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वक़्त ऐसी किताब माँगेगा (ग़ज़ल 'राज')

२१२२ १२१२  २२

जिन्दगी से जबाब माँगेगा

लम्हा लम्हा हिसाब माँगेगा

 

जिसमे लिक्खा हुआ गणित तेरा

वक़्त ऐसी किताब माँगेगा

 

देख तेरा खुला हुआ वो सबू

खाली प्याला शराब माँगेगा

 

रंग बदले भले कई मौसम

फूल अपना शबाब माँगेगा

 

कैद जिसके लिए किया जुगनू

कल वही माहताब माँगेगा

 

पाक नीयत से देखना उसको 

चाँद वरना निकाब माँगेगा

 

कैद तेरी किताब में अबतक

अपनी खुशबू गुलाब माँगेगा

----मौलिक  एवं अप्रकाशित 

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Comment by rajesh kumari on October 29, 2017 at 8:39pm

जनाब अफ़रोज साहब ग़ज़ल पर शिरकत और सुखं नवाजी का शुक्रिया किसी एक शेर में डिमांड के अनुसार तकाबुले रदीफ़ कोई बहुत बड़ा दोष नहीं मानती ये दोनों दोष इस शेर की बेहद जरूरत की वज्ह से रहने दिए .

Comment by Afroz 'sahr' on October 24, 2017 at 2:23pm
मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें। ग़ज़ल के दूसरे शेर में तका़बुल ए रदीफ़ेन एवं तनाफ़ुर दोष है। देखिएगा ,सादर,,,

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 23, 2017 at 6:37pm

आद० समर भाई जी ,मैं दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ मेरी अनुपस्थिति के विषय में आपने पाठकों को अवगत कराया |


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Comment by rajesh kumari on October 23, 2017 at 6:35pm

अद० सलीम राजा भैया ,कुछ दिन  नेट पर आना असंभव था क्षमा चाहती हूँ अब सब की रचनाएँ पढूंगी आपकी गज़लें भी पढूंगी|


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Comment by rajesh kumari on October 23, 2017 at 6:33pm

आद० लक्ष्मण धामी भैया ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया |देर  से प्रतिउत्तर देने का खेंद है |


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Comment by rajesh kumari on October 23, 2017 at 6:32pm

आद० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया |देर  से प्रतिउत्तर देने का खेंद है | 


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Comment by rajesh kumari on October 23, 2017 at 6:31pm

आद० बृजेश कुमार ब्रज जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया |देर  से प्रतिउत्तर देने का खेंद है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 23, 2017 at 6:31pm

आद० वंदना जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया |देर  से प्रतिउत्तर देने का खेंद है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 23, 2017 at 6:30pm

आद० मोहम्मद आरिफ जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया |देर  से प्रतिउत्तर देने का खेंद है |


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Comment by rajesh kumari on October 23, 2017 at 6:29pm

आद० अजय तिवारी जी ,आपको  ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया |देर  से प्रतिउत्तर देने का खेंद है |

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