For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दकियानूस - ( लघुकथा ) –

दकियानूस -  ( लघुकथा ) –

मनोहर की मृत्यु को आज तेरह दिन हो गये थे!उसके कर्मों का लेखा जोखा देख कर उसे स्वर्ग में ही एक सीट मिल गयी थी!यमराज़ उसकी डायरी देख बेहद प्रभावित थे!यमराज़ ने मनोहर की पीठ थपथपा कर शाबाशी दे डाली!मनोहर रोमांचित हो गया!यमराज़ का अच्छा मूड देख कर मनोहर ने एक इच्छा ज़ाहिर कर दी,

"आज मेरी तेरहवीं हो रही होगी,आपकी इज़ाज़त हो तो क्या मैं एक बार उस मौके को देख कर आ सकता हूं, थोडी तसल्ली कर लेना चाहता हूं कि कितने ज़ोर शोर से मेरा तेरहवॉ हो रहा है! "!

"देख भाई मनोहर,मुझे भेजने में तो कोई खास दिक्कत नहीं है मगर अब तेरा शरीर तो जला दिया!पृथ्वीलोक में जाने के लिये कोई शरीर तो होना चाहिये"!

"प्रभु,मुझे कौनसा वहां जीमने जाना है,मुझे तो सिर्फ़ वहां का नज़ारा देखना है!किसी भी शरीर में  भेज दो"!

यमराज ने पता किया कि  मनोहर के अडौस पडौस में कोई आज मरा क्या ! सूचना मिली कि मनोहर के पडौसी शिव चरन का पालतू कुत्ता मरा है !मनोहर उसी के  शरीर में जाने को राज़ी हो गया!

मनोहर कुत्ते के  शरीर में रात के नौ बजे अपने घर के बाहर खडा था!कोई खास चहल पहल नहीं थी!तेरहवीं जैसा माहौल भी नहीं था!बैठक में उसके तीनों बेटों की आवाज़ें आ रही थीं! कांच के गिलासों के टकराने की भी आवाज़ आ रही थी!शराब जैसी गंध भी आ रही थी!मनोहर  शुद्ध शाकाहारी ,धर्म कर्म से चलने वाला प्राणी था!उसके बेटे बिलकुल बिपरीत निकले!

 मनोहर की बीवी अपने बेटों को कोस रही थी , “ बाप की तेरहवीं नहीं की,लोग क्या कहेंगे”!

"क्या अम्मा तू फ़िर शुरू हो गयी,तुझे अपनी तेरहवीं करानी हो तो इस टॉपिक पर मुंह बंद रख"!

"मेरे मरने के बाद क्या होगा,कौन जाने"!

"तू भी बापू की तरह दकियानूस होती जा रही है"!

"जाने कहां भटक रही होगी उनकी आत्मा"!

"देख अम्मा , मज़ा खराब मत कर,सारा नशा उतार दिया! ये सारे कर्म कांड कुछ धूर्त लोगों द्वारा चलाया हुआ  ढकोसला और चोचलेबाज़ी है,आराम से रोटी खा और खाने दे,मरने के बाद आदमी और कुत्ते में कोई फ़र्क नहीं रहता"!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on January 19, 2016 at 12:40pm

हार्दिक आभार अदरणीय प्रतिभा पांडे जी!

Comment by pratibha pande on January 18, 2016 at 10:05pm

 कथा के मर्म को  कसे हुए शिल्प और सशक्त पंच लाइन ने सफलता पूर्वक संप्रेषित किया है ,बधाई इस सार्थक कथा पर आदरणीय तेजवीर सिंह जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on January 15, 2016 at 4:41pm

हार्दिक आभार आदरणीय फ़ूल सिंह जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on January 15, 2016 at 4:36pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on January 15, 2016 at 4:35pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी!

Comment by PHOOL SINGH on January 15, 2016 at 10:06am

बहुत ही सुन्दर, आप बहुत बहुत बधाई

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 15, 2016 at 3:06am
कुत्ते के शरीर में भेजना और मारक क्षमता वाली पंचपंक्ति से संदेश बख़ूबी सम्प्रेषित हुए हैं। बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
Comment by Samar kabeer on January 14, 2016 at 10:12pm
जनाब तेजवीर सिंह जी,आदाब,आपकी लघुकथा पसंद आई ,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 14, 2016 at 9:00pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी!लघुकथा पर त्वरित और बेबाक टिप्पणी पर पुनः हार्दिक आभार!

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 14, 2016 at 7:45pm
जब हम अपने संस्कार भूलते हैं तो संस्कृति स्वतः विलुप्त होने लगती है।
रचना के लिए बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service