आदरणीय साथिओ,
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बदले की भावना में आखिर एक संवाद को ही अनुत्तरित प्रश्न बना कर संवाद कहने वाले के सामने खड़ा कर दिया, बहुत अच्छे विषय का चयन किया है आदरणीय वीर मेहता भाई जी| सादर बधाई स्वीकार करें| सादर दो प्रश्न पूछना चाहूँगा, एक, //वह रोज़ लिफ्ट मांगती थी और कई लोगों के अनुसार नित साथी ढूँढती थी// इनका अर्थ मेरे अनुसार यह है कि वह कई लोगों से लिफ्ट मांगती थी, लेकिन बाद में रचना में यह स्पष्ट होता है कि वह रचना के नायक से ही लिफ्ट मांगने के लिए खड़ी रहती थी| दूसरे जब उसकी पत्नी लगभग रोज़ उसके साथ होती थी तो उसने अपने पति को कभी भी उसके बारे में नहीं बताया|
अनुत्तरित प्रश्न
महिला दिवस की चर्चा हर जगह जोरों पर थी / नारी शक्ति के गुणगान की चर्चा करते लेखों , कहानियों और कविताओं से अखबार पटे पड़े थे लेकिन इस अवसर पर सर्वाधिक चर्चा का केंद्र बिंदु था विधायक ठाकुर राम सिंह को महिला दिवस के मौके पर मिलने वाले बिशिष्ट सम्मान की / रामलीला के विशाल मैदान में कार्यक्रम में शरीक होने के लिए सभी को आमंत्रित किया गया था / दीप प्रज्वलन और सरस्वती पूजा के कार्यक्रम को आगे बढाते हुए संचालक ने कहा “ अब मैं बड़े सम्मान के साथ , जन जन के मसीहा , नारी उद्धारक , महान समाज सेवी , हम सबके बड़े भाई , माननीय विधायक ठाकुर राम सिंह जो ; जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश की आधी आवादी को खुशहाल बनाने , उन्हें स्वाभिमान के साथ जीने का हौसला देने और उनकी आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिए होम कर दिया; को श्रीफल और शाल से सम्मानित करते हुए दो शब्द बोलने के लिए आमंत्रित कर रहा हूँ “ ठाकुर राम सिंह जिंदाबाद , ठाकुर रामसिंह की जय हो “ पंडाल में चारों तरफ लोगों के सुर गूँज रहे थे / “ धन्यवाद , आप सब का जो आपने इस नाचीज को इस सम्मान के लायक समझा” कहते हुए राम सिंह ने पोडियम पर लगे माइक की तरफ बढ़ते सबका धन्यवाद ज्ञापित किया लेकिन माइक हाथ में लेते ही जैसे ही उनकी नजर सामने की दीर्घा में बैठी अपने संगठन के एक दिवंगत कर्मचारी की बिधवा उर्मिल और उसके गोद में बैठे नन्हे मासूम पर पडी तो उन्हें मूसलाधार बरसात की रात में अपने तेज ज्वर से तपते पति की दवाई के लिए गिदगिड़ाती उर्मिला, उसके पति को डॉक्टर के यहाँ गाडी और ड्राईवर के साथ भेजने पर अता की गयी कीमत और उस मासूम बच्चे से अपने रिश्ता ..सब कुछ याद आ गया और उनके चेहरे का नूर उड़ने लगा/ उन्हें लगा जैसे किसी ने उनके पैरो तले से जमीन हटा दी हो / नारियों के मसीहा के रूप में आयोजित इस बिशिष्ट समारोह में उन्हें उर्मिला की आँखों में तैरते हुए दिख रहे थे कई अनुत्तरित प्रश्न ...ठाकुर राम सिंह क्या तुम मुझे अपनी पत्नी और इस मासूम को अपने बेटे का दर्जा दे सकोगे?
मौलिक व अप्रकाशित
लघुकथा कहने का सद्प्रयास हुआ है आ० डॉ आशुतोष मिश्रा जी, हार्दिक बधाई स्वीकारेंI रचना में अभी कथ्य के स्तर पर सम्पादन की काफी गुंजाइश है, सम्प्रेष्ण भी यदि बेहतर हो जाता तो कथा का प्रभाव और भी बढ़ताI
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