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ग़ज़ल - झूठ का इश्तहार खूब चला

बह्र - फाइलातुन मफाइलुन फैलुन

झूठ का इश्तहार खूब चला।
इस तरह कारोबार खूब चला।

कोने कोने में मुल्क के साहब,
आप का ऐतबार खूब चला।

गाँव तो गाँव हैं नगर में भी,
रात भर अंधकार खूब चला।

जो हक़ीक़त से दूर था काफी,
वो भी तो बार बार खूब चला।

नोट में दाग थे बहुत लेकिन,
नोट वो दाग़दार खूब चला।

सबने देखा है किस अदा के साथ,
बेवफा तेरा प्यार खूब चला।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 29, 2017 at 5:20am

आदर्णीय कालीपद प्रसाद जी ग़ज़ल पसन्दगी के लिये आपका बहुत बहुत आभार

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 29, 2017 at 5:18am

आदरणीय अफरोज़ सर मैं मुल्क की जगह देश कर देता हूँ। आपका बहुत बहुत शुक्रिया तनाफुर की ओर ध्यान दिलाने एवं ग़ज़ल पसन्दगी केलिये । सादर

Comment by Afroz 'sahr' on December 28, 2017 at 10:30pm
आदरणीय राम अवध जी इस रचना पर बहुत बधाई आपको
दूसरे शेर के ऊला मिसरे में तनाफ़ुर है। देखिएगा,,,
Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 28, 2017 at 10:19pm

बहुत खुबसूरत ग़ज़ल \ बधाई स्वीकार करे आदरणीय राम अवध जी 

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 28, 2017 at 7:43pm

आदर्णीय तस्दीक़ अहमद साहब उत्साह वर्धन के लिये सादर आभार

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 28, 2017 at 7:41pm

आदर्णीय महेन्द्र कुमार जी ग़ज़ल पसन्दगी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 28, 2017 at 7:39pm

आदर्णीय सलीम रज़ा साहब बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल सराहना के लिये।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 28, 2017 at 5:28pm

जनाब राम अवध साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by Mahendra Kumar on December 28, 2017 at 3:04pm

सबने देखा है किस अदा के साथ,
बेवफा तेरा प्यार खूब चला। ...बहुत ख़ूब! 

हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. राम अवध जी. सादर.

Comment by SALIM RAZA REWA on December 28, 2017 at 8:42am
जनाब राम अवध जी आदाब,
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के बधाई स्वीकार करें ।

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