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नई सदी के बहुरुपिये कार्टून (लघुकथा)

"अबे, कहां जा रहा है?"
"कामिक्स वाले कार्टून नेता आये हैं स्टेडियम वाले ग्राउण्ड पर; तू भी चल मज़ा आयेगा उनकी एक्टिंग देख कर!"
"खाना खा लिया कि नहीं?"
"अम्मा को जो भीख में या प्रसाद में मिलेगा, बाद में खालूंगा!"

"आज फिर स्कूल नहीं गया, आज तो तेरी अम्मा से शिक़ायत कर ही दूंगा!"

"अम्मा कुछ न कहेगी!  आज मैंने कल से ज़्यादा मजूरी कमा ली है!"

नौ साल का बच्चा यह कहता हुआ तेज़ क़दमों से स्टेडियम मैदान में घुस गया।

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 15, 2018 at 10:35am

मेरी इस तात्कालिक सृजित रचना के मर्म तक जाकर अपनी विचार सांझा करते हुए अनुमोदन और मेरी हौसला/ह़िम्मत अफ़ज़ाई करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब, जनाब महेंद्र कुमार साहिब और जनाब विजय निकोरे साहिब। आप सभी को ई़द-उल-फ़ित्र की हार्दिक बधाइयां और शुमकामनायें!

Comment by vijay nikore on June 4, 2018 at 2:03pm

आपकी नज़र अच्छी पैनी है... इसीलिए एक के बाद एक अच्छी लघु कथा आपकी कलम से उतर रही है। हार्दिक बधाई।

Comment by Mahendra Kumar on June 2, 2018 at 8:03pm

अच्छी लघुकथा है आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Mohammed Arif on June 1, 2018 at 10:06am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                     वर्तमान लोकतंत्र में लगभग सभी नेता अभिनेता से अब कार्टून की ओर बढ़ रहे हैं । बॉलीवुड मसाला फिल्मोन की तरह नेताओं ने भी सारे रोल करना सीख गए हैं । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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