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मन का साहिल. . . .

मन का साहिल ......

जाने कब मेरे अन्तस में
भावनाओं का सागर उफान मारने लगा
भावों की वीचियों पर
चाहत की कश्ती
अठखेलियां करने लगी

दिल के किसी कोने में
एक चाहत उभरी
कि मैं हौले से छू लूँ
फिर वही
अधर दलों पर ठहरी
उल्फ़त की गंध
चुपके से

डूब जाऊँ
किसी मदहोश भंवरे की तरह
पुष्प आगोश में
पराग का रसपान करते हुए
आकंठ तक

और मिल जाए
मेरी चाहत की कश्ती को
मेरे मन का साहिल

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 688

Comment

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Comment by pratibha pande on July 20, 2021 at 2:26pm

 आदरणीय सुशील सरना जी

सादर अभिवादन। आपकी अस्वस्थता के बारे में अभी टिप्पणियाँ पढकर पता चला।खुशी हुई जानकर कि अब सब ठीक है। आपकी रचना हमेशा की तरह  गहन और खूबसूरत एहसासों वाली है। हार्दिक बधाई

Comment by Sushil Sarna on July 20, 2021 at 12:15pm
आदरणीय समर कबीर साहब , आदाब - सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सर रिकवरी चल रही है ।कमजोरी बहुत है ।आप की दुआ असर कर गई और खुदा ने हमें थोड़ी सी जीने की मोहलत दे दी ।दिल से शुक्रिया सर ।
Comment by Sushil Sarna on July 20, 2021 at 12:11pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है ।कुशलक्षेम के लिए दिल से आभार आदरणीय ।
Comment by Sushil Sarna on July 20, 2021 at 12:10pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी कुशलक्षेम पूछने हेतु आपका हार्दिक आभार ।
Comment by Sushil Sarna on July 20, 2021 at 12:09pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार
Comment by Samar kabeer on July 17, 2021 at 3:31pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

अब आपकी तबीअत कैसी है?

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 11, 2021 at 3:43pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, सुंदर, मनोहारी सृजन के लिए बधाई प्रस्तुत करता हूँ। कोरोना से उबर आने के लिए आपको सपरिवार विशेष बधाईयाँ। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 11, 2021 at 3:36pm

आप स्वस्थ हैं यह हमारे लिए हर्ष का विषय है । सादर..

Comment by Sushil Sarna on July 11, 2021 at 1:44pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । करोना से लम्बी लड़ाई के बाद मेरे सृजन को मान देने का दिल से आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 10, 2021 at 8:19pm

आ. भाई सुशील जी, सुन्दर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

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