For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 17 आयोजनों की अपार सफ़लता के बाद "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 18  में आपका हार्दिक स्वागत हैI प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18
विषय : "पर्दे के पीछे"
अवधि : 29-09-2016 से 30-09-2016 
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 29 सितम्बर 2016 लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2.  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13891

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

मोहतरमा कांता रॉय जी,शैर में ये कहा गया है कि जब हम किसी पर तब्सिरा करें,यानी उसके ऐब बताएं तो हमें अपने सामने आइना रख लेना चाहिये ।
मैने आपको जब से जाना है,देख रहा हूँ कि आप कई विधाओं में प्रयास करती हैं ,ये अच्छी बात है,लेकिन अभी तक आप किसी भी विधा में दक्ष नहीं हैं,उसका सबूत ये है कि हर आयोजन में गुणीजन आपको आपकी ग़लतियों से अवगत कराते हैं,दूसरी और आप जब किसी रचना पर टिप्पणी देती हैं तो वो इस तरह की होती है कि आप उस विधा की माहिर हों । में यहां जो भी लिख रहा हूँ आपके उकसाने पर लिख रहा हूँ ।
एक बात ये कि अनावश्यक बहस बहुत करती हैं आप,जिसकी मिसाल इसी आयोजन में देखी जा सकती है,आप कुछ भी लिखते समय ये ज़रा भी नहीं सोचतीं कि आप जिस शख़्स से मुखातिब हैं वो कौन है,मंच पर उसका मर्तबा क्या है ?
आप जो समय बहस करने में बर्बाद करती हैं,उसे किसी भी विधा के अभ्यास पर लगाएं तो वो सार्थक होगा और आप अच्छे से अच्छा लिख सकेंगी । उम्मीद है आप इस बहस को आगे नहीं बढ़ाएंगी ।
सम्मानित मंच से यह कहना चाहता हूँ कि जिस तरह कक्षा दसवीं तक छात्र सभी विषय पढ़कर सीखते हैं और अगली कक्षा में अपनी पसंद या क्षमता का विषय संकाय चुनते हैं, उसी तरह हम हिन्दी साहित्य के नज़दीक़ आकर विभिन्न विधाओं का परिचय लेने के लिए विभिन्न विधाओं में पढ़ने व लिखने की कोशिश करते हैं। पांच-सात साल बाद हम समझ सकेंगे कि हमें किस एक या दो विधाओं में विशेष योग्यता हासिल करनी है। तब तक एक से अधिक विधाओं में पढ़ने या लिखने को लेकर हतोत्साहित करने वाली टीका-टिप्पणी क्या उचित है?
मैंने यह महसूस किया है कि विभिन्न विधाओं में अज्ञानता, अनुभव हीनता होने के बावजूद उनका विधि-विधान पढ़कर आयोजनों या गोष्ठियों में रचनाओं को पढ़कर उन पर टिप्पणी लेखन करने से संबंधित विधा को सीखने समझने में मुझे काफी मदद मिलती है इन्टरनेट पर, ओबीओ पर, व फेसबुक ग्रुप्स पर भी। कम समय में बहुत ही सुविधाजनक तरीके से हमें अपने तरीके की कोचिंग मिल जाया करती है। इसका आशय यह कतई नहीं है कि हम संबंधित विषय में स्वयं को 'माहिर' समझने लगे हैं। विधा सीखने समझने का हमारा ये अपना निजी सुविधाजनक तरीका है आजकल के आपाधापी वाली जीवनशैली में। हतोत्साहित किए जाने पर हम यदि रचनाओं पर टिप्पणियाँ करना छोड़ देंगे तो हमें नुकसान ही है, लाभ कतई नहीं। हाँ, कभी यदि हमसे ग़लत टिप्पणी हो जाती है, तो वरिष्ठजन हमें समझाते, डांटते रहें, मार्गदर्शन यथासंभव देते रहें! लेकिन विधा में लेखन व टिप्पणी लेखन में कृपया हतोत्साहित करने जैसी कोई बात न कहें। इनटरनेट यूजर्स अपने निजी तरीके से इन्टरनेट से लाभान्वित होने की कोशिश तो करेंगे ही। वरना इन्टरनेट पर उपलब्ध साहित्यिक सुविधाओं का हम लाभ कैसे ले सकेंगे, विधा में पूरा कमान्ड हासिल करने के बाद ??? सादर विचाराणार्थ।

आ. कांता जी दोहरी मानसिकता लिए वर्ग पर अच्छा कटाक्ष किया है. तहेदिल से बधाई आपको

पर्दे के पीछे के ऐसे कई कटु सत्यों से गुजरती है नारी ,  आधुनिक नौकरी पेशा स्त्री के लिए तो स्थिति और भी खराब है तथाकथित आधुनिक कहे  जाने वाले पुरुषों  की सोच भी पति  बनते  ही अपने रूढीवादी भईयों जैसी हो जाती है...इस सार्थक कथा के लिए आपको बधाई प्रेषित करती हूँ आदरणीया कांता जी  

आदरणीय कांता जी बिल्‍कुल सच कहूंगा कोई भूमिका नहीं बाधू्ंगा मुझे यह रचना एक साधारण रचना लगी। आपसे बहुत बेहतर की उम्‍मीद की जाती है और खासकर इस आयोजन के लिए तो आपसे 'बेस्‍ट' की उम्‍मीद की जाती है। इस कथा से ये संदेश निकल कर आ रहा है कि अनंत ने पहले शानू से झूठे वायदे किए अब उन वायदों की कसौटी पर खरा नहीं उतर रहा- तो इसमें पर्दे के पीछे विषय को कहां तक सार्थक किया मैं संदेह में हूं। आपसे ये कहने की आवश्‍यकता बिल्‍कुल नहीं समझता कि 'आप इसे अन्‍यथा' ना लें। सादर

