For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वादे इरादे (लघुकथा) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी (46)

दस साल बाद एक समारोह में उन दोनों की अप्रत्याशित मुलाक़ात हो गई। न चाहते हुए भी बात चल पड़ी।

"मैंने तुमसे वादा किया था कि मैं आई.ए.एस. अधिकारी बनकर दिखाऊंगा, मैंने पाँच साल ख़ूब मेहनत की, साक्षात्कार तक पहुंच जाता था लेकिन नसीब में तो प्रोफेसर बनना ही लिखा था !"

"मेरे परिवार के स्टेटस का सवाल था। हमारे यहाँ कोई भी रिश्ता प्रशासनिक सेवा से नीचे के लोगों में नहीं हुआ ! आई.ए.एस. बनने के बाद मैं अपने माँ-बाप को और ज़्यादा इंतज़ार नहीं करा सकती थी ! .... लेेेेकिन तुमने तो पागलपन की हद कर दी ! तुमने अब तक शादी क्यों नहीं की ! मैंने कोई तुम्हीं से विवाह करने का वादा तो किया न था, वो तो मैं तुम्हारी अद्भुत प्रतिभा से प्रभावित मात्र थी !"

"और मैंने उसे प्यार समझ लिया था !"

"वह तुम्हारी मूर्खता ही थी ! कुछ भी सोचने से पहले तुम्हें अपने माँ-बाप का लेवल तो देखना था ! मैंने अपने माँ-बाप से किये वादे के मुताबिक आई.ए.एस. बनने के बाद एक आई.ए.एस. से ही शादी की । वादे निभाना हर एक के बस की बात नहीं !

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 605

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 6:25am
इस रचना पटल पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को सादर हार्दिक धन्यवाद।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 12, 2016 at 10:48am
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर समीक्षात्मक टिप्पणी करने व मुझे प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी व आदरणीय सतविंदर कुमार जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 28, 2015 at 11:06am

आज कल के रिश्ते भावनाओं पर नहीं टिकते प्रेक्टिकल पर ज्यादा हो गए हैं वो पहले की प्रेम कहानियाँ होती थी जिसमे धर्म वर्ण अर्थ की कोई बंदिश न होकर बस रिश्ते जबान भर से टिके होते थे यथार्थ को दिखाती यह एक सफल लघु कथा है बहुत- बहुत बधाई आ० शेख़ उस्मानी जी |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 27, 2015 at 7:56pm
सुंदर।आप सही कह रहे है आदरणीय शेख साहब।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 27, 2015 at 7:31pm
मैंने यह अनुभव किया है कि आसपास की सच्ची घटना पर आधारित 90% सच्चाई में 10% कल्पना और सार्थक सटीक संवाद का प्रयोग करके जो लघुकथा मैंने अभी तक रची, उसे बहुत पसंद किया गया व सराहा गया है। मेरी इस रचना पर अपना अमूल्य समय देकर सुंदर सटीक टिप्पणियों से मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया कान्ता राय जी, आदरणीया नीता कसार जी, आदरणीय सुशील सरना जी आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,आदरणीय मनन कुमार सिंह जी व आदरणीया राहिला जी ।
Comment by kanta roy on December 26, 2015 at 12:56pm

स्टेट्स के चिता में बलि चढ़ते रिश्ते अफ़सोस और कुछ नहीं ,सच ही कहते है महान दार्शनिक प्लेटो कि --प्रेम एक गंभीर मानसिक रोग है।
सुन्दर लघुकथा हुई है आपकी आदरणीय शहज़ाद जी। बधाई !

Comment by Sushil Sarna on December 24, 2015 at 8:13pm

वादे निभाना हर एक के बस की बात नहीं !

इस पंच लाईन ने आदरणीय लघु कथा के मर्म को जीत लिया है। इस सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय उस्मानी साहिब।

Comment by Manan Kumar singh on December 24, 2015 at 11:53am
बढ़िया
Comment by Manan Kumar singh on December 24, 2015 at 11:52am
बहुत बाडबढिया उस्मान भाई,मुबारक हो!
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 24, 2015 at 11:11am

यह कथा मानसिकता की कई परतें खोलती है ...हार्दिक बधाई ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service