For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-19 (विषय:"पलायन")

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 18 आयोजनों की अपार सफ़लता के बाद "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 19  में आपका हार्दिक स्वागत हैI प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-19
विषय : "पलायन"
अवधि : 30-10-2016 से 31-10-2016
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 30 अक्टूबर  2016 लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2.  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 8737

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

वाह, बहुत भावपूर्ण और समय के अनुकूल रचना, नए तौर तरीकों ने हमारी परंपरा को लगभग निगल ही लिया है| बहुत बहुत बधाई इस शानदार रचना के लिए 

अंतिम संवाद व अंतिम पंक्ति कथा को कथ्य सम्प्रेषण के लक्ष्य तक बाख़ूबी पहुंचाते हैं। संवाद में 'पलायन' शब्द के प्रयोग की कोई विशेष आवश्यकता नहीं थी। विषयांतर्गत बेहतरीन संदेश सम्प्रेषित करती रचना के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय वीरेन्द्र वीर मेहता जी।

हार्दिक बधाई आदरणीय वीर मेहता जी। बेहतरीन प्रस्तुति।।

//इस नई पीढ़ी को क्या कहोगे जो शहरी रंग में ड़ूब कर जमीन के साथ साथ अपनी संस्कृति और परम्पराओं से भी पलायन कर रही है।"//

वाह वाह, क्या ही भावपूर्ण और प्रभावोत्पादक लघुकथा रची है भाई वीर मेहता जी, पढ़कर आनंद आ गयाI इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति पर मेरी दिली बधाई स्वीकार करेंI 

जनाब वीरेन्द्र वीर मेहता जी आदाब,अच्छा कथानक एवं बहतरीन कसावट । पूर्ण न्याय ।
परम्परा एवं संस्कृति में ही जड़े हैं वगरना इनसे विमुख होकर तो पलायन है ।
इस शानदार लघुकथा के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।

रसीला फल

उस राज्य में सियासी सरगर्मी और बढ़ गयी, चुनावों के मौसम में दंगों के वृक्ष पर पलायन नामक एक फल लगा था। राजनीतिक दल ‘अ‘ का प्रमुख सोच रहा था, इस वृक्ष को मैनें सींचा है, पानी दिया है इसलिये यह फल मेरे लोग खायेंगे, उसी तरह राजनीतिक दल ‘ब‘ का प्रमुख भी सोच रहा था कि इस पेड़ का बीज हमने बोया है, इसलिये इस फल को खाने के अधिकारी मेरे लोग हैंj

दोनों दलों के लोग उस वृक्ष के पास पहुँच गये और अपने-अपने तरीके से उस फल को तोड़ने का प्रयास करने लगे। लेकिन एक दल के कार्यकर्ता उस फल को तोड़ने वृक्ष के ऊपर चढ़ते तो दूसरे दल के कार्यकर्ता शोर मचा कर उन्हें उतार देते और ऐसा ही दूसरे दल के साथ भी होता। आखिर दोनों जनता की अदालत में चले गए, लेकिन उस अदालत के अनुसार दंगो का वृक्ष अवैध और अनैतिक था।

‘अ‘ के प्रमुख ने रंग बदलते हुए अपनी पैरवी में कहा, "दंगों के पेड़ का बीज 'ब' ने बोया है, इसलिये ‘ब’ बुरा है।" 

और ‘ब‘ के प्रमुख ने भी समय को पहचान कर अपनी दलील में कहा, "दंगों के पेड़ को 'अ' ने सींचा है, अतः ‘अ’ बुरा है।"

उसी समय यह समाचार आया कि एक और जगह अकाल नाम का पेड़ अपने आप ही उग आया है और ‘किसान-पलायन’ नाम का एक फल उस पर भी लगा है।

दोनों दलों के प्रमुखों ने तब धीमे स्वर में अपने कार्यकर्ताओं से कहा, "उस राज्य में फ़िलहाल चुनाव का मौसम नहीं है, इसलिए वहां के फल में रस की सम्भावना नहीं।"

और बहस पुनः प्रारंभ हो गयी।

(मौलिक व अप्रकाशित)

बहुत ही अनुपम गूढ़ प्रतीकात्मक शैली के लघुकथा सृजन के लिए तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय चन्द्रेश कुमार छतलानी जी! मेरे विचार से रचना राजनीतिक दलों की अवसरवादिता को प्रतिबिम्बित कर रही है। सामान्य पाठकों के लिए यह रचना कुछ क्लिष्ठ भी कही जा सकती है। // एक और जगह अकाल नाम का पेड़ अपने आप ही उग आया है // यह पेड़ उसी राज्य में उगा या किसी अन्य राज्य में, मुझे स्पष्ट नहीं हो सका।

रचना को पसंद करने और अपनी टिप्पणी द्वारा मेरे उत्साहवर्धन हेतु सादर आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब। रचना की क्लिष्टता को कम करने का अवश्य प्रयास करूंगा अकाल नामक वृक्ष किसी अन्य राज्य में उगा है, वह अगली पंक्ति में राजनीतिक दल के प्रमुखों द्वारा कहने का प्रयास किया है

बहुत खूब, आप की अपनी शैली में बढ़िया रचना विषय पर| बहुत बहुत बधाई आपको 

हार्दिक बधाई आदरणीय चंद्रेश जी। बेहतरीन प्रस्तुति।।आप हमेशा एक नयी शैली लेकर आते हो।लेखनी तो आपकी क़माल है।

रचना को पसंद करने और अपनी टिप्पणी द्वारा मेरे उत्साहवर्धन हेतु सादर आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर

रचना को पसंद करने और अपनी टिप्पणी द्वारा मेरे उत्साहवर्धन हेतु सादर आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
10 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत धन्यवाद"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service