For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुंजन या हुंकार (लघुकथा)

... और अब वे वहां भी पहुंच गये! भव्य आदर-सत्कार के बाद उन्हें उनकी पसंद की जगह पहुंचाने पर एक वरिष्ठ मेजबान ने कहा - "सुना है ... टीवी पर देखा भी है कि जिस मुल्क में आप जाते हैं, कोई न कोई वाद्य-यंत्र ज़रूर बजाते हैंं!"


"क्या कहा? कौन सा तंत्र?"


"लोकतंत्र नहीं कहा मैंने! वाद्ययंत्र कहा .. वा..द्ययंत्र!"


"हे हे हे! दोनों अय..कही.. बात हय! यंत्र में मंत्र और तंत्र हय! वाद्ययंत्र कह लो या लोकतंत्र; बजाने में ग़ज़ब की अनुभूति होती है, हे हे हे! बताइए इसे भी बजा कर देख लूं!" इतना कह कर वे बड़ा सा ढोल बजाने लगे!


"अच्छा लगा ना, आपको यह भी!"


"ग़ज़ब का 'गुंजन' और ग़ज़ब की 'हुंकार' मारता है, लोकतंत्र की तरह!" इतना कहकर वे मुस्कराते हुये विशाल जनसमुदाय की जयकारा सुनते हुए अपना हाथ लहराते हुए आगे बढ़े, और फिर उन्हें एक सजे हुए आसन पर विराजमान करा दिया गया।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 564

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 15, 2018 at 1:01am

मेरी इस रचना पर गहराई से विचार कर बिंदुवार  समालोच्नात्मक टिप्पणियों के लिये और हौसला अफ़ज़ाई के लिए हार्दिक धन्यवाद और आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहिब,  डॉ. विजय शंकर जी , जनाब महेन्द्र कुमार जी और आदरणीया बबीता गुप्ता जी।

Comment by Mahendra Kumar on June 2, 2018 at 7:21pm

//"लोकतंत्र नहीं कहा मैंने! वाद्ययंत्र कहा .. वा..द्ययंत्र!" 

"हे हे हे! दोनों अय..कही.. बात हय!/// वाह! क्या शानदार व्यंग्य है.

इस बढ़िया लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. सादर.

Comment by babitagupta on June 2, 2018 at 3:24pm

वर्तमान में लोकतंत्र की व्यवस्था पर व्यंग बाण,प्रस्तुत रचना पर बधाई स्वीकार कीजियेगा.

Comment by Mohammed Arif on June 1, 2018 at 9:58am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                    (1) तीव्र कटाक्ष ।

                                      (2)  लोकतंत्र को वाद्य यंत्र समझने या उसे झुनझुना समझकर बजाकर झूठी वाहवही लुटने की ओर इशारा ।

                                       (3) लोकतंत्र को साध्य नहीं अपितु साधन समझना ।

                                        (4) अच्छे पात्रानुकूल संवाद ।

                                         (5) सामयिकता का पुट ।

                                                               हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service