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चाँद निकला छत पे किसकी कर रहा दीदार कौन(ग़ज़ल 'राज')

बहर-ए-रमल मुसम्मिन मक्सूर व मह्जूफ़
2122 2122 2122 2121

किसके चेह्रे पर लिखा है कौन दुश्मन यार कौन 
क्या पता है आड में गुल की  छुपा है ख़ार कौन

हक़ है किसका सिर पे पहने है मगर दस्तार कौन 
चाँद निकला छत पे किसकी कर रहा दीदार कौन

मतलबी हैं आज रिश्ते खो गया है एतबार 
इस जहां में दिल से सच्चा आज करता प्यार कौन

मर गया  है मुफ़्लिसी में भूख से देखो अनाथ 
सब ही  खाते थे  तरस लेकिन उठाता भार कौन

पेट भरने के लिए जो कुछ मिला उसका नसीब 
फर्क उसको क्या पड़ेगा जानकर सरकार कौन

राह का रोड़ा बना वो झूठी रस्मों का पहाड़ 
चाहते सब तोड़ना लेकिन करेगा वार कौन

रेप मर्डर प्यार धोखा बस यही खबरें तमाम 
बिन मसालों के यहाँ पर बेचता अखबार कौन 
-----मौलिक   एवं अप्रकाशित 

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Comment by नाथ सोनांचली on October 9, 2017 at 4:38am
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन, बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, शेर दर शेर मुबारकबाद पेश करता हूँ। शेष आद0 समर साहब कह चुके हैं।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 8, 2017 at 7:11pm
बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी। मुहतरम जनाब समर कबीर साहब की टिप्पणियों से हमें बेहतरीन मार्गदर्शन मिलता है।
Comment by राज़ नवादवी on October 8, 2017 at 4:14pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, एक अच्छी ग़ज़ल  की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें.. सादर. 

Comment by Samar kabeer on October 8, 2017 at 3:52pm
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'क्या पता है ग़ल की सूरत में छुपा है खार कौन'
इस मिसरे में एक बारीक नुक्ता बताता हूँ 'सूरत'शब्द यहाँ मुनासिब नहीं है,क्योंकि 'खार'और 'गुल'दोनों एक जैसे तो होते नहीं कि आप 'खार'को 'गुल'समझ लें,दोनों दूर से ही पहचान लिये जाते हैं,ये मिसरा इस तरह कहा जा सकता है :-
'क्या पता है आड़ में गुल की छुपा है खार कौन'
'फ़र्क़ उसको क्या पड़ेगा जानकर सरकार कौन'
इस मिसरे का ये टुकड़ा'जानकर सरकार कौन'व्याकरण की दृष्टि से सही नहीं,इसे यूँ कहना मुनासिब होगा :-
'फ़र्क़ उसको क्या पड़ेगा है यहाँ सरकार कौन'
ग़ौर कीजियेगा ।
Comment by Mohammed Arif on October 8, 2017 at 1:32pm
मतलबी हैं आज रिश्ते खो गया है एतबार
इस जहां में दिल से सच्चा आज करता प्यार कौन। बहुत ख़ूब! बहुत ख़ूब बहुत ही बेहतरीन शे'र
हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी । बाक़ी गुणीजन आपनी राय देंगे, इंतज़ार करें ।

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"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
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"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
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"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
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