For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होती नहीं  है भोर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१ २१२१ २२२  १२१२


कहते  नहीं  हैं  आपसे  रस्ता  सुझाइये
राहों में  यूँ  न   देश  की  रोड़ा लगाइये।१।


आता है भेड़िया तो कुछ हरकत दिखाइये
कमजोर गर  ये  हाथ  हैं  हल्ला  मचाइये।२।


कहते हो दूसरों की  है  सूरत अगर मगर
खुद को भी रोशनी में ये दर्पण दिखाइये।३।


होती नहीं  है भोर इक सूरज उगे से ही
गर देखनी हो भोर तो खुद को जगाइये।४।


बातों को दिल की रोज  ही ऐ  चाँद चाँदनी
सुननी मेरी गजल हो तो महफिल में आइये।५।


मौलिक अप्रकाशित

Views: 859

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 12, 2018 at 2:37pm

आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन ।आपको गजल अच्छी लगी, लेखन सफल हुआ । प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 12:55pm

//  कहते हो दूसरों की  है  सूरत अगर मगर
खुद को भी रोशनी में ये दर्पण दिखाइये ...//                   

गज़ल बहुत ही पसंद आई... हार्दिक बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 9, 2018 at 10:01pm

आ. नीलम जी, सादर अभिवादन । गजल की प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 9, 2018 at 1:57pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी जी, नमस्कार ।  अच्छी ग़ज़ल की पेशकश के लिए बधाई । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 8, 2018 at 12:02pm

आ. भाई आरिफ जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by Mohammed Arif on July 8, 2018 at 9:51am

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,

                    बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । हर शे'र माकूल है । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

Comment by Samar kabeer on July 7, 2018 at 10:05pm

मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2018 at 7:45pm

आ. भाई शेख शहजाज जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2018 at 7:42pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और अत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 7, 2018 at 7:31pm

वाह। वर्तमान हालात पर प्रेरक अशआर समापन सहित बेहतरीन सृजन। हार्दिक बधाई मुहतरम जनाब  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service