कुचलता जिंदगी, की असली पहचान ।।

हर दम्भी को दम्भ की, लगे सुहानी नाद ।

इसके मद में चूर वो, बन जाता सैयाद ।।

दम्भ शूल व्यक्तित्व का, इसका नहीं निदान ।

आडम्बर के खोल में, जीता वो इंसान ।।

दम्भी करता स्वयं का, सदा स्वयं अभिषेक ।

मैं- मैं को जीता सदा, अपना हरे…

Continue

Added by Sushil Sarna on June 2, 2024 at 6:56pm — No Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service