थर्रा गये मंदिर ,मस्जिद ,गिरिजा घर
जब कर्ण में पड़ी मासूम की चीत्कार
सहम गए दरख़्त के सब फूल पत्ते
बिलख पड़ी हर वर्ण हर वर्ग की दीवार
रिक्त हो गए बहते हुए चक्षु समंदर
दिलों में नफरतों के नाग रहे फुफकार
उतर आये दैत्य देवों की भूमि पर
और ध्वस्त किये अपने देश के संस्कार
दर्द के अलाव में जल रहे हैं जिस्म
नाच रही हैवानियत मचा हाहाकार
देख खतरे में नारियों का अस्तित्व
सर्व नाश भू मंडल पर ले रहा आकार
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Comment
सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर जी यही इन्तजार है ये क्रंदन कब थमेगा मिल जुल कर ही इसका हल खोजना होगा
आदरणीय गणेश बागी जी सही कह रहे हैं आंसूं भी कब तक बहेंगे पत्थर हो जायेंगे एक दिन ,हार्दिक आभार आपका
प्रिय सीमा जी ना जाने ये क्रंदन कब थमेगा इतना कुछ हो रहा है फिर भी इस तरह की घटनाएं सुनने को मिल रही हैं ,खैर इस मुहिम में अब तो आगे बढ़ चुके हैं आपका हार्दिक आभार
रिक्त हो गए बहते हुए चक्षु समंदर
दिलों में नफरतों के नाग रहे फुफकार
उतर आये दैत्य देवों की भूमि पर
और ध्वस्त किये अपने देश के संस्कार
आदरणीया राजेश कुमारी जी क्रंदन सुन सुन कान फट जाते हैं जहां भी देखो जहां पढो चीत्कार दानवों की करतूत।।चिंता अन्याय न जाने कब जागेंगे लोग
एक सामयिक रचना, क्रिया और प्रतिक्रिया पर जिस तरह की गंदगी फैली हुई है देख कर आक्रोश और घृणा से मन भर जाता है, खैर ....अच्छी रचना पर बधाई स्वीकार करें आदरणीया |
दर्द के अलाव में जल रहे हैं जिस्म
नाच रही हैवानियत मचा हाहाकार
देख खतरे में नारियों का अस्तित्व
सर्व नाश भू मंडल पर ले रहा आकार ...........घटना और वस्तु स्थिति को जितना व्यक्त किया जाये कम ही लग रही है आपके इस सम्प्रेषण हेतु बधाई
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी हार्दिक आभार आपका
आदरणीय विजय निकोरे जी एक वक़्त था मुस्लिम तानाशाही राज में ठाकुर लोग अपनी बच्चियों को पैदा होते ही मार देते थे या लकड़ी के बॉक्स में बंद करके बहा देते थे आज भी सूरत वही होती जा रही है ना जाने वक़्त किस और इशारा कर रहा है इस शिक्षाप्रद समाज में ये सब हो रहा है सोच कर हृदय दुखी होता है ,संवेदन शीलता के साथ प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार
आदरणीय प्रदीप कुशवाह जी आपका हार्दिक आभार मेरे लेखन को मान देने हेतु
आदरेया राजेश कुमारी जी सादर हर पंक्ति लाजवाब.
नाच रही हैवानियत मचा हाहाकार
देख खतरे में नारियों का अस्तित्व
सर्व नाश भू मंडल पर ले रहा आकार.....वाह! हार्दिक बधाई स्वीकारें.
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