For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-90 (विषय: प्रतीक्षा)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-90 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार का विषय है ''प्रतीक्षा', तो आइए इस विषय के किसी भी पहलू को कलमबंद करके एक प्रभावोत्पादक लघुकथा रचकर इस गोष्ठी को सफल बनाएँ।  
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-90
"विषय: प्रतीक्षा''
अवधि : 29-09-2022  से 30-09-2022 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2659

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम, आपकी प्रतीक्षा है ।

सुराज

 

मिन्नी आज का अखबार पढ़कर बाबा को सुना रही है:

आनंदपुरी से चार गुंडे बुलाकी ताई की चेन झपट कर भागे। कालेज से आती नवयुवती ने शोर मचाया, तो उसे भी उठा ले गए।

            *

नेपाली नगर के दो सौ मकान कल नगर निगम,पटना ने ध्वस्त किए। बताया गया कि ये मकान हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर लंबे अरसे पहले बने थे।इसके लिए घर बनाने वालों ने मोटी रक़में अधिकारियों की भेंट की थी।

            **

एक अस्पताल के सामने दिन भर जमीन पर पड़े-पड़े मरीज ने रात में दम तोड़ दिया।स्ट्रेचर तक नहीं मिला।उसे भर्ती कौन करे? बाद में खबर उड़ी कि वह लाया ही गया था मरा हुआ।सूबे के स्वस्थ्य मंत्री ने शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का औचक निरीक्षण किया, तो वहाँ के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। स्वस्थ्य -व्यवस्था लचर है। 

           ***

आजकल शराब माफियाओं पर नकेल कसने की तैयारी चल रही है। कई एक डेलीवरी बॉय गिरफ्त में आए हैं।उनसे माफियाओं के नाम –पते पता किए जा रहे हैं। प्रदेश में शराबबंदी को मजबूती से लागू करना है।उधर आबकारी नीति में हेरफेर कर माल बनाने के आरोप में एक प्रदेश के कुछ मंत्री सीबीआई/इडी के चक्कर लगा रहे हैं।कहते हैं कि उन्हें फंसाया जा रहा है।खबर तो यहाँ तक है कि किसी प्रदेश की सरकार ने बनवाए शौचालय, और उनकी गिनती क्लासरूम में भी करा दी गई।

                ****   

राज्य सरकार का एक धड़ा अभी विपक्ष में आ गया है,एक अभी भी सत्ता में है; दूसरे दल से गँठजोड़ कर के। एक-दूसरे पर कीचड़ उछाले जा रहे हैं। उम्मीद है, होली के पहले शहर के सारे नालों के कीचड़ नेताओं की इस कीचड़फेंकी में निबट जायेंगे। नाले साफ होंगे। जल-जमाव की समस्या से निजात मिलेगी। पिटी जनता ताली पीटेगी। (आगामी होली के उपलक्ष्य में प्रसारित एक व्यंग्य)।

                  *****

सीबीआई ने कुछ आर्थिक घोटालेबाजों और समाज में उन्माद व भेदभाव फैलानेवालों को पूछताछ के उपरांत गिरफ्तार किया है। शहर में धरना-प्रदर्शन जारी है। कहते हैं, सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। कुछ बसें, अन्य सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया है।कोई हताहत नहीं है। सरकार नुकसान का अनुमान लगा रही है। सुना गया है कि धरनाधर्मियों की संपत्ति से सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी।माहौल के और बिगड़ने के अंदेशे के मद्देनजर पुलिस-बल चाक-चौबन्द रखा गया है।

                 ******

जिन प्रदेशों में चुनाव होने हैं,वहाँ कुछ दल मुफ्त बिजली-पानी की घोषणाएँ उछाल रहे हैं। ऐसी घोषणाओं के बल पर कहीं-कहीं सरकारें बन भी गई हैं।केंद्र सरकार विरोध दर्ज करा रही है कि ये दल सरकारी खजाने का अपव्यय करके फिर केंद्र से पैसा मांगने लगते हैं।इस तरह लोक-कल्याण की योजनाएँ बाधित होती हैं।सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसी रेवड़ीनुमा घोषणाओं पर सरकारों से सवाल पूछे हैं।

