For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आपसी सहयोग - लघुकथा –

आपसी सहयोग - लघुकथा –

 साहित्यकार तरुण घोष के नवीनतम लघुकथा संग्रह "अपने मुँह मियाँ मिट्ठू" को वर्ष -2018 का सर्वश्रेष्ठ लघुकथा संग्रह चुना गया और  साहित्य जगत का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान "सूक्ष्मदर्शी" दिया गया।

यह समाचार मिलते ही उनकी प्रिय लेखनी अत्यधिक वाचाल हो गयी। सुबह से बस एक ही गुणगान किये जा रही थी,

"देखा, मेरी ताक़त को, क़माल की शक्ति और सोच है मेरे पास। आज मेरे कारण साहब का मस्तक सातवें आसमान पर है"।

घोष साहब की लिखने की मेज पर मौजूद स्याही की दवात, लिखने का पैड, अलार्म घड़ी, टेबल कलेंडर और कुछ पुस्तकें, कलम का यह बचकाना बखान चुपचाप सुन रहे थे।

जब इस बखान की अति हो गयी तो स्याही की दवात ने मुँह खोला,

"अब बस भी करो कलम महारानी। बहुत हो गयी आत्म प्रशंसा"?

"क्यों जलन हो रही है"?

"जलन और तुमसे? यह मेरे स्वभाव में ही नहीं है"?

"अगर जलन होगी भी तो मेरा क्या बिगाड़ लोगी। तुमने देखा ही है कि साहब मुझे हर वक्त अपने साथ, अपने दिल के पास वाली जेब में रखते हैं"।

"वह सब तो ठीक है, मगर तुम यह क्यों भूल जाती हो कि बिना मेरी स्याही के तुम एक इंच भी नहीं चल सकतीं"?

कलम और स्याही की दवात की यह बहस चल ही रही थी कि लैटर पैड में से एक सफ़ेद कागज बाहर आकर दोनों के मध्य खड़ा हो गया,

"क्या महत्व है तुम दोनों का, बिना मेरे योगदान के? यह एक अमिट सत्य है कि कलम दुनियाँ का सबसे ताक़तवर हथियार है लेकिन स्याही और कागज़ के बिना मात्र एक खिलौना"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on June 5, 2018 at 11:35am

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।

Comment by vijay nikore on June 1, 2018 at 6:48am

अच्छा संदेश देती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई, आ० तेज वीर सिंह जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 29, 2018 at 12:05pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 29, 2018 at 7:19am

आदरणीय तेजवीर जी सहयोग के बिना वाकई कुछ संभव नहीं है सार्थक सन्देश देती आपकी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई गहन बातो को इतनी सादगी और सरलता से अभिव्यक्ति करने का आपका हुनर मुझे बेहद प्रभावित करता है।।सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on May 28, 2018 at 11:54am

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 28, 2018 at 11:54am

हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 28, 2018 at 11:53am

हार्दिक आभार आदरणीय बबिता गुप्ता जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on May 28, 2018 at 11:51am

आदरणीय तजवीर सिंह जी, आपसी सहयोग के महत्व का संदेश देती अच्छी लघुकथा । प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Mahendra Kumar on May 28, 2018 at 9:56am

जीवन में आपसी सहयोग के महत्त्व को दर्शाती बढ़िया लघुकथा है आदरणीय तेज वीर सिंह जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by babitagupta on May 27, 2018 at 8:39pm

लघु कथा के माध्यम से आपसी सहयोग के बिना जीवन निस्सार ,अच्छा संदेश दिया हैं.प्रस्तुत रचना के लिए बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
11 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
16 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
18 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service