For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - इश्क में जार जार रोते हैं

फाइलातुन मफाइलुन फैलुन
2122 1212 22

रात दिन बार बार रोते हैं।
इश्क में जार जार रोते हैं।

जब नशे में थे हम मज़े में थे,
जब से उतरा खुमार रोते हैं।

प्यार की अब पतंग नहीं उड़ती,
ठप्प है कारोबार रोते हैं।

आप से क्या मियाँ बताये हम
दिल हो जब बेकरार रोते हैं।

जब मैं रोता हूँ साथ में मेरे
सबके सब दोस्त यार रोते हैं।

वक्त बेवक्त उसके हाथों से,
जब भी पड़ती है मार रोते हैं।

अपने अपने सुभाव के कारण,
फूल हँसते हैं खार रोते हैं।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 871

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 31, 2017 at 12:11pm
फूल हँसते हैं खार रोते हैं ,वाह बहुत उम्दा प्रशंसनीय गजल बधाई हो
Comment by Ajay Tiwari on October 31, 2017 at 11:45am

आदरणीय राम अवध जी,

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक शुभकामनाएं .

सादर 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 30, 2017 at 9:05pm

वाह , उम्दा ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय, बधाई स्वीकारें|

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 29, 2017 at 9:51pm
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज साहब बहुत बहुत शुक्रिया आपका ग़ज़ल सराहना के लिये
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 29, 2017 at 11:50am
वाह वाह आदरणीय बहुत खूबसूरत मधुर ग़ज़ल हुई ..सदर बधाई
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 27, 2017 at 2:48pm
धन्यवाद आदरणीय डा. छोटेलाल सिंह जी
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 26, 2017 at 10:00pm
आदरणीय रामअवध जी आपकी रचना बहुत बेहतरीन है पढ़ते ही मन प्रसन्न हो गया ,इस सुंदर सृजन के लिए दिल से बधाई
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 26, 2017 at 7:26pm
आदरणीय डा.आशुतोष मिश्रा जी ग़ज़ल सराहना के लिये सादर आभार
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 26, 2017 at 7:22pm
आदरणीय समर कबीर साहब जी
आदाब आपने जो मेरा उत्साह बढ़ाया इसके लिये बहुत बहुत शूक्रिया
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 26, 2017 at 6:31pm
आदरणीय इस उम्दा रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपकी टिप्पणी एवं मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार। सुधार का प्रयास करुंगा।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। आ. भाई तिलकराज जी के सुझाव से यह और निखर गयी है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service