                   *******

कोरोनाकाल में अन्य प्रदेशों से भगाये गए मजदूर, रोजी-रोजगार के अभाव में,फिर से उन्हीं प्रदेशों की तरफ अग्रसर हैं।प्रदेश का कौन मजदूर किस प्रदेश में है, इसकी जानकारी उनकी सरकारों को होती भी नहीं है। सोचते होंगे, कौन इस जहमत में पड़े? लेख-जोखा रखने पर जवाबदेही बढ़ जाएगी,कि नहीं? महँगाई का रोना लोग अलग ही रो रहे हैं।

                  ********

आजकल नेता और मंत्री या तो क्लबों में मिलते हैं या हस्पतालों में।एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार होने पर वे ज्यादा बीमार होने लगे हैं।लगता है, मंत्री-पुत्र कन्याओं के शील-हरण में मेडल प्राप्त करेंगे।जनता अँगूठे तो लगा चुकी है। अब करे तो क्या करे? भगवान-भरोसे जीवन-यापन कर रही  है।

                      *********

खबरें सुनने के बाद बाबा बोले, ‘मिन्नी, सुना था कि सुराज आएगा।सब लोग अपनेअपने काम –धंधे में लगेंगे। खुशहाल होंगे। चोरी-डाके,बदचलनी बंद हो जाएंगे।उसकी कोई खबर?’

“नहीं बाबा, वैसा तो कुछ नहीं है।हाँ,जंगलराज नामक शब्द अखबार में कई जगहों पर मिला है।

सत्यानाश।बाबा इतना ही कह पाये।

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

आ० मनन कुमार सिंह जी. मुझे यह लघुकथा बहुत पसंद आई, इसका प्रमुख कारण है इसका प्रयोगात्मक होना. दरअसल लघुकथा विधा में आजकल प्रयोग बहुत ही कम हो रहे हैं या यूँ कहें कि रचनाकार प्रयोग करने से डरते हैं. तो मेरी पहले बधाई इसी प्रयोग के लिए है. लेकिन एक सुझाव अवश्य देना चाहूँगा कि समाचारों के मध्य जो गैप है, उसे आप बाबा के किसी छोटे से वाक्य/प्रतिक्रिया से भर सकते थे. उससे निरंतरता तो बनी ही रहती बल्कि कथा-तत्त्व भी मज़बूत होता. बहरहाल, इस लघुकथा हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें. 

आदरणीय योगराज जी,इस प्रयोग के पीछे आपका दिया हुए शीर्षक ही है, 'प्रतीक्षा'।  आजादी के बाद से देश में सुराज प्रतीक्षा का विषय बना हुआ है।आजादी की लड़ाई के वक्त के बचे हुए लोग आजादी को सुराज ही समझते थे,और आज भी उसीकी उम्मीद लगाए बैठे हैं।इसलिए इस लघुकथा को पनपने का आधार देने के लिए आपको हृदय -तल से साधुवाद देता हूं।

आपके सुझाव के अनुरूप कुछ करता हूं,सादर।

किंचित परिमार्जन के उपरांत यह लघुकथा पुनः स्थापित की जाती है:

सुराज

 

मिन्नी आज का अखबार पढ़कर बाबा को सुना रही है:

आनंदपुरी से चार गुंडे बुलाकी ताई की चेन झपट कर भागे। कालेज से आती नवयुवती ने शोर मचाया, तो उसे भी उठा ले गए।”

उचकके स्...सा......ले।बाबा बुदबुदाये।

                        *             

“नेपाली नगर के दो सौ मकान कल नगर निगम,पटना ने ध्वस्त किए। बताया गया कि ये मकान हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर लंबे अरसे पहले बने थे।इसके लिए घर बनाने वालों ने मोटी रक़में अधिकारियों की भेंट की थी।”

अब जाके जगे हैं कमीने।” बाबा जी अब भुनभुनाने लगे थे।

             **

“एक अस्पताल के सामने दिन भर जमीन पर पड़े-पड़े मरीज ने रात में दम तोड़ दिया।स्ट्रेचर तक नहीं मिला।उसे भर्ती कौन करे? बाद में खबर उड़ी कि वह लाया ही गया था मरा हुआ। सूबे के स्वास्थ्य –मंत्री ने शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। बहुत सारे डॉक्टर गैरहाजिर थे। कल होकर जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। स्वास्थ्य –व्यवस्था लचर हो गई है।”

