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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'ईश्क ए नाकाम का फ़साना हूँ'

इस मिसरे में 'ईश्क' को "इश्क़" कर लें ।

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर सर जी । आप के कहे मुताबिक संशोधन कर लूँगा जी 

'ईश्क' को "इश्क़" कर दिया है मोहतरम जनाब समर कबीर जी.

वाह्ह्ह शानदार ग़ज़ल हुई आ. गुरप्रीत सिंग जी !!!!

आप का बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय संतोष जी 

आ. गुरप्रीत सिंह जी, अच्छी ग़ज़ल है तहेदिल से बधाई आपको

आदरणीय शिज्जू शकूर जी ,  ग़ज़ल पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

जनाब गुरप्रीत साहिब, अच्छी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद आपको,,,

जनाब अफरोज़  सहर जी ग़ज़ल की सरहना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

आ. भाई गुरप्रीत जी,
हर बार की तरह इस बार भी उम्दा ग़ज़ल पेश की है आपने ..बहुत बहुत बधाई 

आपको कोशिश अच्छी लगी , इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय नीलेश सर जी 

आदरणीय गुरप्रीत जी आदाब,

                  बहुत ही सशक्त ग़ज़ल । हर शे'र उम्दा । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद कुबूल करें तथा जो आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ने इशारा किया है उसे संशोधित करें ।

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Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
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