For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-80

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 80वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब मख़दूम मुहिउद्दीन साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात "

मुफाइलुन     फइलातुन     मुफ़ाइलुन    फइलुन/फेलुन

1212      1122     1212    1121/221/22/112

(बह्र: मुज्‍तस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर
रदीफ़ :- की बात 
काफिया :- आर (प्यार, बहार, दयार आदि)
नोट:अंतिम रुक्न पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है , जैसा की अरूज़ के नियमानुसार हम अंतिम रुक्न में एक मात्रा बढ़ा सकते हैं और फेलुन को फइलुन भी कर सकते हैं तो इस प्रकार अंतिम रुक्न चार तरीकों का हो सकता है

1121/221/22/112

 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 24 फरवरी दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 25 फरवरी दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 24 फरवरी दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 12361

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बताऊँ आज तुम्हें आओ! एक बार की बात
ये है गुलों के, बहारों के इक दयार की बात

न मंज़िलें ही मिलीं , ये है बार-बार की बात
हैं रहगुज़र के ही किस्से या है ग़ुबार की बात

ये दिल तो कहने में है आपके ही जब, तो फिर!
है रायगाँ ही इसे कहना इख़्तियार की बात

यकीं रहा नहीं वादे पे अब मुझे तेरे
तू कर ही मत कोई मुझसे तो एतबार की बात

ख़िज़ां ने साथ दिया मुस्तक़िल यही सच है
है बेवफ़ा, यही इतनी सी है बहार की बात

तेरे भी दिल का वही हाल होता जो है मेरा
न होती लब पे हमारे कोई क़रार की बात

पुराने लगने लगे आसमाँ , ज़मीं, ये जहाँ
कि छेड़ो आज कोई इस जहाँ के पार की बात

सुकून देते थे आमाल हिज्र में ये ही
'उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात'

अदावतें न रखें दिल में हम किसी के लिए
मिलें ख़ुलूस ही से और फ़क़त हो प्यार की बात

डॉ मंजु कछावा

मौलिक एवम् अप्रकाशित
आद0 मंजू जी सादर अभिवादन, बहुत खूब। बेहतरीन अशआर के साथ मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई।
आद०मंजू कछावा जी आदाब, बहुत शानदार ग़ज़ल । बधाई निवेदित है ।
आदरणीय मंजू जी बाकमाल ग़ज़ल हुई है मतले से मक्ते तक हर शेर उम्दा है मुबारक बाद कुबूल करें

आ. मंजू जी,

अच्छी फ़िक्र है अशआर में ...
कुछ स्थानों पर लय में अटकाव महसूस हुआ .. कई जगह शब्द सार्थक शब्दों से बदले जा सकने की जगह दिखाई दी .. 
तेरे भी दिल का वही हाल होता जो है मेरा
न होती लब पे हमारे कोई क़रार की बात... इस शेर में शतुर्गुरबा के साथ काल-दोष भी लग रहा है... पुनरवलोकन करें..
ग़ज़ल के लिये बधाई 
सादर 

पुराने लगने लगे आसमाँ , ज़मीं, ये जहाँ
कि छेड़ो आज कोई इस जहाँ के पार की बात

वाह जी वाह लाजवाब जी।
आदरणीय रवि शुक्ला जी, आपका तहेदिल से शुक्रिया जो आपने मुझ जैसे नए गजलकार को ध्यान देके पढ़ा।
तीसरे शेर के आखिरी रुक्न वाली बात मैं समझ नहीं पाया हूँ कृपया विस्तार से समझाने का कष्ट करेंगे।
चौथे शेर की पहली रूक्न "न करने पर"को भी विस्तार से हमझाएं।

उल्लेखनीय है कि गजल में मैं अभी बिलकुल नया हूँ। ओबीओ पर यह मेरी पहली प्रस्तुति है। आप जैसे उस्तादों का आशीर्वाद चाहता हूँ।

आदरणीया मंजू जी , अच्छी गज़ल कही है आपने , हार्दिक बधाइयाँ आपको । आ. नूर भाई की बातों का खयाल कीजियेगा ।

किस्‍सागोई के अंदाज़ में मत्‍ला बहुत खूबसूरती से बँधा है।

दूसरा शेर की प्रथम पंक्ति और खूबसूरत हो सकती थी। उदाहरण: ''कभी मिली नहीं मंजि़ल, है बार-बार की बात''।

आपको शायद पहली बार पढ़ रहा हूँ। उर्दू पर अच्‍छी पकड़ है आपकी। 

आ० बेहतरीन गजल

तेरे भी दिल का वही हाल होता जो है मेरा
न होती लब पे हमारे कोई क़रार की बात--------------------इसे अगर इस तरह कहे तो -

तेरे भी दिल का वही हाल होगा जो है मेरा
नही है लब पे तुम्हारे कोई क़रार की बात----------------------सादर

बहुत अच्छी एवं सहज ग़ज़ल कही है आपने.... वाह !!!

मुहतर्मा मंजू साहिबा ,ग़ज़ल का कामयाब प्रयास , थोड़ी मेहनत की ज़रूरत , भाई नूर
साहिब के मशवरे पर ध्यान ज़रूर दें ---मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गिरह भी अच्छी लगी है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।  6 सुझाव.... "तू मुझे दोस्त कहता है…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी, //अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए, अब जब कि जान जाना…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//'इश्क़ ऐन से लिखा जाता है तो  इसके साथ अलिफ़ वस्ल ग़लत है।//....सहमत।"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमित जी, बहुत धन्यवाद।  1 अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए,…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ख़ुदकुशी आ गई है आदत में अब मज़ा आएगा बग़ावत में /1 आदत मतलब…"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service