छिनताई-अपहरण के डर से बहुत डॉक्टर तो भाग ही गए थे ।कुछ याद करते हुए बाबा ने कहा।

                                   ***           

आजकल शराब माफियाओं पर नकेल कसने की तैयारी चल रही है। कई एक डेलीवरी बॉय गिरफ्त में आए हैं।उनसे माफियाओं के नाम –पते पता किए जा रहे हैं। प्रदेश में शराबबंदी को मजबूती से लागू करना है।उधर आबकारी नीति में हेरफेर कर माल बनाने के आरोप में एक प्रदेश के कुछ मंत्री सीबीआई/इडी के चक्कर लगा रहे हैं।कहते हैं कि उन्हें फंसाया जा रहा है।खबर तो यहाँ तक है कि किसी प्रदेश की सरकार ने बनवाए शौचालय, और उनकी गिनती क्लासरूम में भी करा दी गई।”

जब जिंदा आदमी को मरा बता देते हैं, तो क्या नहीं कर सकते ये सब ?’ अब बाबा ऊँघने लगे थे।

                              ****                  

“राज्य सरकार का एक धड़ा अभी विपक्ष में आ गया है,एक अभी भी सत्ता में है; दूसरे दल से गँठजोड़ कर के। एक-दूसरे पर कीचड़ उछाले जा रहे हैं। उम्मीद है, होली के पहले शहर के सारे नालों के कीचड़ नेताओं की इस कीचड़फेंकी में निबट जायेंगे। नाले साफ होंगे। जल-जमाव की समस्या से निजात मिलेगी। पिटी जनता ताली पीटेगी। (आगामी होली के उपलक्ष्य में प्रसारित एक व्यंग्य)।”

वाह! वाह!! ये तो खूब रही।पहली बार बाबा भी मुस्कुराए।

                          *****                  

“सीबीआई ने कुछ आर्थिक घोटालेबाजों और समाज में उन्माद व भेदभाव फैलानेवालों को पूछताछ के उपरांत गिरफ्तार किया है। शहर में धरना-प्रदर्शन जारी है। कहते हैं, सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। कुछ बसें, अन्य सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया है।कोई हताहत नहीं है। सरकार नुकसान का अनुमान लगा रही है। सुना गया है कि धरनाधर्मियों की संपत्ति से सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी।माहौल के और बिगड़ने के अंदेशे के मद्देनजर पुलिस-बल चाक-चौबन्द रखा गया है।”

चोर कभी कहता है कि वह चोर है?’ बाबा ने कटाक्षपूर्ण अंदाज में सवाल किया।

                  ******                

“जिन प्रदेशों में चुनाव होने हैं,वहाँ कुछ दल मुफ्त बिजली-पानी की घोषणाएँ उछाल रहे हैं। ऐसी घोषणाओं के बल पर कहीं-कहीं सरकारें बन भी गई हैं।केंद्र सरकार विरोध दर्ज करा रही है कि ये दल सरकारी खजाने का अपव्यय करके फिर केंद्र से पैसा मांगने लगते हैं।इस तरह लोक-कल्याण की योजनाएँ बाधित होती हैं।सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसी रेवड़ीनुमा घोषणाओं पर सरकारों से सवाल पूछे हैं।”

हर्रे लगे न फिटकरी और रंग चोखा। बद जात सब घर से बांटे तब न आता –दाल का भाव पता चले।’                             

बाबा का अंदाज अब गुस्सैल हो चला था।  

                             *******

 

“कोरोनाकाल में अन्य प्रदेशों से भगाये गए मजदूर, रोजी-रोजगार के अभाव में,फिर से उन्हीं प्रदेशों की तरफ अग्रसर हैं।प्रदेश का कौन मजदूर किस प्रदेश में है, इसकी जानकारी उनकी सरकारों को होती भी नहीं है। सोचते होंगे, कौन इस जहमत में पड़े? लेख-जोखा रखने पर जवाबदेही बढ़ जाएगी,कि नहीं? महँगाई का रोना लोग अलग ही रो रहे हैं।”

