For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन की बात - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

दोहे

तोड़ो चुप्पी और फिर, कह दो मन की बात
व्याकुल तपती देह पर, हो सुख की बरसात।१।


लाज शरम चौपाल की, यू मत करो किलोल
जो भी मन की बात हो, अँखियों से दो बोल।२।


मन से मन की बातकर, कम कर लो हर पीर
बाँध  रखो  मत  गाँठ  में, दुख  देगा  गम्भीर।३।


मन से निकलेगी अगर, दुखिया मन की बात
जो भी  शोषक  जन  रहे, देगी  ढब  आधात।४।


कहना मन की बात नित, करके सोच विचार
जोड़े  यह  व्यवहार  को, तोड़े  यह  व्यवहार।५।


माँ से मन की बात  तब, रखी  छुपाकर खूब
अब कहने की लालसा, क्यों मन को महबूब।६।


मन में दबकर रह गयी, हरदम मन की बात
कहना चाहा  जब  कभी, बने  नहीं हालात।७।


कहते मन की  बात  वो, अपनी  ही हर बार
सुनते तो चलता पता, कितना दुख का भार।८।


मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 706

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 3, 2019 at 8:20pm

आ. भाई सलीम जी, प्रशंसा के लिए धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 3, 2019 at 8:19pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति से मान बढ़ाने के लिए आभार । आपकी सलाह बेहतरीन है । आभार।

Comment by SALIM RAZA REWA on December 3, 2019 at 6:46pm


भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी बहुत अच्छे दोहे लिखे आपने,मुबारकबाद।

Comment by Samar kabeer on December 1, 2019 at 12:14pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।

'तोड़ो चुप्पी और फिर, कहकर मन की बात
व्याकुल तपती देह पर, कर दो सुख बरसात'

इस दोहे को व्याकरण की दृष्टि से यूँ होना चाहिए:-

'तोड़ो चुप्पी और फिर,कह दो मन की बात

व्याकुल तपती देह पर,हो सुख की बरसात'

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 1, 2019 at 6:45am

आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 1, 2019 at 6:44am

आ. भाई सुरेंद्र जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 1, 2019 at 6:42am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति से मान बढ़ाने के लिए आभार।

Comment by vijay nikore on December 1, 2019 at 1:50am

आपके लिखे दोहे बहुत अच्छे लगे। बधाई, मित्र लक्ष्मण जी।

Comment by नाथ सोनांचली on November 30, 2019 at 8:38pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। बढ़िया दोहावली हुई है,, बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by TEJ VEER SINGH on November 30, 2019 at 7:35pm

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी। बेहतरीन दोहे।

कहते मन की  बात  वो, अपनी  ही हर बार
सुनते तो चलता पता, कितना दुख का भार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service