For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोहरा (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

खुला दरवाज़ा देख कर वह सीधे अन्दर की ओर जाने लगी।

"शुभ प्रभात! आइये, अब कैसे आना हुआ?"

"भरी दोपहरी में अक्सर ख़ूब सताया है, सोचा ऐसे में इन्हें कुछ राहत दे दूँ! बच्चे तो होंगे न अंदर ?"- धूप ने अभिवादन स्वीकार कर झोपड़ी के दरवाज़े से कहा।

"नहीं, उन्हें भी सबके साथ काम पर जाना होता है भोर होते ही !" - दरवाज़े ने उत्तर दिया।

"इतने घने कोहरे में भी!"

"हाँ, अपने अपने पेट के लिए अपने हिस्से की कमाई के लिये..."

"ओह, यह कोहरा कैसे छंटेगा!" - यह कहकर धूप ने खुले दरवाज़े को फिर निहारा और शर्मिन्दा हो कर बाहर खेतों पर छा गई।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 6, 2016 at 7:54pm
अपना अमूल्य समय इस लघुकथा पर देकर मेरी स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब पवन जैन साहब, जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब, जनाब तेज वीर सिंह साहब, जनाब लक्ष्मण धामी साहब व मोहतरमा प्रतिभा पाण्डेय साहिबा।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:36am

आ0 भाई शेख शहजाद जी इस कथा के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by pratibha pande on February 16, 2016 at 10:08am

  धूप झोंपड़ी के बच्चों को राहत देने पहुंची और वो बच्चे तो   कुहरे में ही  काम पर निकल गए थे ,और फिर उसके  बाद  धूप का शर्मिन्दा होना , दोनों ही बिम्ब अपने मर्म को बहुत अच्छे से संप्रेषित कर रहे हैं लघुकथा की सीमा में रहकर ,  बधाई आपको आदरणीय इस उत्कृष्ट रचनाकर्म पर 

Comment by TEJ VEER SINGH on February 14, 2016 at 5:36pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी!बेहतरीन प्रस्तुति!

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 14, 2016 at 11:58am

जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब , धूप और झोपड़ी को प्रतीक बनाकर कोहरे पर बहुत ही शानदार लघु कथा लिखी है आपने। ... दिली मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by Pawan Jain on February 14, 2016 at 11:22am

अच्छा प्रयोग,यह कोहरा कैसे छंटेगा ,मन को उद्वेलित करने वाला प्रश्न,बधाई शहजाद जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 13, 2016 at 3:21pm
स्नेहिल प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सतविंदर कुमार जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 13, 2016 at 3:20pm
लघुकथा के मर्म को सौदाहरण समझते हुए हौसला अफ़ज़ाई करने के लिए तहे दिल बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरमा राहिला साहिबा।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 13, 2016 at 2:29pm
वाह्ह्ह्!प्रतीकों का बेहतरीन प्रयोग।बहुत सुंदर रचना।बधाई आदरणीय।
Comment by Rahila on February 13, 2016 at 12:57pm
बहुत अच्छी रचना बन पढ़ी आदरणीय उस्मानी जी!मैं तो खुद भी रोज इस कोहरे के छंटने का इंतेजार कर रही हूं । जब गांवों के स्कूल बच्चों से भरे मिलें । बहुत बड़ी समस्या है निम्न और मजदूर वर्ग के बच्चों में, बच्चे पढ़ाई छोड़ मजदूरी कर रहे है ।बहुत बधाई आपको इस रचना के लिये । सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय यूफ़ोनिक अमित जी नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक आभार ।आवश्यक…"
44 minutes ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर भाई सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवद । "
47 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय Rachna Bhatia जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें।  1 जिसकी…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। भाई अमित जी के सुझाव भी अच्छे हैं।…"
3 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"जी भाई  मैं सोच रही थी जिस तरह हम "हाथ" ,"मात ",बात क़वाफ़ी सहीह मानते…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"पाँचवें शेर को यूँ देखें वो 'मुसाफिर' को न भाता तो भला फिर क्योंकर रूप से बढ़ के जो रूह…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. रचना बहन, तर की बंदिश नहीं हो रही। एक तर और दूसरा थर है।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"कर्म किस्मत का भले खोद के बंजर निकला पर वही दुख का ही भण्डार भयंकर निकला।१। * बह गयी मन से गिले…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार बहुत अच्छा प्रयास तहरी ग़ज़ल का किया आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service