काम तो इन निकम्मों के लिए जहमत ही है। चुनकर आ गए, बस।ऐश करो।उबाऊ लहजे में बाबा की आवाज उभरी।

                  ********

“आजकल नेता और मंत्री या तो क्लबों में मिलते हैं या हस्पतालों में।एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार होने पर वे ज्यादा बीमार होने लगे हैं।लगता है, मंत्री-पुत्र कन्याओं के शील-हरण में मेडल प्राप्त करेंगे।जनता अँगूठे तो लगा चुकी है। अब करे तो क्या करे? भगवान-भरोसे जीवन-यापन कर रही  है।”

जैसे इन कमीनों के घर माँ-बहनें नहीं हों।घृणास्पद लहजे में घरघराती आवाज आई।

                      *********

सारी खबरें सुनने के बाद बाबा बोले, ‘मिन्नी, सुना था कि सुराज आएगा।सब लोग अपनेअपने काम –धंधे में लगेंगे। खुशहाल होंगे। चोरी-डाके,बदचलनी बंद हो जाएंगे।उसकी कोई खबर?’

“नहीं बाबा, वैसा तो कुछ नहीं है।हाँ,जंगलराज नामक शब्द अखबार में कई जगहों पर मिला है।

सत्यानाश। सियासत शैतानों के हवाले हो गई।बाबा इतना ही कह पाये।

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

आ. मनन कुमार सिंह जी, विषयानुकूल प्रयोगात्मक लघुकथा से आयोजन का फ़ीता काटने हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर। 

आपका आभार आदरणीय,महेंद्र जी।

आदाब। विलम्ब होता नहीं, हो जाता है। क्षमा कीजिएगा। ...वाह आदरणीय मनन कुमार जी। घटनाओं/समाचारों को एक ऐसी रचना में ढालने के इस प्रयोग और  मिन्नी और बाबा... इन दो पात्रों  के संवादों से यह बुनावट -प्रयोग हेतु हार्दिक बधाई। आदरणीय चेतन जी की टिप्पणी से मैं सहमत नहीं हूँ, जबकि सर मुहतरम जनाब योगराज साहिब के मार्गदर्शन और सुझाव से सहमत व लाभान्वित हुआ हूँ। तदनुसार आपका प्रस्तुत परिमार्जन बढ़िया लगा।

अब, मेरा भी एक पाठकीय सुझाव है कि जब सात-आठ ख़बरों के ताने-बाने में बाबाजी के संवाद भावाव्यक्ति संग जोड़े हैं तो प्रवाह व निरंतरता बनाये रखने हेतु बीच के सितारे चिह्न हटाने बावत मिन्नी के रोचक या तंजदार  लघु संवाद भी जोड़े जा सकते हैं। केवल सुझाव मात्र आदरणीय।

  1. आदरणीय उस्मानी जी,लघुकथा को मान देने हेतु आपका बहुत बहुत आभार।आपका भी सुझाव ध्यातव्य प्रतीत होता है।वैसे मिन्नी समाचार पढ़कर सुना रही है,इसलिए बाबा की टिप्पणी ज्यादा प्रभावशाली रहेगी।धन्यवाद।

शुक्रिया।..... तो फ़िर ऐसा कुछ जोड़ सकते हैं ...//मिन्नी अगली ख़बर.सुनाने लगी...//

आदरणीय उस्मानी जी, लघुकथा से आपका जुड़ाव मेरे प्रति भी स्नेह का पर्याय लगता है। आपकी सलाह काबिलेगौर है। वैसे प्रयोगधर्मी रचनाओं में तो परिमार्जन/संशोधन का अधिकतम क्षेत्र विद्यमान रहता ही है। शुक्रिया। 

आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, आपकी नए अंदाज़ की और ध्यान बाँधने लेने वाली लघुकथा के लिए आपको दाद और हार्दिक बधाई पेश करता हूँ। आदरणीय योगराज प्रभाकर साहिब के सुझाव से बहुत सीखने को भी मिला। सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service