For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ब्रेन वाश(लघु कथा)

ब्रेन वाश
---
-हाँ, मैंने कहा था।
-‎क्यूँ?
-‎क्योंकि मुझे असहिणुता दिखी थी।
-‎कैसे?
-‎पूरे देश में हो-हल्ला मचा हुआ था।अभिव्यक्ति की आजादी छीनी जा रही थी।
-‎कैसी आजादी?'मातृभूमि को मुर्दा कहने और इसके टुकड़े होने' के नारों की आजादी?
-‎वे लोग व्यवस्था से क्षुब्ध थे।
-‎और यह बताने वाले दुश्मन देश की नुमाइंदे थे,कि नहीं?
-‎वह तो बाद में पता चला न?
-‎तो पहले क्या आपलोग घास छील रहे थे,कि धूप में बाल पका रहे थे?
-‎अरे भाई,तुमुल जन-रव ने मुझे घसीट लिया।मैंने अपना तमगा लौटाने का ऐलान भी कर दिया।
-‎और लौट भी गया?
-‎हाँ, किसीने जरा भी मान-मनौवल नहीं किया कि इतना बड़ा लेखक तमगा वापिस कर रहा है,रोको उसे।
-‎मलाल भी है?
-‎जरूर है।
-‎बहुत लोगों ने तब ही जाना कि आप भी कभी पुरस्कृत हुए थे।
-‎छोड़ो भी।
-‎क्यूँ?
-‎जोश में होश पाले नहीं रहे,वरना ऐसी -वैसी कोई बात थी नहीं।
-‎धन्य हो लेखक भाई।अरे गनीमत है कि तुम जज न हुए,वरना कितने फैसले बदलने पड़ते।
"

Views: 570

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 20, 2018 at 2:40pm

ये है गागर में सागर भरने वाली बात..बहुत शानदार चित्रण किया है आदरणीय।

Comment by vijay nikore on January 18, 2018 at 8:45am

आपकी लघु कथा पढ़ कर आनन्द आ गया। हार्दिक बधाई।

Comment by Mahendra Kumar on January 17, 2018 at 7:47pm

बढ़िया लघुकथा है आ. मनन जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

असहिणुता = असहिष्णुता 

Comment by Manan Kumar singh on January 17, 2018 at 6:29pm

आदरणीय आरिफ जी,शुक्रिया।

Comment by Manan Kumar singh on January 17, 2018 at 6:28pm

आदरणीय समर जी नमस्ते,शुक्रिया।कथा आपको जँची,यह मेरे लिए ख़ुशी की बात है।

Comment by Mohammed Arif on January 17, 2018 at 5:33pm

आदरणीय मनन कुमार जी आदाब,

                         बहुत ही कटाक्षपूर्ण कथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on January 17, 2018 at 2:29pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी,आजकल आपकी लघुकथाएं दिल को छूने वाली हो रही हैं,बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें इस प्रस्तुति पर ।

Comment by Manan Kumar singh on January 17, 2018 at 8:10am

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय शहजाद उस्मानी जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 17, 2018 at 3:54am

बहुत बढ़िया यथार्थपूर्ण कटाक्षपूर्ण रचना। फैसले लिए नहीं जाते, बल्कि फैसले तो लेने पड़ते हैं या फैसले थोपे जाते हैं चोंचले करने के लिए या अवसरवादी स्वार्थपूर्ति के लिए जनता या सरकार या फिर दोनों को ही उल्लू बनाने के लिए या उनकी चमचागिरी करने के लिए! बेहतरीन सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मनन कुमार सिंह साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit and अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी are now friends
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ग़ज़ल ~2122 1122 1122 22/112 तोड़ कर दर्द की दीवार वो बाहर निकला  दिल-ए-मुज़्तर से मिरे एक…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service