केदारनाथ सिंह के लिए
वैसे तो आजकल किसी को क्या फर्क पड़ता है -
एक कवि के न होने से !
लेकिन जैसे ख़त्म हो गया है धरती का सारा नमक
और अलोने हो गए हैं
सारे शब्द...
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
आदरणीय अजय तिवारी जी आदाब,
केदारनाथ सिंह को श्रद्धांजलि स्वरूप पेश कविता बहुत ही प्रभावी लगी ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
हिंदी साहित्य के मूर्धन्य हस्ताक्षर केदारनाथ जी को विनम्र श्रंद्धाजलि
'वो नहीं है तो ऐसा लगता है
सूना सूना सा है दियार-ए-अदब'
'समर कबीर'
विनम्र श्रद्धांजलि
विनम्र श्रद्धांजलि|
भगवान उनकी आत्मा को शांति और उनके परिवार वालों को इस दुख का सामना करने की हिम्मत दे ।
नमन ...श्रद्धांजलि
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