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चूना लगा (लघुकथा)

"आप मुझसे कब तक प्रेम करेंगे?" समुद्र तट पर पति के साथ प्यार भरे लम्हों में बहुत भावुक होते हुए पत्नी ने कहा।
पति ने उसकी आँखों से आँसू की एक बूंद निकाल कर समुद्र के पानी में डाला और बोला - "इस आँसू की बूंद को जब तक तुम खोजकर नहीं निकालतीं, मैं तब तक तुमसे प्रेम करूँगा ..!"
यह देख समुद्र की भी आँखों में पानी आ गया और उसने कहा - 
"कहाँ से सीखते हो रे तुम लोग ... पत्नी को इतना चूना लगाना ?" 
"चूना! नाचूं या चूना लगाऊं? तुझे क्या मतलब? तू चूना नहीं लगाता क्या? तू नहीं नाचता क्या?" -पति ने समुद्र की लहर को लतयाते हुए कहा। 
पत्नी अपने पति में उठती सुनामी-भावनाओं से सहम सी गई और बोली- "मैंने कब कहा कि तुम मेरे लिए नाचो? मुझे तो कभी भी ऐसा नहीं लगा कि तुम मुझे चूना लगा रहे हो। दोगले समुद्र की बातों से मुझे कोई मतलब नहीं! मैं तो भारतीय नारी हूं। सुनामी हो या साधारण धरा, उसमें समा जाना हमारी परम्परा है प्रिय!" यह कहकर ख़ून के घूंट पी कर वह पति की छाती में समा गई। पति की छाती अब कुछ नमी सी महसूस कर रही थी।
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Samar kabeer on January 6, 2018 at 5:34pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा ,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Nita Kasar on January 4, 2018 at 3:24pm

मन को पढ़ना जानती है कहती कम पर समझती है,पत्नि तारीफ से पुलकित हो जाती है सुंदर कथा के लिये बधाई आद०शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 4, 2018 at 1:59pm

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बेहतरीन लघुकथा,नारी के सच्चे भारतीय स्वरूप को उल्लेखित करती। बहुत बहुत बधाई आपको।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 4, 2018 at 12:57pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।बहुत मार्मिक प्रस्तुति।

Comment by Mohammed Arif on January 4, 2018 at 12:32pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                        बहुत ही प्रभावोत्पादक कथा । अगर कथानाक प्रारंभिक आरोह पर ही छोड़ दिया तो और ज़ियादा भाव प्रवणता को बनाए रखती । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 4, 2018 at 10:31am

वाह वाह बहुत सुंदर लघुकथा । इस व्यस्तता भरे दौर में मुहब्बत पर अच्छा तंज है । बधाई बन्धु ।

Comment by SALIM RAZA REWA on January 4, 2018 at 10:21am
वाह जनाब शहज़ाद उस्मानी साहब,
क्या खूब उदाहरण दिया है...
आप मुझसे कब तक प्रेम करेंगे?" समुद्र तट पर पति के साथ प्यार भरे लम्हों में बहुत भावुक होते हुए पत्नी ने कहा।
पति ने उसकी आँखों से आँसू की एक बूंद निकाल कर समुद्र के पानी में डाला और बोला - "इस आँसू की बूंद को जब तक तुम खोजकर नहीं निकालतीं, मैं तब तक तुमसे प्रेम करूँगा ..!" मुबारक़बाद

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