For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-52 (विषय: अस्तित्व)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, प्रस्तुत है :  
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-52
विषय: अस्तित्व 
अवधि : 30-07-2019  से 31-07-2019 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं। 
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 6802

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीया अंजलि जी , सुंदर लघुकथा के लिए बधाई हो, बहुत ही अर्थ भरपूर रचना  

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया

वाह ताजगी से भरी रचना। शिल्प भी कसा हुआ। हार्दिक बधाई आदरणीया अंजली गुप्ता जी

हार्दिक बधाई आदरणीय अंजली जी ।प्रतीकों के माध्यम से बहुत सुंदर संदेश देती बेहतरीन लघुकथा।

आदरणीय तेजवीर जी, उत्साहवर्धन हेतु दिली शुक्रिया

आदरणीया प्रतिभा जी, उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु दिली शुक्रिया

आदरणीया तेजवीर जी ,उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु दिली शुक्रिया

आदाब। घमंडी रूपेण पहचान का वजूद अल्पकालिक भी हो सकता है। अस्तित्वहीन भी बना सकता है। प्रतीकों के कथोपकथन माध्यम से बेहतरीन सबक़ देती बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया अंजली गुप्ता जी।

आदरणीय sheikh shahzad usmani sir, उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार

     

अस्तित्व

आज एन.जी.ओ.में काम खत्म करते करते सुबोध को बहुत देर हो गई थी।थके हुए सुबोध ने रास्तेमें ही डिनर करने के विचार से एक ढाबे पर गाड़ी रोक दी।उसे देखकर मालिक ने आवाज़ दी,'छोटू ..कहाँ मर गया।सामने वाली टेबल पर कपड़ा मार,और साहेब से आर्डर ले।'

'जी मालिक'।प्लेटें धोना छोड़ कर दस साल का छोटू कपड़ा उठा कर टेबल की तरफ दौड़ पड़ा।मालिक का गुस्सा वो जानता था।'साहेब क्या लाऊँ'?टेबल पर कपड़ा मारता हुये छोटू ने पूछा।

'पहले बता,कपड़े कब से नहीं धोये?हाथ का कपड़ा ज्यादा साफ़ है'।

छोटू सकपका गया।'साहेब गलती हो गई।आज रात को ही धो लूँगा।

'छोओटूऊऊ'  नाम सुनते ही छोटू के हाथ तेज़ी से चलने लगे।

'साहेब क्या लाऊँ'।

'तुम कितने साल के हो?

'साहेब बात करना मना है।'

इतने में उसे पीछे से लात पड़ी।जितनी तेज़ी से गिरा,उतनी ही तेजी से खड़ा भी हो गया।

तभी सुबोध की कड़क आवाज़ कानों में आई,"क्यों मार रहे हो" ?

"साहेब पक्का कामचोर है"।कहता हुआ मालिक अपनी सीट की ओर चल पड़ा।पर छोटू जानता था कि आज उसे रात का खाना नहीं मिलेगा और मार पड़ेगी सो अलग।

"साहेब बताओ खाने में क्या लाऊँ?"

"एक दाल,चार रोटी और सलाद"।छोटू ने रसोई में जा कर बताया और दूसरी टेबल पर आर्डर लेने चला गया।

सुबोध छोटू को ध्यान से देख रहा था।लड़के,छोटू,छोरे,ओये जैसी आवाज़ आने पर वह भाग कर वहीं चला जाता।दुबला, पतला ,पपड़ी जमे होंठ...ऐसा लग रहा था कि सुबह से कुछ खाया ही न हो।छोटू अब उसकी टेबल पर खाना लगा रहा था।अचानक सुबोध ने मालिक को कहा" एक दाल और चार रोटी और।"इससे पहले मालिक छोटू को कहता,

सुबोध बोल पड़ा,"यह मेरे साथ खाना खायेगा।"छोटू को जबरदस्ती पास बिठा लिया,और अपनी प्लेट उसकी ओर खिसका दी,"खा लो"।छोटू के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था।एक तरफ मालिक का गुस्सा दूसरी तरफ साफ प्लेट..जिसमें जूठन नहीं थी।

"साहेब,जाने दो"।पर सुबोध ने कस के हाथ पकड़ लिया,"बैठे रहो"।

"क्या नाम है तुम्हारा"?छोटू ने कोई जवाब नहीं दिया।

"डरो मत,मालिक कुछ नहीं कहेगा,मैं बात कर लूँगा।बताओ क्या नाम है?सुबोध ने प्यार से पूछा।हालांकि छोटू जानता था कि आज उसे बहुत मार पड़ने वाली है पर,प्लेट में रोटी का मोह छोड़ नहीं पाया।इसलिए प्लेट अपनी ओर थोड़ी और खिसका कर धीरे से बोला "जी,जो मर्जी कह लो।"

"कुछ तो नाम होगा,परिवार कहाँ है?"

"जी, कोई नहीं है।"कह कर जल्दी जल्दी खाना खाने लगा।एक तो सुबह का भूखा और अब क्या पता आगे क्या हो।

"आराम से खाओ,कोई तुम्हें कुछ नहीं कहेगा।"यहाँ कब से हो "?

….

मेरे साथ चलोगे?छोटू का हाथ मुंह में ही रुक गया।

"कहाँ ?मालिक नहीं जाने देगा।माई ने दो साल पहले तीन सौ रूपये उधार लिए थे।कर्जा दिया नहीं,और मर गई।मैं कहीं नहीं जा सकता।"

"अगर उसे मैं पैसे दे दूँ तो? बस जब मैं उससे बात करूँ तो मेरा हाथ मत छोड़ना।उसे मनाना मुश्किल है पर वो मान जायेगा।तुम डरना नहीं।"छोटू की आंखों में चमक आ कर चली गई।"साहेब आपका भी ढाबा है?"सुबोध मुस्कुराया और बोला नहीं,तुम्हें पढ़ने स्कूल भेजूंगा।जाओगे?"छोटू की आंखों की चमक वापिस आ गई।

"साहेब,माई 'रमेस' कहती थी"।

जल्दी से पानी के गिलास से वहीं हाथ धोये,और साहेब का हाथ कस के पकड़ लिया।


मौौौलि व अप्रकाशित 

मार्मिक चित्रण , प्यारी लघुकथा हेतु बधाई आ० रचना जी

अंजलि गुप्ता जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service