For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की - हैरान क्या करेगा कोई मोजज़ा मुझे

२२१/ २१२१/ १२२१/ २१२

हैरान क्या करेगा कोई मोजज़ा मुझे,
दुनिया का हर तमाशा लगे ख़्वाब सा मुझे.
.
हालाँकि ख़ुशबू इल्म-ओ-अदब की नहीं हूँ मैं,
लेकिन बिख़रने का है बहुत तज़रिबा मुझे.
.
इक रोज़ मैं ही तेरे किसी काम आऊँगा,
गरचे तू मानता ही नहीं काम का मुझे.
.
तेरे कहे पे चल पड़ा हूँ आँखें मूँदकर
ठोकर लगे तो मौला मेरे थामना मुझे.
.
ये कौन मेरे हिज्र को करता है और तवील,
जीने की फिर ये कौन दुआ दे गया मुझे.
.
आकर मिज़ाज-पुरसी किया कर मेरी कभी
तुझ से ख़फ़ा हूँ ज़िन्दगी, समझा बुझा मुझे.
.
पूँजी हूँ उम्र भर की तो मुझ को सँजो के रख
खैरात लग रहा हूँ तो सब पर लुटा मुझे.
.
तुम रहनुमाओं वाले हो तुम क़ाफ़िला बनों
मंज़िल दिखा रही है सही रास्ता मुझे.
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 1184

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2018 at 9:01pm

शुक्रिया आ. संतोष दादा 

Comment by santosh khirwadkar on September 15, 2017 at 6:03pm
वह्ह्ह्ह क्या बात है ,ख़ूबसूरत ग़ज़ल !!! आदरणीय निलेश जी ,शे'र दर शे'र बधाई स्वीकारें!!
Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 15, 2017 at 5:44pm

शुक्रिया आ. दिनेश जी ..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 15, 2017 at 5:43pm

शुक्रिया आ. रवि जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 15, 2017 at 5:43pm

शुक्रिया आ. तस्दीक़ अहमद साहब 

Comment by Ravi Shukla on August 6, 2017 at 12:57pm

आदरणीय नीलेश जी बहुत अच्छी ग़ज़ल आपने कही शेर दर शेर मुबारकबाद कुबूल करें इस पर हुई चर्चा को पढ़कर भी अच्छा लगा

Comment by दिनेश कुमार on August 4, 2017 at 10:41pm
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई आ. निलेश सर जी। वाह वाह वाह।
क्या कहने हैं।

एक मिसरे पर
Doubt हो गया है।
.
ये कौन मेरे हिज्र को करता है और तवील,
.
'और' को 2 ke wazn पर बाँधा है आपने। सभी बाँधते भी hain. jab 'और' ko तथा के अर्थ में लेते हैं तब इसे जल्दी में 'अर' पढ़कर 2 के वज़्न पर बाँध लेते हैं।
लेकिन यहाँ 'और' का अर्थ extra/ज़्यादा है। तब जल्दी में पढ़ कर क्या वही अर्थ निकलेगा। सादर।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 4, 2017 at 4:56pm
मुहतरम जनाब नीलेश नूर साहिब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें। मतले के उला मिसरे को यूं भो कर सकते हैं ---हैरां कोई करिश्मा नहीं कर सका मुझे । सादर
Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 4, 2017 at 11:13am
शुक्रिया आ सुरेन्द्रनाथ जी
Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 4, 2017 at 11:13am
आ डॉ साहब,
शुक्रिया।
तवील में अंतिम 1 मात्रा छूट के तहत बढ़ा ली है। हर बहर में यह छूट होती है।
मोजज़ा चमत्कार को कहते हैं जिस पर समर सर का रिजर्वेशन है कि यह सदियों में होता है अतः इस शब्द को इस तरह इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये।
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
13 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service