आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आद0 नीता कसार जी सादर अभिवादन। लघुकथा सिखने के क्रम में जो देख रहा हूँ अपने इर्दगिर्द, उसी को कलमबद्ध कर रहा हूँ। आपको अच्छा लगा तो लेखन सार्थके हुआ। आभार आपका।
बहुत ख़ूब। दिये गये विषय को निर्धन वर्ग की स्थायी दुर्दशा पर केंद्रित करते हुए बढ़िया उम्दा प्रस्तुति। सादर हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।
आद0 शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। आपकी बात सौ फीसदी सही है कि आरम्भिक दोनों पैरा के बिना भी लघुकथा हो जाती और शायद सही भी, पर काफी मंथन के बाद उसको भी मैंने जगह दी क्योकि मैं परिस्थितियों को बताने का भी प्रयास किया जिसमें वर्तमान और अतीत में कुछ बदला नहीं है।
आपकी प्रतिक्रिया से मुझे सीखने में बहुत मदद मिलती है, बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए, सादर
बहुत ही बढ़िया लघुकथा कही है भाई सुरेन्द्र नाथ सिंह जी, प्रदत्त विषय को बहुत ही कुशलता से शब्द दिए हैं,
// 'रोज कुआ खोदना रोज पानी पीना'।" //
यह पंच लाइन भी बेहद मारक बनी है, बहुत बहुत हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
लघुकथा में दृश्य-चित्रण की ज्यादा गुंजाइश नही होती. एक कुशल लघुकथाकार ज्यादा शब्द खर्च किये बिना ऐसा कर सकता है. उस दृष्टिकोण से इस लघुकथा का पहला पैरा नितांत अनावश्यक है जोकि बोझिल होकर लघुकथा के प्रवाह को बाधित कर रहा है .
आद0 योगराज भाई जी सादर अभिवादन। आपकी टिप्पणी से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। मैं पशोपेश में था पर अन्ततः उस पैरा को भी रख दिया। निःसन्देह इसे हटा दूंगा।
आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से आगे बेहतर लिखने की प्रेरणा मिलती है। बहुत बहुत आभार आपका।
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।
आद0 तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन। लघुकथा पर आपकी उत्साह से बल मिला, बहुत बहुत आभार आपका।
प्रद्दत विषय पर, गरीबी के चिरपरिचित कथ्य को आपने बहुत सुदंरता से नया आयाम दिया है भाई सुरेन्द्र नाथ सिंह जी. हालांकि प्रारम्भिक हिस्से से ये कहीं भी एक लघुकथा का आभास नहीं देती क्यूंकि एक लघुकथा का 'ढांचा' पात्र या स्तिथि के बारे में इतना विस्तार से वर्णन करने की इजाजत नहीं देता. बरहाल रचना का अंत सहज ही एक प्रभावी पंच लाइन पर समाप्त होता है जो आपकी लेखन की सफलता का घोतक है और बधाई का पात्र भी. हार्दिक बधाई स्वीकार करे भाई जी.
आद0 वीरेंद्र वीर मेहता जी सादर अभिवादन। आपकी प्रतिक्रिया से बहुत कुछ सीखा। बहुत बहुत आभार आपका। सादर
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। आपकी रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के हृदय से आभार। निश्चय ही संसोधन करूँगा। सादर
आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,
प्रदत्त विषय के साथ न्याय करती सशक्त लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आदरणी शेख शहज़ाद उस्मानी जी तथा आदरणीय योगराज प्रभाकर जी बातों पर भी गौर करें ।
हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।बाल मनोविज्ञान पर बेहतरीन लघुकथा।बच्चे के मुख से आपने जो कुछ कहलवाया, वही पूरी लघुकथा का निचोड़ है।सादर।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |