For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- "इसके आगे बस ख़ुदा का नाम है" / दिनेश कुमार

2122--2122--212

भाग्य तेरे कर्म का परिणाम है
तुझ पे ही निर्भर तेरा अंजाम है

मेरे हमराही को भी ठोकर लगी
मेरे दिल को अब ज़रा आराम है

सिर्फ़ सच की राह पर चलता हूँ मैं
आबला-पाई मेरा इनआ'म है

उसकी मर्ज़ी है अता कुछ भी करे
बस दुआ करना हमारा काम है

शख़्सियत अपनी निखारो मुफ़्त में
मुस्कुराहट का न कोई दाम है

हम फ़क़ीरों की नज़र से देखिये
जिस्म इक मन्दिर है पावन धाम है

हम यथा सम्भव मदद सब की करें
आदमीयत का यही पैग़ाम है

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 864

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on December 26, 2017 at 6:35pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. मोहम्मद आरिफ़ साहब। ऐन नवाज़िश। 

Comment by दिनेश कुमार on December 26, 2017 at 6:33pm

आ. अफ़रोज़ सहर साहब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।

दूसरे शेर में क्या स्पष्ट नहीं हो पाया, मैं समझ नहीं सका, सर।

4th शेर में मेरे ख़याल से ऐब नहीं है। 6th शेर आपके कहे अनुसार मैं यक़ीनन कर लेता यदि मेरे शेर में कोई त्रुटि होती आ. ।

गिरह मैंने वाक़ई नहीं पोस्ट की थी। अब कर रहा हूँ, देखियेगा सहर साहब।

इश्क़ करना सीख तू भी ऐ 'दिनेश'

"इससे आगे बस ख़ुदा का नाम है"

सादर।

Comment by Samar kabeer on December 26, 2017 at 2:36pm

जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा तरही ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by नाथ सोनांचली on December 26, 2017 at 1:50pm

आद0 दिनेश जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, शैर दर शैर मुबारकबाद कुबूल करें। आद0 अफ़रोज़ जी के बातों का संज्ञान लीजियेगा। सादर

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 26, 2017 at 1:27pm

आदर्णीय दिनेशकुमार जी खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिये बधाई

Comment by Ajay Tiwari on December 26, 2017 at 12:42pm

'जिस्म इक मन्दिर है पावन धाम है'    इस पंक्ति से मुझे 'बाणभट्ट की आत्मकथा' की याद आई. अपने इस प्रख्यात उपन्यास में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने स्त्री के शरीर को देव मंदिर कहा था. 

 

आदरणीय दिनेश जी, बहुत अच्छे अशआर हुए है. हार्दिक बधाई.   

 

Comment by Mohammed Arif on December 26, 2017 at 11:41am

आदरणीय दिनेश कुमार जी आदाब,

                             ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है । बधाई स्वीकार करें ।

                 आदरणीय अफरोज़ सहर जी की इस्लाह का  तत्काल प्रभाव से संज्ञान लें ।

Comment by Afroz 'sahr' on December 26, 2017 at 9:13am

आदरणीय दिनेश कुमार जी इस रचना पर बधाई स्वीकार करें।

दुसरे शेर की तरकीब समझ नहीं आई।

चौथे शेर में एब ए शुतर गु़र्बा है।

6 टा शेर  यूँ भी हो सकता है

"हम फ़की़रों की नज़र में देखिए"

" दिल तो इक मंदिर है पावन धाम है"

आपने टाईटल में तरही मिसरा कोट किया पर

गिरह नहीं लगाई,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service