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याद आ जाती है फिर उलझी कहानी आपकी

2122 2122 2122 212
जब कभी भी देखता हूँ वो निशानी आपकी ।
याद आ जाती है फिर उलझी कहानी आपकी ।।

आज मुद्दत बाद ढूढा जब किताबों में बहुत ।
मिल गयी तस्वीर मुझको वह पुरानी आपकी।।

बेसबब इनकार कर देना मुहब्बत को मेरे ।
कर गई घायल मुझे वो सच बयानी आपकी ।।

याद है वह शेर मुझको जो लिखा था इश्क़ में ।।
फिर ग़ज़ल होती गई पूरी जवानी आपकी ।।

इक शरारत हो गई थी जब मेरे जज़्बात से ।
हो गईं आँखें हया से पानी पानी आपकी ।।

कुछ अना से कुछ नफ़ासत में हुआ जुल्मो सितम ।
आदतें जाती कहाँ हैं खानदानी आपकी ।।

हुस्न पर इतनी तिज़ारत आपकी अच्छी नहीं ।
आपके लहजे में देखा बदजुबानी आपकी ।।

चन्द लम्हे ही सही दिल का सुकूँ जिंदा हुआ ।
कर लिया मैंने कभी जब मेजबानी आपकी ।।

चाँद आएगा जमीं पर सोचते ही रह गए ।।
ख्वाहिशों में खो गईं रातें सुहानी आपकी ।।

वक्त शायद दे गया कुछ तज्रिबा भी आपको ।
अब शिकन माथे की लगती है सयानी आपकी ।।

ये हवाएं कर रहीं मदहोश मुझको बेहिसाब
आ रहीं हैं खुशबुएँ फिर जाफ़रानी आपकी ।।

हाल पूछा मुस्कुरा कर आपने जब से मेरा ।
मिट गईं तन्हाईयाँ सब मेहरबानी आपकी ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 789

Comment

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Comment by Naveen Mani Tripathi on October 29, 2017 at 1:30pm
आ0 महेंद्र कुमार साहब सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 29, 2017 at 1:30pm
आ0 लक्ष्मण धामी साहब सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 29, 2017 at 1:29pm
आ0 डॉ आशुतोष जी सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 29, 2017 at 1:28pm
आ0 ब्रजेश कुमार बज्र जी सादर आभार
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 29, 2017 at 10:45am
बड़ी ही उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय त्रिपाठी जी..सदर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 26, 2017 at 5:33pm
आदरणीय नवीन जी इस बढ़िया रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 25, 2017 at 12:31pm
बेहतरीन गजल
Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 8:59am

अच्छी ग़ज़ल है आ. नवीन मणि जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आ. समर सर ने आपके ग़ज़ल की बहुत अच्छी समीक्षा की है. उन्हें भी साधुवाद. सादर.

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 24, 2017 at 9:06pm
बहुत बहुत आभार आ0 कबीर सर । तहे दिल से शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 9:00pm
जनाब जयनित जी आदाब,
'हाल पूछा मुस्कुराकर आपने जब से मेरा'
इस मिसरे में "से"शब्द इसलिये रखना ज़रूरी है कि इससे ये भाव सशक्त होता है कि'आपने जिस दिन से मेरा हाल पूछा है'और अगर 'से'शब्द हटा दें तो ये भाव आएगा कि 'आपने जब हाल पूछा'तो कुछ देर के लिए मेरी....

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