For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस दीवाली सिर्फ दीये मत जलाना तुम
बनकर प्रकाश अँधेरे में उतर जाना तुम

देखना कहीं कोई मासूम
बुझी फुलझड़ियों में गुमसुम
चिंगारी ढूंढ रहा हो तो
उसके पास जाना तुम

रौशन कर दुनिया उसको गले लगाना तुम
इस दीवाली सिर्फ दीये मत जलाना तुम

और देखना घर की झुर्रियाँ सभी
दूर कर के दिलों की दूरियाँ सभी
साथ मिलके सब अपनों के
एक एक कर जलाना मजबूरियाँ सभी

एकता में बल है कितना ये बताना तुम
इस दीवाली सिर्फ दीये मत जलाना तुम

सोचना अपनी और देश की भी तुम
फिक्र करना अपने परिवेश की भी तुम
एक कदम भी तुम्हारा है महत्वपूर्ण
दे देना आहुति सब क्लेश की भी तुम

सहस्त्र दीयों सा सदा ही जगमगाना तुम
इस दीवाली सिर्फ दीये मत जलाना तुम
बनकर प्रकाश अँधेरे में उतर जाना तुम

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by dandpani nahak on November 2, 2019 at 1:05am
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह ' कुशक्षत्रप' जी नमस्कार आपका बहुत बहुत शुक्रिया कविता आपको अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ कह सकता हूँ आपने जो हौसला बढ़ाया सदा आभारी रहूँगा
Comment by dandpani nahak on November 2, 2019 at 1:01am
आदरणीया डॉ. गीता चौधरी साहिबा नमस्कार बहुत धन्यवाद् आपका आपने मेरी रचना को सराहा मेरा हौसला बढ़ाया और इन सबके लिए अपना समय निकाला आपका ह्रदय से आभारी हूँ!
Comment by नाथ सोनांचली on November 1, 2019 at 1:31pm

आद0 dandpani nahak जी सादर अभिवादन। बेहतरीन रचना पर दिल खोल कर बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on October 30, 2019 at 10:35am

आदरणीय Dandpani Nahak ji, सुंदर सन्देश को सुंदर शब्दों में व्यक्त करने के लिए बहुत बधाई I

Comment by dandpani nahak on October 28, 2019 at 6:10pm
परम आदरणीय समर कबीर साहब प्रणाम! बहुत बहुत धन्यवाद् आपने समय निकाला और सराहा ! आपकी हौसला अफ़जाई मेरे लिए संजीवनी का काम करती है बहुत शुक्रिया आपकी कृपा बनी रहे|
Comment by Samar kabeer on October 28, 2019 at 4:10pm

जनाब दण्डपाणि नाहक़ जी आदाब,बहुत अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by dandpani nahak on October 27, 2019 at 7:54pm
आदरणीय आसिफ़ ज़ैदी साहब नमस्कार बहुत बहुत शुक्रिया समय देने और सराहने के लिए बहुत धन्यवाद्
Comment by Asif zaidi on October 27, 2019 at 7:52pm

 आदरणीय नाहक जी बहुत ख़ूब बहुत बहुत बधाई सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nisha updated their profile
10 hours ago
Nisha shared Admin's discussion on Facebook
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। दोहे के बारे में सुझाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"सार्थक दोहे हुए, भाई मुसाफिर साहब ! हाँ, चौथे दोहे तीसरे चरण में, संशोधन अपेक्षित है, 'उसके…"
yesterday
Chetan Prakash posted a blog post

कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः

दुर्दशा हुई मातृ भूमि जो, गंगा ...हुई... .पुरानी है पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता-कथा सुनानी है…See More
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

जलते दीपक कर रहे, नित्य नये पड्यंत्र।फूँका उन के  कान  में, तम ने कैसा मंत्र।१।*जीवनभर  बैठे  रहे,…See More
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर उपस्थितिभाव.पक्ष की कमी बताते हुए मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"मेरे सुझाव को स्वीकार कर तदनुरूप रचना में सुधार करने के लिए मैं आपका आभारी हूँ, आदरणीया विभा रानी…"
Wednesday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"अवसर : शुभेक्षु "आपको सर्वोच्च शैक्षिक डिग्री अनुसन्धान उपाधि प्राप्त किए इतने साल गुजर गये!…"
Wednesday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"जी महोदय Saurabh Pandey जी हार्दिक धन्यवाद आपका गलतियाँ सुधार ली जायेंगी"
Wednesday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"जी महोदय Manan Kumar singh जी व्याकरण जनित/टंकण जनित त्रुटियाँ हैं हार्दिक धन्यवाद आपका"
Wednesday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service