For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-67 (विषय: तलाश)

आदरणीय साथियो,
सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-67 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-67
विषय: "तलाश"
अवधि : 30-10-2020 से 31-10-2020
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फ़ॉन्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है।
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाए रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाएँ इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद ग़ायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आसपास ही मँडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया क़तई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा ग़लत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फ़ोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
.
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 3715

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सादर नमस्कार। रचना पटल पर उपस्थित होकर मेरे इस अभ्यास का अवलोकन करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर सिंह जी।  मैंने इस तरह की लघुकथायें कहीं पढ़ीं थीं, सो एक अभ्यास किया है।

कोरोना काल की पेचीदी जिन्दगी को दर्शाती रचना।बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय शेख सरजी।

रचना पटल पर समय देकर संदर्भित प्रोत्साहक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बबीता गुप्ता जी।

आदरणीय शेख उस्मानी सर .. डायरी शैली मे लिखी गी अच्छी रचना के लिए बधाई..

आदाब। मेरी इस प्रविष्टि का अवलोकन करने और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कनक हरलाल्का जी।

इस तरह के कथ्य के लिये डायरी शैली ही सबसे सटीक थी। बधाई आपको इस शैली के चुनाव के लिये। आप आरंभ पति के हाथों पत्नी की डायरी आने से भी कर सकते थे और अंत भी डायरी पढ़ने के बाद पति के स्वयं से संवाद/ आत्मावलोकन से हो सकता था । दो मिश्रित शैलियों के साथ प्रभाव और कथ्य की स्पष्टता और बढ़ जाती।

सादर नमस्कार। आपकी टिप्पणियों की इसी कारण प्रतीक्षा रहती है कि बेहतरीन मार्गदर्शन हासिल हो सकेगा। सही कहा आपने। लेकिन मुझे इसी शैली का अभ्यास करना था। आपके द्वारा बताई गई मिश्रित शैली में भी अब अभ्यास करूंगा और शायद पहले किसी रचना में कर भी चुका हूँ जहाँ टिप्पणी में कहा गया था कि मिश्रित की बजाए पूरी तरह डायरी शैली हो। इसी तरह  पूरी तरह पत्रशैली का सुझाव एक जगह कहीं पढ़ा था। सादर।

मुश्क

"अब यह मेरी आखिरी कुंजी है इस शराबी का प्यार पाने की।" मांस की दुर्गंध से बचने के लिए अपने पल्लू से नाक-मुंह ओढ़ती सुजाता भुनभुनाती हुई बोली । सुजाता अपनी तीन साल पुरानी शादी में पति की शराब की लत से इतनी परेशान नही थी, जितना कि उसकी नजरअंदाजी से थी। ऐसा भी तो नही था कि वह सुंदर नही थी या बिल्कुल जाहिल गंवार औरत थी जिससे कि उसके पति को वजह मिल जाये उसे दरकिनार करने की। एक खूबसूरत, पढ़ीलिखी औरत के लिए अपने पति द्वारा की गई अनदेखी बेहद कष्टदायक होती है और यह बात सुजाता से बेहतर कोई नही जानता था और यह भी नही था कि सुजाता ने वजह खोजने की कोशिश न कि हो, बल्कि उसने अनदेखी के इस ताले को खोलने के लिए हर कुंजी को आजमाने की कोशिश की थी। सजा धजाकर खुद को प्रेयसी की तरह पेश करने से लेकर, वह अपने शौहर की साकी तक बन गई लेकिन ताला न खुला। 'मर्द के दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है' माई की कही हुई यह बात उसे याद आते ही उसने इस चाबी को भी आज आजमाने का फैसला कर लिया। अपने पति के पसंदीदा मटन कबाब बनाते-बनाते उसकी हालत कीमा कूटते कसाई-सी हो गई थी लेकिन वह खुश थी ।
दरवाजे पर दस्तक होते ही वह तुरंत मटन कबाब तश्तरी में सजाकर दरवाजे की ओर लपकी।दरवाजा खोलते ही वह स्तब्ध रह गई। रोजाना शराब और मांसाहार की मिश्रित बू प्रसारित करता उसका पति आज मुस्कुराहट और आह्लाद से सराबोर था। "सुजाता...देख सुजाता आज से मैंने सब छोड़ दिया।"
"सच..? आखिर मेरे प्यार ने आपको मजबूर कर ही दिया।"
दरवाजे पर ही खड़ी सुजाता भावावेग में बोली।
"प्रभु के प्रेम ने सुजाता ....प्रभु अन्नपूर्णानन्द स्वामी के आशीर्वाद की वजह से यह चमत्कार हुआ है।"
सुजाता के हाथों से तश्तरी फिसलकर जमीन पर गिर पड़ी ।

अप्रकाशित एवं मौलिक

हार्दिक बधाई आदरणीय अनिल मकरिया जी। बेहतरीन लघुकथा। पारिवारिक जीवन में अकसर ऐसा होता है कि बेमेल रिश्ते हो जाते हैं। जीवन भर दोनों एक दूसरे को कोसते हुए जीवन की गाड़ी को ढोते रहते हैं। हार जीत की कशमकश चलती रहती है। कभी ऐसा मुकाम भी आता है कि किसी का हृदय परिवर्तन हो जाता है। आपने बड़ी बारीकी और गहराई से इस कथ्य को निभाया है।पुनः हार्दिक बधाई।

बहुत सुन्दर रचना।बहुत-बहुत बधाई आदरणीय अनिल सरजी।

अनिल मकारिया जी बेहतरीन लघुकथा के लिए बधाई स्वीकार करें। स्त्री चाहे कितनी भी चेष्टा  कर ले पर पुरुष हरदम अपनी ही स्वार्थ पूर्ति और आत्मसंतुष्टि में लीन रहता है। वह स्त्री के मन को समझ ही नहीं सकता ।

पति का प्यार तलाशती स्त्री को लेकर अच्छा लिखा आपने आदरणीय अनिल जी। हार्दिक बधाई। अंत कुछ अस्पष्ट लगा।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
19 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service