For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ निश्छलता!
क्यों नहीं हो मेरे मन में?
रहती क्यों,
नवजात शिशु के,
मुखमंडल में,
तुम क्यों रहती!
स्वच्छाकाश,
चंद्र-तारे
और धरातल में,
तुम क्यों रहती!
हवा के झोंकों,गिरि की सुंदरता,
उन्मुक्त गगन में,
क्यों नहीं हो मेरे मन में?
तुम क्यों रहती!
नदी की लहरों,
फूलों के चेहरों और हरियाली में,
क्यों रहती तुम!
माॅं की ममता,
दुआओं और खुशहाली में,
हर वक्त हर घड़ी,
दे रही हो साथ,
प्रभु के दिये,
इस जीवन में,
फिर, क्यों नहीं रख पाता मैं,
तुझे अपने कर्मों के कंपन में,
ओ निश्छलता!
क्यों नहीं हो मेरे मन में!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 29, 2017 at 8:09am

सादर आभार आदरणीय श्री मुसाफिर जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 28, 2017 at 11:15pm

हार्दिक बधाई ।

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 27, 2017 at 9:26pm

आदरणीय श्री उस्मानी जी , आपकी बधाईयां मैं शिरोधार्य करता हूं। आशा करता हेूं कि आपका स्नेह और आशीर्वाद इसी तरह मुझे प्राप्त होता रहेगा। सादर आभार।

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 27, 2017 at 9:23pm

आदरणीय श्री  सुरेन्द्रनाथ सिंह जी, इस समर्थन हेतु आपका कोटिशः आभार

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 27, 2017 at 9:20pm

परम आदरणीय श्री समर कबीर जी आपका कोटिशः आभार, आपके समर्थन से ही मेरा उत्साह बढ़ता है।
सादर धन्यवाद स्वीकार कीजिएगा।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 27, 2017 at 9:11pm
वाह। बार-बार पढ़ने और वाचन करने को प्रेरित करती बढ़िया भावपूर्ण रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और शुभकामनाएं आदरणीय मनोज कुमार श्रीवास्तव जी।
Comment by नाथ सोनांचली on November 27, 2017 at 6:42pm
आद0 मनोज कुमार श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। बढ़िया विषय को कविता के लिए चुना आपने, इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये। सादर
Comment by Samar kabeer on November 27, 2017 at 3:09pm
जनाब मनोज कुमार जी आदाब,बढ़िया प्रस्तुति,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Manoj kumar shrivastava on November 27, 2017 at 8:08am

आपका कोटिशः आभार आदरणीय आरिफ जी, आपका स्नेह और आशीर्वाद बना रहे।

Comment by Mohammed Arif on November 26, 2017 at 6:16pm
आदरणीय मनोज कुमार जी आदाब,
निश्छलता को केंद्र में रखकर लिखी गई अच्छी कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
31 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service