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भाई कुमार गौरव जी बहुत ही बढ़िया कताक्ष् है इस रचना में प्रस्तुतीकरण बहुत भाया काबिले तारीफ़ इस रचना पर ह्रदय से बधाई सादर
आद0 कुमार गौरव जी सादर अभिवादन। बढिया लघुकथा कही आपने। बधाई स्वीकार कीजिये। सादर
बहुत बढ़िया कटाक्ष| हार्दिक बधाई इस बेहतरीन लघुकथा के लिए आ कुमार गौरव जी|
जनाब कुमार गौरव जी आदाब,बहतरीन लघुकथा,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
भाई का हाथ,और साथ ने नाक की परवाह से मुक्त कर दिया उम्दा कथा के लिये बधाई आद० कुमार गौरव जी ।
बहुत ही उम्दा कटाक्षपूर्ण रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय कुमार गौरव जी।
वाह! वाह!! बहुत ही बेहतरीन और कटाक्षपूर्ण लघुकथा । मज़ा आ गया इस लघुकथा को पढ़कर । सच है, जिस नाक को लेकर चला जाता है या जिन आदर्शों को लेकर हम जीवन यापन करने की कोशिश करते हैं वो आदर्श परिस्थितियों के आगे घुटने टेक देते हैं । सारे आदर्श धराशायी हो जाते हैं ।
ओबीओ मंच पर आपका स्वागत हैं क्योंकि मैं पहली बार आपकी रचना से संवाद कर रहा हूँ । सशक्त लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
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