For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निराशा को आशा बनाता रहेगा(गजल)/सतविन्द्र कुमार राणा

122 122 122 122
बिना बात बातें बनाता रहेगा
शरारत से सब को छकाता रहेगा।

निराशा को आशा बनाता रहेगा
तेरा दिल ये तुझको सिखाता रहेगा।

हमेशा ही मन काला जिसका रहा है
वो नजरें सभी से चुराता रहेगा।

मजा जिसको आता चिढ़ाने में सबको
चढ़ाता रहेगा गिराता रहेगा।

नहीं भूल ये,नूर तुझमें बसा है
तू तारों सा ही टिमटिमाता रहेगा।

फरेबों में जिसकी चली जिंदगानी
वो हरदम किसी को सताता रहेगा।

रहे जुल्म होते जो जनता पे देखे
वो आवाज अपनी उठाता रहेगा।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 518

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 5, 2017 at 9:24pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर,प्रयास को समय देकर सराहने के लिए तहेदिल शुक्रिया,सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 5, 2017 at 9:23pm
आदरणीय विजय निकोरे सर सादर हारदिक आभार,सादर वन्दन

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2017 at 10:01am

आदरणीय सतविन्द्र भाई , अच्छी ग़ज़ल कही आपने , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by vijay nikore on February 3, 2017 at 9:45am

गज़ल अच्छी लगी। हार्दिक बधाई।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 3, 2017 at 7:38am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी प्रयास की सराहना के लिए हार्दिक आभार,नमन
Comment by Mohammed Arif on February 2, 2017 at 10:04pm
आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद क़ुबूल करें ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 2, 2017 at 8:26pm
आदरणीय लक्ष्मण सर सादर नमन,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए हार्दिक आभार
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2017 at 11:45am

ऑ० भाई सतविंदर जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 1, 2017 at 11:33am
आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन,अनुमोदन कर प्रयास को मान देने के लिए तहेदिल शुक्रिया!
Comment by Samar kabeer on January 31, 2017 at 10:16pm
जनाब सतविन्दर कुमार जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
15 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service