For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ दोहे -लक्ष्मण धामी"मुसाफिर"

सुखिया को संसार में, सब कुछ मिलता मोल
पर दुखिया  के  वास्ते, सकल  जिन्दगी झोल।१।

हर देहरी  पर  चाह  ले, आँगन बैठे लोग
भूखों को दुत्कार नित, मंदिर मंदिर भोग।२।


पाले  कैसी  लालसा, हर  मानव मजबूर
हुआ पड़ोसी पास अब, सगा सहोदर दूर।३।


बिकने को कोई बिके, पर ये दुख का योग
औने-पौने  बिक  रहे, ऊँचे  कद  के  लोग।४।


घुट्टी में सँस्कार की, अब क्या क्या खास
रिश्तों से आने लगी, अब जो खट्टी बास।५।

मौलिक व अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 22, 2018 at 5:00pm

आ. भाई पंकज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और नेक सलाह के लिए धन्यवाद

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 22, 2018 at 12:13pm

आखिरी दोहा यूं करें तो मात्रतात्मक रूप से शुद्ध हो जाएगा........

संस्कार की घूँट में, जाने क्या है खास

रिश्तों से आने लगी, अब तो खट्टी बास

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2018 at 9:57pm

आ. भाई बसंत जी, दोहो की प्रशंसा और सलाह के लिए आभार ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 20, 2018 at 8:00pm

बहुत सुंदर दोहे, परिमार्जन अपेक्षित , बधाई आपको 

बचा कहाँ कुछ खास भी कर सकते हैं, यदि उचित लगे 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2018 at 7:53pm

आ. नीलम जी, सादर अभिवादन । दोहों की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2018 at 7:51pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । उपस्थिति से दोहों का मान बढ़ाने के लिए आभार । इंगित पंक्ति को इस प्रकार लें -

घुट्टी में सँस्कार की, ऐसा क्या अब खास

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2018 at 7:46pm

आ. भाई आरिफ जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2018 at 7:43pm

आ. भाई नवीन जी, दोहों पर उपस्थिति,प्रशंसा और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार । 

मूल रूप में यह पंक्ति इस प्रकार है-

घुट्टी में सँस्कार की, ऐसा क्या अब खास

Comment by Neelam Upadhyaya on August 20, 2018 at 3:53pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, नमस्कार ।   अच्छे दोहे हुए हैं।  प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई स्वीकार करें  ।

Comment by Samar kabeer on August 20, 2018 at 2:49pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,बहुत उम्दा दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'अब क्या क्या खास'

इस पंक्ति में टंकण त्रुटिवश एक शब्द छूट गया है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
6 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service