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केदारनाथ सिंह के लिए - अजय तिवारी

केदारनाथ सिंह के लिए

वैसे तो आजकल किसी को क्या फर्क पड़ता है -

एक कवि के न होने से !  

लेकिन जैसे ख़त्म हो गया है धरती का सारा नमक 

और अलोने हो गए हैं  

सारे शब्द...

मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Mohammed Arif on March 22, 2018 at 4:42pm

आदरणीय अजय तिवारी जी आदाब,

                          केदारनाथ सिंह को श्रद्धांजलि स्वरूप पेश कविता बहुत ही प्रभावी लगी ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on March 22, 2018 at 2:56pm

हिंदी साहित्य के मूर्धन्य हस्ताक्षर केदारनाथ जी को विनम्र श्रंद्धाजलि

Comment by Samar kabeer on March 21, 2018 at 11:28pm

'वो नहीं है तो ऐसा लगता है

सूना सूना सा है दियार-ए-अदब'

'समर कबीर'

विनम्र श्रद्धांजलि

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on March 21, 2018 at 10:26pm

विनम्र श्रद्धांजलि| 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 21, 2018 at 9:14pm

भगवान उनकी आत्मा को शांति और उनके परिवार वालों को इस दुख का सामना करने की हिम्मत दे ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 21, 2018 at 8:35pm

नमन ...श्रद्धांजलि 

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