अच्छा लगता है आपका बेबाक होकर प्रतिक्रिया देना आदरणीय रवि जी।सच कहूँ तो करीब पंद्रह दिन पहले ही एक प्रतीकात्मक लघुकथा लिखी थी मैंने।कल शाम अपने दो पुराने साथी से और रॉय साहब से पाठकीय प्रतिक्रिया जानना चाहा तो रॉय साहब को कथा अच्छी लगी लेकिन हमारे मंच के पुराने दोनों सहयोगियों ने मुझे पूर्व में मंच पर मिले प्रतिक्रियाओं के आधार पर उन्होंने मना किया ओबीओ में उस कथा की सहभागिता के लिये। उन्होंने कहा कि मंच पर प्रतीकात्मक लघुकथा सबको समझ में नहीं आयेगी इसलिये कोई सीधा साधा सास बहू टाईप लघुकथा लिख कर पोस्ट कीजिये। और आयोजन खुलने के एक घंटे पहले ही मैंने इसको लिखा है। रॉय साहब का भी यही कहना है कि यह बहुत साधारण लिखा है मैंने। उस कथा को भी अब तक कहीं पोस्ट नहीं किया है।
मुझे वाकई में अच्छा लगता है अपनी कथाओं पर बेबाक प्रतिक्रिया पाना।आभार आपको हृदय से।

आदरणीय कांता रॉय जी /हमारे मंच के पुराने दोनों सहयोगियों ने मुझे पूर्व में मंच पर मिले प्रतिक्रियाओं के आधार पर उन्होंने मना किया ओबीओ में उस कथा की सहभागिता के लिये। उन्होंने कहा कि मंच पर प्रतीकात्मक लघुकथा सबको समझ में नहीं आयेगी इसलिये कोई सीधा साधा सास बहू टाईप लघुकथा लिख कर पोस्ट कीजिये।/ मुझे आपके जवाब पर सख्‍त एतराज है। आप तो मंच का एक तरह से अनादर कर रही हैं। आपको पाठकीय समझ पर भरोसा रखना चाहिए। आपको किसी व्‍यक्‍ित विशेष या वर्ग विशेष के लिए लिखने की आवश्‍यकता नहीं है । यदि आप सरीखी लेखिका भी पाठकीय प्रतिक्रियाओं से प्रभावित होकर अपनी कलम की धार का मुंह मोड़ देंगी तो हम जैसों का क्‍या होगा। पाठकीय प्रतिक्रियाए हर हाल में शिरोधार्य होनी चाहिएं क्‍योंकि रचना प्रकाशित/पोस्‍ट करने के बाद पाठकों की हो जाती है। मेरा उद्देश्‍य कोई विवाद या तमाशा करने का नहीं हैं क्‍योंकि मैं इन सब से कई किलोमीटर दूर रहने का प्रयास करता हूं पर ये भी सच है कि मैं आपके उत्‍तर से बहुत निराश हूं । सादर

उन्होंने कहा कि मंच पर प्रतीकात्मक लघुकथा सबको समझ में नहीं आयेगी इसलिये कोई सीधा साधा सास बहू टाईप लघुकथा लिख कर पोस्ट कीजिये।/ -----ये  क्या  कह दिया आद० कांता जी ? क्या ये मंच इतना अज्ञानी है ??? मेरे विचार से तो इस मंच से ज्यादा जड तक पंहुचकर कोई समीक्षा नहीं करता होगा ये तो आप भी मानती हैं की नहीं ?

मेरे इस जबाब से आपका दुखी होना मेरे लिये भी दुख का कारण बना है। जाने कैसे इतना कह गई। अपनी इस गैर जिम्मेदाराना जबाब के लिये आपसे क्षमाप्रार्थी हूँ। कृपया मुझे माफ कीजियेगा।
यह टिप्पणी वास्तव में घोर आपत्तिजनक है। मुझे भी आश्चर्य व दुःख हुआ है,, सम्मानित मंच के प्रति ऐसा लिखने का विचार भी नहीं आना चाहिए था!
हार्दिक बधाई वन्दनीया इस प्रस्तुति के लिए।सादर नमन

  मोहतरमा  कांता   साहिबा   ,प्रदत्त विषय को परिभाषित करती  सुन्दर  लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा त्रयी .....वेदना
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा त्रयी .....वेदना
"आ. भाई सुशील जी, सादर आभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post दिल चुरा लिया
"   आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत ग़ज़ल प्रयास की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब।"
Wednesday
Sushil Sarna posted blog posts
Tuesday
Ashok Kumar Raktale posted a blog post

दिल चुरा लिया

२२१ २१२१   १२२१  २१२  उसने  सफ़र में उम्र  के  गहना  ही  पा लियाजिसने तपा के जिस्म  को  सोना बना…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पतझड़ छोड़ वसन्त में,  उग जाते हैं शूलजीवन में रहता नहीं, समय सदा अनुकूल।१।*सावन सूखा  बीतता, कभी …See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"आदरणीय उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"आदरणीया बबिता जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service