For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमीरी की नई परिभाषा ( व्यंग्य कविता) अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव

बच्चन पूछे केबीसी में , रट लो शायद काम आए।                                                              

अमीरों की नई सूची बनेगी, शायद तेरा नाम आए॥                                             

 

प्याज के संग जो रोटी खाये, गरीब नहीं कहलाएंगे।                                        

तैंतीस रुपये कमाने वाले, अमीर वर्ग में आयेंगे॥                                              

 

भूख से तड़पे, नंगा घूमे, तब गरीब उसको मानो।                                          

चड्डी और बंडी पहना हो, तो रईस उसको जानो।।                                      

 

बत्तीस रुपय से ज्यादा न हो, कहलाएगा गरीब भिखारी।                                

चेकिंग में ज्यादा निकला तो, बन जायेगा अमीर भिखारी॥                                       

 

तैंतीस रूपये रोज कमाओ, ऐश करो, जो चाहे खाओ।                                                                             

गरीबी रेखा से उठ जाओ, अपनी अलग पहचान बनाओ।।                                                                                     

 

अमीरी की  नई परिभाषा से, अन्य देशों का ज्ञान बढ़ेगा।                                                                       

कम होगी संख्या गरीब की, भारत का सम्मान बढ़ेगा।।                                                                                                           

 

बड़े- बड़े चिंतक हैं देश में, अर्थशास्त्री  हैं बड़े - बडे़।                                   

सोच है इनकी बचकानी, ये कुतर्क शास्त्री हैं बड़े-बडे।।                        

 

तैंतीस रूपए प्रति दिन को, सरकार सही बतलाती है।                               

देश के हर एक कैदी पर, सौ रूपए रोज लुटाती है।।                         

 

शिक्षा स्वास्थ्य रोटी कपड़ा, सरकार की जिम्मेदारी है।                                                                    

ध्यान कैदियों का रखती है,  शरीफों की  लाचारी है।।

 

*******************************************************

-  अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, धमतरी (छत्तीसगढ़)

 

 

( मौलिक एवं अप्रकाशित )   

 

 

Views: 1080

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 25, 2013 at 6:22pm

 आ. अन्नपूर्णा जी, आ. मीना पाठकजी, केवल प्रसाद्जी,  आ. रमेशकुमारजी, आ. राम शिरोमणिजी, आ. अतेन्द्रकुमार, छोटे भाई गिरिराज , आ. गीतिकाजी, आ. जितेन्द्रजी, आ. अरुण शर्माजी, आ. आशुतोषजी, आ. सुशील जोशीजी, आ.विजय मिश्रजी, आ. वैद्यनाथ जी..................

आप सब का हार्दिक आभार, आप सभी ने इस व्यंग्य रचना को महत्व दिया, सराहा । पुनः हार्दिक धन्यवाद ।             

Comment by Saarthi Baidyanath on October 25, 2013 at 1:43pm

प्याज के संग जो रोटी खाये, गरीब नहीं कहलाएंगे।                                        

तैंतीस रुपये कमाने वाले, अमीर वर्ग में आयेंगे॥......क्या शब्द बाण हैं....लाजवाब आदरणीय !वाह :) 

Comment by विजय मिश्र on October 25, 2013 at 12:15pm
"तैंतीस रूपए प्रति दिन को, सरकार सही बतलाती है।
देश के हर एक कैदी पर, सौ रूपए रोज लुटाती है।। " क्या बात कही है ! सुंदर व्यंगोक्ति , बधाई .
Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 9:44pm

हा...हा..हा.....  बहुत ही सुंदर कटाक्ष है आज की परिस्थितियों पर.... सुंदर व्यंग्य द्वारा..... हार्दिक बधाई आ0 अखिलेश जी....

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 24, 2013 at 4:12pm

आदरणीय अखिलेश जी ..आज के परिप्रक्ष्य पर शानदार कटाक्ष ..सादर बधाई के साथ 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 24, 2013 at 12:08pm

आदरणीय आज के हालत पर बहुत ही सुन्दर कटाक्ष किया है आपने मेरी ओर से बधाई स्वीकारें

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 24, 2013 at 10:14am

लाजवाब व्यंग किये आपने, पढकर मजा आ गया, बधाई स्वीकारें आदरणीय अखिलेश जी

Comment by वेदिका on October 24, 2013 at 8:40am

बहुत अच्छे भाव पिरोये रचना मे, तार्किक हैं|

तैंतीस रूपए प्रति दिन को, सरकार सही बतलाती है।                               

देश के हर एक कैदी पर, सौ रूपए रोज लुटाती है।।  बहुत बढ़िया!!

यदि यह रचना किसी विधा विशेष मे दोहा आदि में होती तो और भी प्रभावशाली होती| 

बहरहाल बधाई लीजिये!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2013 at 9:31pm

आदरणीय बड़े भाई , लाजवाब व्य्ंग रचना के लिये आपको बधाई !!!!!

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on October 23, 2013 at 9:29pm

अमीरी की नई परिभाषा बताया है ...रचना बहुत ही अच्छी है ...बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"    प्रस्तुति की सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय मिथिलेश जी. सादर "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service