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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।

पिछले 71 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-72
विषय - "सरहद"
आयोजन की अवधि- 14 अक्टूबर 2016, दिन शुक्रवार से 15 अक्टूबर 2016, दिन शनिवार की समाप्ति तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)


अति आवश्यक सूचना :-
सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र दो ही प्रविष्टियाँ दे सकेंगे.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 14 अक्टूबर 2016, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर, प्रस्तुत दोहों को सराहने के लिए आपका अतिशय आभार. सच है अंतिम दोहे में त्रुटि हो गई है. संकलन में सुधार प्रस्तुत कर दूंगा. // सिन्धु तटों पर शान्ति की...........// सादर.

मोहतरम जनाब अशोक कुमार    साहिब   , प्रदत्त विषय को परिभाषित करते   सुन्दर दोहों    के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ------

आदरणीय तस्दीक भाई जी सादर प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका ह्रदय से आभार. सादर.

आदरणीयअशोकभाईजी

उन वीरों से पूछना, जाकर उनकी शान |

सरहद पर सर्वस्व जो , कर बैठे कुर्बान || ...... सच है , कोई हृदयहीन ही उनकी कुर्बानी भूलेगा

मिट जाती हैं सरहदें , गिरती हर दीवार |

घटती क्षण में दूरियाँ, जब होना हो प्यार || ........ सुंदर भाव

सिन्धु तट पर शान्ति की ........ नदिया तट / सिन्धु तटों ... पर शान्ति की

आज खिंचे हैं तार पर, ..... आदरणीय अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाया ..... खिंचे की मात्रा कहीं 4 तो नहीं

सुंदर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत दोहों को सराहने के लिए आपका दिल से आभार. अंतिम दोहे में/ सिन्धु तटों / का आपका सुझाव उत्तम है. तलवारों का खिंच जाना, वैसा ही है तारों का खिंचा होना. खिंचे की मात्राएँ ३ ही है. आज खिंचे हैं तार पर ........आज तारों से मार्ग बाधित है किन्तु ....... सादर.

वाह वाह सभी दोहे बहुत ही सुंदर हुए हैं। दिल से बधाई लीजिये।

आदरणीय रामबली गुप्ता जी प्रस्तुत दोहों को सराहने के लिए आपका हृदयातल से आभार. सादर.

जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करते बहतरीन दोहे रचे आपने,इस शानदार प्रस्तुति पर ढेरों बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, आपसे दोहों पर बधाई पाकर प्रसन्नता हुई. सादर आभार.

आदरणीय श्री अशोक कुमार रक्ताले जी सादर अभिवादन, प्रदत्त विषय को भावपूर्ण रचना से गौरवान्वित करने के लिए मेरी शुभकामना और बधाइयाँ

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सादर, प्रस्तुत दोहों को प्रदत्त विषय पर सार्थक पाने के लिए आपका दिल से आभार. सादर.

वाह । अति सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय अशोक सर जी । बधाई । सादर ।

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