आदरणीय साथिओ,
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आदरणीया सीमा जी बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण कथा लिखी है आपने जिसके लिए हार्दिक बधाई | शादी के भले ही कितने ही साल बीत जाएँ मायका मायका ही रहता है | बहुत पसंद आई आपकी कथा | सादर |
//पिछली रोटी से पिछली बुद्धि आती है। बच्चे अपने माँ-बाप को भूल जाते है।// और उसके बाद पतिदेव का उन्हें माँ-बाप की याद दिलाना यह कह कर कि //बिटिया कितने दिन बाद घर आई है//| सच कहूं तो बेहतरीन के अतिरिक्त और कोई शब्द नहीं सूझ रहा| सादर बधाई इस सृजन हेतु|
आ. सीमा "आखरी रोटी" की यह प्रथा कई घरो में है लेकिन इसे कथा में ढालकर तुमने एक बेहतरीन संदेश भी दिया और पति को सीख भी जो ये भूल जाते है कि उनकी पत्नि भी किसी की बेटी है. इस असाधारण कथानक चुनाव और उसे सहजता से निभकर ले जाने के लिए बहुत-बहुत बधाई.
कथा की सफलता है अगर वो कहीं दिल के आस पास लगे ...मायके की याद हर स्त्री के मन का कोमल कोना है जिसे वो ही महसूस कर सकती है ...हार्दिक बधाई इस खूबसूरत कथा पर प्रिय सीमा जी
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