For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ साहब!!!
क्या तुम आधुनिक लोकतंत्र को
लूटने वाले नेता हो!
या रईसी के दम पर बिकने वाले
अभिनेता हो!
क्या तुम वास्तविकता से अंजान
बड़े पद पर बैठे अधिकारी हो!
या मानवता की दलाली करने वाले
शिकारी हो!
क्या तुम भ्रष्टाचार में सिंके हुए
गुर्दे हो!
या विधानालय में वास करने वाले
मुर्दे हो!
तुम जो भी हो !!
मेरा प्रश्न है कि
अपनी बेटी की आबरू लूटने वाले के प्रति
तुम क्या सोचते?
तुम मौन हो!
पर मुझे मालूम है
तुम उस वहशी के
अनगिनत टुकड़े करते,
फिर आज बेटियों की
अस्मत के हत्यारे,
देश में,
स्वतंत्र क्यों घूम रहे हैं!
क्या तुम्हारी आत्मा तुम्हें,
इसलिए नहीं धिक्कारती
कि उस आबरू लुटी बेटी को,
तुमने पैदा नहीं किया है!!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 25, 2017 at 9:29pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी आपका सादर आभार, आपका स्नेह बना रहे।

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on November 25, 2017 at 4:39pm

 मनोज जी होश जगाती सुन्दर रचना काश लोग जागें और ये बुराई भागे। ....भ्रमर ५  

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 23, 2017 at 9:48pm

आरणीय विजय जी कोटिशः आभार स्वीकार करें

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 23, 2017 at 9:47pm

आदरणीय समर कबीर जी आपका कोटिशः आभार, आपका स्नेह इसी तरह बना रहे, यही कामना करता हूं।

Comment by vijay nikore on November 23, 2017 at 8:06pm

सामयिक विषय पर सुन्दर कथन । हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on November 23, 2017 at 5:21pm
जनाब मनोज कुमार जी आदाब,बहुत गम्भीर और भावुक करने वाली कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
चौथी पंक्ति में 'रहीसी'ग़लत शब्द है सही शब्द है "रईसी"दुरुस्त कर लें ।
Comment by Manoj kumar shrivastava on November 23, 2017 at 3:55pm
आदरणीय आरिफ जी आपका कोटिशः आभार। जी विडम्बना यही है कि इस समस्या को गम्भीरता से नही लिया जा रहा है।
Comment by Mohammed Arif on November 23, 2017 at 1:24pm
जनाब मनोज कुमार जी आदाब,
आपको यह विदित होगा कि बेटियों की गरिमा-गौरव और अस्मिता को बचाने का शंखनाद जिन प्रदेशों से हुआ है वहीं बेटियाँ सुरक्षित नहीं है जनाब । उन दुष्ट हमारी कमीनों को कौन समझाएँ जो रात-दिन "बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ " का नारा बुलंद कर रहे हैं । केवल नारों से बेटियाँ सुरक्षित नहीं हो जाएगी । निर्भया कांड के दोषियों को कब फाँसी पर लटकाया जाएगा ?

हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
47 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service